Sunday, December 07, 2025
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विश्व अंगदान दिवसः 9 साल की रिया ने कैसे दी 5 लोगों को नई जिंदगी, ऑर्गन डोनेट की ऐसी कहानी, जो भर देगी आंखों में पानी

गुजरात की ब्रेन डेड रिया के अंगदान ने देश के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले पांच लोगों को नई जिंदगी दी। रिया अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन उसके अंग आज भी पांच लोगों के शरीर में ठीक तरह से काम कर रहे हैं।

Written By: Mangal Yadav @MangalyYadav
Published : Aug 13, 2025 10:11 am IST, Updated : Aug 13, 2025 10:50 am IST
पहली तस्वीर में रिया और दूसरी फोटो में अनामत अहमद - India TV Hindi
Image Source : INDIA TV पहली तस्वीर में रिया और दूसरी फोटो में अनामत अहमद

नई दिल्ली/वलसाडः 13 अगस्त यानी आज विश्व अंगदान दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन अंगदान दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि लोगों को अंगदान के महत्व के बारे में जागरूक किया जाए ताकि लोग अंगदान के लिए प्रेरित हों। जो लोग जीवित अंगदान नहीं कर सकते उन्हें मरणोपरांत अंगदान करना चाहिए। इससे कई लोगों को नया जीवन मिल सकता है और कई घरों को बुझा हुआ दीपक फिर से जल सकता है। 

9 साल की रिया ने दी पांच लोगों को नई जिंदगी

एक व्यक्ति के मरणोपरांत कितने लोगों को नया जीवन मिल सकता है..इसका सबसे बड़ा उदाहरण गुजरात के वलसाड की 9 साल की लड़की रिया है जो अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन मरने के बाद कई लोगों को नई जिंदगी दी। 11 महीने पहले रिया को ब्रेन डेड घोषित किया गया था। उसके परिजनो को ऑर्गन डोनेट के लिए प्रेरित किया गया था। परिजन मान गए और मृत घोषित की जा चुकी रिया के अंगों को दान कर दिया।

  1. नवसारी के एक 13 साल के लड़के को रिया की एक किडनी से नई ज़िंदगी मिली।
  2. अहमदाबाद में एक और किडनी तथा लिवर किसी को नई ज़िंदगी देने के लिए पहुंचे।
  3. इसी तरह रिया के फेफड़ों ने तमिलनाडु की एक 13 साल की बच्ची में नई जान भर दी।
  4. हैदराबाद के एक अस्पताल में रिया के फेफड़ों का सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण किया गया।
  5. रिया के हाथ ने मुंबई की रहने वाली अनामत अहमद को नया जीवन दिया। 

...जब रक्षाबंधन पर भावुक हुआ रिया का परिवार

11 साल की रिया के ऑर्गन डोनेट की चर्चा सबसे ज्यादा इस रक्षाबंधन को तब हुई जब मुंबई की रहने वाली अनामत अहमद राखी बांधने रिया के घर मुंबई से गुजरात के वलसाड पहुंची। 11 महीन पहले मर चुकी रिया के हाथों ने अपने सगे भाई को शिवम को राखी बांधी। रक्षाबंधन पर राखी तो अनामत अहमद ने शिवम को बांधी लेकिन हाथ थे रिया के। जिन हाथों से रिया हर साल अपने भाई को राखी बांधती थी वही हाथ इस साल भी भाई की कलाई में राखी बांधी और सूनी नहीं होने दी। इस मंजर को जिसने भी देखा उसके आंखों से आंसू निकल रहे थे।

रिया के भाई को राखी बांधती अनामत अहमद

Image Source : REPORTER INPUT
रिया के भाई को राखी बांधती अनामत अहमद

वजह साफ थी...रिया इस दुनिया में नहीं था और उसके हाथ अपने सगे भाई को हर साल की तरह इस साल भी राखी बांध रहे थे। दूसरी वजह यह भी थी कि जाति धर्म की दीवार को तोड़ते हुए अनामत अहमद महाराष्ट्र से गुजरात पहुंची और जिस रिया ने उसे नई जिंदगी दी..उसकी कमी शिवम को एहसास नहीं होने दी और मुस्लिम होते हुए भी हिंदू को भाई बनाया और राखी भी बांधी।

