नई दिल्लीः रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के भारत दौरे से दोनों देशों के रणनीतिक संबंधों को नई स्फूर्ति मिली है। अब वह दिन दूर नहीं, जब रूस के सहयोग से भारत दुनिया की सबसे बड़ा सैन्य हथियारों का निर्माता बनकर उभरेगा। शुक्रवार को राष्ट्रपति पुतिन ने भारत में सैन्य उपकरणों और पुर्जों के निर्माण को सहमति दे दी। इससे भारत की सैन्य ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत लगातार सैन्य क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल कर रहा है। पीएम मोदी के इस मिशन का साथ देने के लिए रूस ने अपनी पूरी ताकत लगाने का फैसला किया है।
भारत-रूस में हुई बड़ी सैन्य डील
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के बीच हुई शिखर वार्ता में कई बड़ी सैन्य डील हुई है, उनमें से एक भारत में सैन्य हथियारों और अतिरिक्त पुर्जों का निर्माण शामिल है। मोदी और पुतिन का यह फैसला भारत के डिफेंस कोरिडोर को दुनिया का महाबली बना देगा, जिसके पास असीम सैन्य ताकत होगी। पुतिन ने भारत के साथ द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को मजबूत करने में समग्रता पर जोर दिया है। इससे भारत और रूस के रणनीतिक संबंधों को और अधिक ऊंचाई मिलेगी। भारत और रूस की इस जिगरी दोस्ती से भारत को दुनिया का सैन्य हथियारों का पावर हाउस बनाने का मार्ग प्रशस्त होगा।
मेक इन इंडिया का बजेगा डंका
पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन के साथ वार्ता के दौरान मेक इन इंडिया का आह्वान किया। भारत और रूस ने सैन्य उपकरणों के देश में निर्माण पर सहमति जताई है। दोनों पक्षों ने सैन्य उपकरणों और पुर्जों के निर्माण के बाबत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण करके ‘मेक-इन-इंडिया’ के तहत रूसी हथियारों और रक्षा उपकरणों के रखरखाव, पुर्जे, घटकों और अन्य उत्पादों के भारत में संयुक्त विनिर्माण को प्रोत्साहित करने पर सहमत हुए। भारत और रूस ने संयुक्त बयान में कहा कि दोनों पक्ष भारतीय सशस्त्र बलों की जरूरतों को पूरी करने के लिए भारत में संयुक्त उद्यम स्थापित किया जाएगा। भारत में बने सैन्य उपकरणों को तीसरे देशों को भी निर्मात किया जाएगा।
भारत-रूस ने लिया बड़ा रक्षा संकल्प
भारत और रूस ने बड़ा रक्षा संकल्प लिया है। दोनों देशों के बीच यह समझौता रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाएगी। भारत की युद्धक क्षमता बढ़ाने के लिए अतिरिक्त एस-400 मिसाइलों की खेप भी मिलेगी। इसके अलावा एस-500 की आपूर्ति पर भी दोनों देशों के बीच वार्ता हुई है। रूसी तकनीकि मिलने से भारत के डिफेंस कोरिडोर को बड़ी ताकत मिलेगी।