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Explainer: आंधी तूफान में बारिश के साथ क्यों गिरते हैं ओले? बादल में कैसे जमती है बर्फ

आंधी तूफान और बारिश के साथ ही आपने देखा होगा कि अचानक से आसमान से ओलावृष्टि होने लगती है। आपने कभी सोचा है आसमान में बादलों में बर्फ कैसे जम जाती होगी और ओले कैसे बन जाते होंगे। जानिए इस एक्सप्लेनर में...

Written By: Kajal Kumari @lallkajal
Published : May 25, 2025 11:30 pm IST, Updated : May 26, 2025 04:57 pm IST
ओलावृष्टि की वजह- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO ओलावृष्टि की वजह

आंधी तूफान के दौरान बारिश और बारिश के साथ ही आसमान से कभी-कभी बर्फ भी गिरती है, जिसे ओलावृष्टि कहते हैं। इससे फसलों को काफी नुकसान होता है। आसमान से गिरने वाले ओले बर्फ को गोले होते हैं जिन्हें ओला कहा जाता है। आपने कभी सोचा है कि तपिश और गर्मी के मौसम में ये ओले आसमान में कैसे बन जाते हैं। आखिर बादल में बर्फ के ये गोले कैसे बन जाते हैं। तो बता दें कि तूफ़ान के बादल में ऊपर इतनी ठंड होती है कि पानी के साथ ही इनमें बर्फ के छोटे-छोटे टुकड़े बन जाते हैं और तूफ़ान के बादल में चलने वाली हवाएं इन बर्फ के टुकड़ों को इधर-उधर घुमाती हैं।​ आखिरकार, पानी से जमे ओले इतने बड़े और भारी हो जाते हैं कि वे ज़मीन पर गिर जाते हैं। 

 
बर्फ की ये छोटी गेंदें तूफानी बादलों में बनती हैं जहां तापमान ठंडा और जमा देने होता है। कभी-कभी ओले छोटे होते हैं, और उनकी संख्या इतनी ज़्यादा होती है कि वे ज़मीन पर बर्फ़ की तरह जम जाते हैं। ओलों का हर टुकड़ा बर्फ़ का एक छोटा गोला होता है। ओले बर्फ के टुकड़ों से बने होते हैं जो पारदर्शी या आंशिक रूप से अपारदर्शी हो सकते हैं तथा इनका आकार मटर के दाने जितना छोटा से लेकर अंगूर जितना बड़ा हो सकता है। कभी कभी ये इतने भारी होते हैं कि गिरने पर कारों में सेंध लग सकती है और आपके कार की विंडशील्ड भी इससे टूट सकती है।

कैसे बनते हैं ओले

Image Source : FILE PHOTO
कैसे बनते हैं ओले

ओले कैसे बनते हैं तो इसका जवाब है, ये ओले क्यूम्यलोनिम्बस बादलों के अंदर बनते हैं। क्यूम्यलोनिम्बस बादल आमतौर पर तूफान पैदा करने वाले बादल होते हैं। ग्रापेल जो जमी हुई बारिश की बूंदे होती हैं वो बारिश की बूंदों और बर्फ के क्रिस्टल को समान रूप से क्यूम्यलोनिम्बस बादल में वापस ले जाता है, जहां तापमान शून्य से काफी नीचे होता है और अगर जब एक ठंडा नाभिक उपलब्ध होता है तो बारिश की बूंदें स्लीट या ग्रापेल में जम जाती हैं। फिर ग्रापेल को बादल के माध्यम से ऊपर ले जाया जाता है जहां लाखों सुपरकूल्ड पानी की बूंदें बर्फ की सतह से टकराती हैं और तुरंत जम जाती हैं, जिससे ग्रापेल बड़ा हो जाता है।

जब बड़ा ग्रापेल या ओला बादल के शीर्ष पर पहुंचता है और जब बादल के ऊपर की ओर हवा का बहाव अधिक होता जाता है तो ओले भारी हो जाते हैं। ओला तब तक बड़ा होता जाएगा जब तक कि वह ऊपर की ओर हवा के बहाव के लिए इतना भारी न हो जाए। इस बिंदु पर यह बादल के नीचे से गिरता है और जमीन पर ये तबतक गिरते रहते हैं जब तक कि ग्रापेल में ये खत्म नहीं हो जाता। कभी-कभी ये ओले  जिस चीज पर भी गिरते हैं उसे नुकसान पहुंचाते हैं।

आसमान में कैसे बनते हैं ओले

Image Source : FILE PHOTO
आसमान में कैसे बनते हैं ओले

ओले की परतें कभी-कभी पारदर्शी से अपारदर्शी तक के रंग में भिन्न होती हैं, यह तापमान और बादल के भीतर अतिशीतित पानी की ठंडी बूंदों की मात्रा के कारण होता है। इस तरह से ओले जमी हुई बारिश की बूंदें होती हैं जो बर्फ के गोलों या टुकड़ों के रूप में होती हैं। जैसे ही ये बर्फ के कण नीचे गिरते हैं, वे और अधिक पानी के कणों से टकराते हैं, जो उन पर जम जाते हैं और उन्हें और बड़ा करते हैं। ओले विभिन्न आकारों में आ सकते हैं, जिनमें गोल से लेकर अनियमित आकार वाले, हल्के से लेकर भारी, और कुछ तो गोल्फ बॉल के आकार के भी हो सकते हैं।

अमेरिका में गिरा था सबसे बड़ा ओला

ओलों का आकार विभिन्न कारकों से प्रभावित होता है, जैसे कि बादल के ऊपर की ओर हवा के बहाव की शक्ति, और हवा में पानी की मात्रा। बहुत मजबूत ऊपर की ओर हवा के बहाव वाले क्षेत्रों में ओले बहुत बड़े हो सकते हैं। बता दें कि संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे बड़ा ओला 8 इंच (20 सेमी) व्यास का गिरा था, जो 1.93 पाउंड (0.88 किलोग्राम) का था। छोटे ओले और गोल्फ बॉल के आकार के ओले आसमान से गिरना आम बात है।

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