Saturday, December 06, 2025
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भारत के 'ऑपरेशन सागर बंधु' ने तोड़ा श्रीलंका में चक्रवात ‘दित्वा’ का गुमान, मित्र के लिए सुग्रीव बने PM मोदी; दुनिया हैरान

चक्रवात के जाल में फंसे श्रीलंका की भारत ने जबरदस्त मदद की है। अभी भी भारत की ओर से श्रीलंका को राहत सामग्री भेजा जाना जरूरी है। भारतीय सेना ने श्रीलंका में बीमार लोगों की मदद के लिए एक अस्थाई अस्पताल भी खोल दिया है।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Dec 06, 2025 02:17 pm IST, Updated : Dec 06, 2025 02:17 pm IST
श्रीलंका में भारत ने खोला अस्थाई अस्पताल। - India TV Hindi
Image Source : X@INDIAINSL श्रीलंका में भारत ने खोला अस्थाई अस्पताल।

कोलंबो: चक्रवात दित्वा के दंश से जूझ रहे श्रीलंका को भारत सुग्रीव की तरह मित्र बनकर साथ निभा रहा है। श्रीलंका के बाढ़ पीड़ितों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाने और बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के बाद अब उनके पुनर्वास और इलाज के लिए भी भारतीय सेना की मैराथन मदद जारी है। श्रीलंका की आपदा में भारत प्रथम उत्तरदाता रहा है, जिसने सबसे पहले मदद पहुंचाई। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत के हनुमान स्वरूप को देखकर दुनिया हैरान है। 

भारत ने श्रीलंका में खोला अस्थाई हॉस्पिटल

श्रीलंका में बाढ़ से बचे लोग संक्रमण और अन्य बीमारियों का शिकार हो रहे हैं, लिहाजा उनके लिए भारतीय वायुसेना ने अस्थाई हॉस्पिटल बना दिया है, जहां लोगों का इलाज किया जा रहा है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारतीय वायुसेना की मेडिकल कोर टीम को 3 दिसंबर को हवाई मार्ग से पहुँचाया गया। इसके बाद श्रीलंका के कैंडी के पास महियांगनया में  फील्ड अस्पताल अब पूरी तरह से चालू है, जहां लोगों का इलाज किया जा रहा है। यह श्रीलंका के सबसे ज़्यादा प्रभावित क्षेत्रों में से एक है। अपने पहले 24 घंटों में, इस अस्पताल ने चक्रवात दित्वा से प्रभावित लगभग 400 मरीज़ों को ज़रूरी चिकित्सा सेवाएँ प्रदान कीं। 55 छोटी शल्य प्रक्रियाएँ और एक ऑपरेशन सफलतापूर्वक किया।

श्रीलंका के साथ खड़ा भारत

विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की चिकित्सा टीमें श्रीलंका के साथ खड़ी हैं और यह सुनिश्चित कर रही हैं कि ज़रूरतमंदों तक समय पर देखभाल पहुँचे। वहीं दूसरी तरफ भारतीय उच्चायुक्त संतोष झा ने शनिवार को श्रीलंका के प्रमुख कॉर्पोरेट दिग्गजों के साथ बैठक कर चक्रवात 'दित्वा' से प्रभावित द्वीप राष्ट्र के प्रति भारत के अटूट समर्थन को दोहराया। इस आपदा में अब तक 607 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि भारी बाढ़, भूस्खलन और बुनियादी ढांचे को गंभीर क्षति पहुंची है। कई जिले पूरी तरह कट गए हैं और श्रीलंका की आपदा-प्रतिक्रिया क्षमता पर भारी बोझ पड़ा है। 

भारतीय उच्चायोग ने किया पोस्ट

भारतीय उच्चायोग ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि झा ने कॉर्पोरेट दिग्गजों को भारत की त्वरित प्रतिक्रिया और श्रीलंका के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहने की प्रतिबद्धता से अवगत कराया। बीते 28 नवंबर को श्रीलंका में आए चक्रवात 'दित्वा' ने भीषण तबाही मचाई है। मगर भारत की मैराथन मदद ने इस चक्रवात का हौसला तोड़ दिया है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार यह द्वीप के दो दशकों में सबसे भयानक बाढ़ आपदा है, जिसमें अब तक 600 से अधिक मौतें हो चुकी हैं। जबकि सैकड़ों लोग लापता हैं। 

श्रीलंका ने की भारत की मदद की तारीफ

श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने भी भारत की जबरदस्त मदद की बार-बार तारीफ की है। भारत ने अपने पड़ोसी श्रीलंका को संकट में देखकर सबसे त्वरित और बहुआयामी सहायता दी। भारत ने सबसे पहले प्रतिक्रिया देते हुए 'ऑपरेशन सागर बंधु' शुरू किया, जो हवाई, समुद्री और जमीनी स्तर पर चलाया जा रहा है। 28 नवंबर से अब तक भारत ने 58 टन से अधिक राहत सामग्री कोलंबो भेजी है। इसमें सूखा राशन, टेंट, तिरपाल, स्वच्छता किट, जल शोधन इकाइयां और 4.5 टन दवाइयां व सर्जिकल उपकरण शामिल हैं। 

80 से ज्यादा एनडीआरएफ के जवान और हेलीकॉप्टर

भारत ने श्रीलंका के बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए 80 से ज्यादा एनडीआरएफ के जवान भी भेजे थे, जिन्होंने बाढ़ पीड़ितों को दुर्गम क्षेत्रों से निकालने में मदद की। इसके अलावा भारत ने श्रीलंका के लिए 50 टन उपकरण जैसे जनरेटर और बचाव नौकाएं भेजी गईं। महत्वपूर्ण संपर्क बहाल करने के लिए 31 इंजीनियरों के साथ 130 टन बैली ब्रिज इकाइयां हवाई मार्ग से पहुंचाई गईं। हाल ही में एक अतिरिक्त 65-टन मोबाइल मॉड्यूलर ब्रिज सिस्टम भी भेजा गया। 

भारतीय चिकित्सा दल ने जीता दिल

बाढ़ और बीमारियों के संक्रमण से ग्रस्त श्रीलंकावासियों का भारतीय चिकित्सा दल ने दिल जीत लिया है। महियांगनया (कैंडी के निकट) में भारत के 78 चिकित्सा कर्मियों वाला पूर्ण फील्ड अस्पताल जीवन रक्षक सेवाएं दे रहा है। जा-एला और नेगोम्बो में भीष्म (भारत स्वास्थ्य सहयोग हित और मैत्री पहल) के तहत आरोग्य मैत्री केंद्र स्थापित किए गए हैं। 

श्रीलंका की मदद में तैयार किए आईएनएस विक्रांत जैसे पोत

भारत ने श्रीलंका की मदद के लिए आईएनएस विक्रांत, आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस सुकन्या जैसे युद्ध पोतों से तत्काल बचाव व राहत देने का काम किया। आईएनएस विक्रांत से दो चेतक हेलीकॉप्टर और भारतीय वायुसेना के दो एमआई-17 हेलीकॉप्टर सक्रिय हैं, जिन्होंने 9 टन राहत सामग्री पहुंचाई और कई लोगों को बचाया। 

 

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