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आम बगीचा प्रोजेक्ट से बदल रहे सुकमा के हालात, नक्सलवाद से उबरकर पकड़ी विकास की राह

सुकमा लंबे समय तक नक्सलवाद से ग्रसित रहा है, लेकिन अब आम बगीचा प्रोजेक्ट से यहां के हालात बदल रहे हैं। लोग मुख्य धारा में शामिल हो रहे हैं और विकास की नई गाथा लिखी जा रही है।

Edited By: Shakti Singh
Published : Dec 06, 2025 02:21 pm IST, Updated : Dec 06, 2025 02:21 pm IST
aam bagicha- India TV Hindi
Image Source : ANI आम बगीचा

छत्तीसगढ़ का सुकमा नक्सलवाद से सबसे बुरी तरह प्रभावित रहा है, लेकिन अब यही सुकमा जिला विकास का एक नया अध्याय लिख रहा है। यहां प्रशासन 'आम बगीचा परियोजना' के माध्यम से लोगों की आय बढ़ाने के लिए व्यापक प्रयास कर रहा है। आम बगीचा पहल से अब हालात बदल रहे हैं और बदलाव की यह बयार घने जंगलों में बसे उन गांवों में भी दिखाई दे रही है, जहां कभी आजीविका के अवसर सीमित थे। सरकार की मंशा और प्रशासन के निरंतर प्रयासों ने, बाग-बगीचों पर आधारित पहलों के ज़रिए ग्रामीण जीवन में फसल की नई उम्मीद जगाई है।

सुकमा के कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव ने कहा, " छत्तीसगढ़ सरकार के निर्देशों के अनुसार , हम क्षेत्र के लोगों की आजीविका को बढ़ावा देने के लिए नियमित रूप से काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस संबंध में स्पष्ट निर्देश दिए हैं और साथ ही, यह कदम केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी लखपति दीदी कार्यक्रम के विजन के अनुरूप है। हमारा प्रयास ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की आजीविका को बढ़ाना है।"

इन फलों की खेती कर रहे लोग

कलेक्टर ने आगे बताया कि हम ' आम बगीचा परियोजना ' इसलिए लागू कर रहे हैं ताकि लोग खेती के अलावा अन्य गतिविधियों से भी कमाई कर सकें। चूंकि सुकमा आम और अन्य मौसमी फलों की खेती के लिए उपयुक्त है, इसलिए स्थानीय समुदायों को अपनी उपलब्ध जमीन पर आम और अन्य प्रकार के फल उगाने के लिए प्रेरित किया गया है। स्थानीय मरकम दुला ने कहा, "कलेक्टर सर गांव में आए, लोगों से मिले और हमें आम, नारियल, नींबू और अन्य मौसमी फलों के पौधे लगाने के फायदे समझाए।" उन्होंने आगे कहा कि इन फायदों के बारे में जानने के बाद ग्रामीणों ने इस विचार को अपनाने का फैसला किया।

प्रशासन की मदद से लाभ

स्थानीय लोगों ने बताया कि जैसे ही लोगों ने फलों की किस्में लगाने का फैसला किया, प्रशासन ने बाड़ लगाने, बोरवेल, ट्रांसफार्मर और अन्य सुविधाओं की स्थापना में मदद की। अब दो साल हो गए हैं और फसल आने वाली है। हमें पूरी कमाई मिलेगी। लगभग 8 एकड़ में फलों के लगभग 350 पौधे, सभी संकर किस्मों के, लगाए गए हैं। स्थानीय मडकम संतु ने कहा कि हमें इस परियोजना के लिए सरकार के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन से भी भरपूर सहयोग मिल रहा है। उन्होंने आगे कहा कि हम रोपी गई किस्मों का पूरा ध्यान रखते हैं।उन्होंने कहा कि कलेक्टर के नेतृत्व में प्रशासन हमारी काफी मदद कर रहा है और यह पहल बहुत लाभदायक है। (इनपुट- एएनआई)

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