रिया के हाथों को अनामत के शरीर में देखकर रोने लगी मां

जब अनामत अहमद रिया के घर आई तो मानों उसकी सारी यादें ताजा हो गई। शिवम की मां अनामत के हाथों को अपने हाथों में लेकर रोने लगी। भाई के आंखों में भी आंसू आ गए। यह दृष्य जिसने भी देखा आंखों में आंसू भर गए। कल्पना कीजिए, उन पलों का अनुभव कैसा रहा होगा.. एक ओर थी हृदय विदारक कठोरता और दूसरी ओर रिया के अंगदान से उपजी प्राणशक्ति..इसीलिए इस रक्षाबंधन पर छोटी बच्ची रिया के हाथ के अंगदान ने वास्तव में अल्लाह और ईश्वर की दिव्यता का एहसास कराया। 

अनामत अहमद के शरीर में लगा रिया के हाथों को लेकर रोती हुई मां

Image Source : REPORTER INPUT
अनामत अहमद के शरीर में लगा रिया के हाथों को लेकर रोती हुई मां

रिया के अंगदान की पूरी कहानी

 रिया की बात करें तो, वह तीथल रोड पर स्थित सरदार हाइट्स में नर्मदा 307 में रहने वाले तृष्णा और बॉबी मिस्त्री की बेटी थी। पारडी के एक स्कूल में चौथी कक्षा में पढ़ती थी। परी जैसी बेटी के लिए वह दिन अशुभ था। तारीख थी 13 सितंबर 2024 और समय था शाम के 5 बजे। रिया को उल्टियां होने लगी थीं... फिर, उसे असहनीय सिरदर्द होने लगा। कई अस्पतालों में इलाज के बाद 15 तारीख को उसे सूरत के किरण अस्पताल में भर्ती कराया गया।

सीटी स्कैन से पता चला कि, रक्तस्राव के कारण वह ब्रेन डेड हो चुकी थी। 16 सितंबर को डॉक्टरों के एक पैनल ने रिया को ब्रेन डेड घोषित कर दिया। इससे सिर्फ़ रिया के माता-पिता और भाई ही नहीं, बल्कि उसके इलाज में शामिल सारा स्टाफ़ भी स्तब्ध रह गया। कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि एक फूल जैसी बेटी अचानक इस तरह मुरझा जाएगी..? 

अंगदान करने वाली रिया की फाइल फोटो

Image Source : REPORTER INPUT
अंगदान करने वाली रिया की फाइल फोटो

डॉक्टरों ने परिजनों को अंगदान के लिए प्रेरित किया

किन्तु, रिया का मृत शरीर कई लोगों के जीवन में नए रंग भरने में सक्षम था और इस बात को रिया की पालक माता और वलसाड की प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. उषाबेन मैशरी भी समझती थी। डॉ. उषाबेन मैशरी ने डोनेटलाइफ के संस्थापक निलेशभाई मांडलेवाला ने रिया के माता-पिता को यह बात समझाई और उन्हें रिया के अंगदान के लिए प्रेरित किया। इसके बाद ब्रेन डेड बेटी रिया की किडनी, लिवर, फेफड़े, आंखें, छोटी आंत और दोनों हाथ दान कर दिए गए। इन अंगों को ज़रूरतमंदों तक समय पर पहुंचाने की सभी तकनीकी प्रक्रियाएं, डोनेटलाइफ के अथक प्रयासों से संपन्न की गईं। 

यहां देखें भावुक कर देने वाला वीडियो

(वलसाड से जितेंद्र पाटिल का इनपुट)

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