Monday, April 29, 2024
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Coronavirus Live: देश में पिछले 24 घंटे में 2 लाख से ज्यादा नए मामले सामने आए, 2,83,135 लोग हुए डिस्चार्ज

कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया परेशान है। देश में ही कोविड के लाखों मामले सामने आ रहे हैं। लेकिन इस बीच अच्छी खबर यह है कि रिकवरी रेट काफी अच्छा है।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: May 27, 2021 23:51 IST
Coronavirus Live: कोरोना वैक्सीन लगवाने से पहले या बाद में क्या करें और क्या नहीं? ये हैं गाइडलाइंस- India TV Hindi
Image Source : PIXABAY.COM Coronavirus Live: कोरोना वैक्सीन लगवाने से पहले या बाद में क्या करें और क्या नहीं? ये हैं गाइडलाइंस

कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया परेशान है। देश में ही कोविड के लाखों मामले सामने आ रहे हैं। लेकिन इस बीच अच्छी खबर यह है कि रिकवरी रेट काफी अच्छा है। वहीं दूसरी ओर ब्लैक फंगस भी महामारी बनकर सामने आ गया है। वहीं दूसरी ओर देश में कोरोना वायरस के कंट्रोल के लिए लगातार लोगों का वैक्सीनेशन किया जा रहा है। अबतक करीब 20 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन की एक डोज या 2 डोज लग चुकी है।

 

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  • 9:39 PM (IST) Posted by Jyoti Jaiswal

    सिर्फ भारत में ही क्यों फैल रहा ब्लैक फंगस?

     देश में कोरोना महामारी के साथ ब्लैक फंगस (म्यूकॉरमायकोसिस) का भी कहर बनने लगा है। कमजोर इम्युनिटी और स्टेरॉयड को इसका जिम्मेदार बताया जा रहा है। डॉक्टरों की इस पर अलग अलग थ्योरी पेश की जा रही है। लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि जिस तरह भारत में ब्लैक फंगस बेकाबू हो रहा है उस तरह किसी अन्य देश में नहीं देखा जा रहा। देशभर में अब तक कुल 11 हजार से अधिक ब्लैक फंगस के मामले सामने आ चुके हैं। वहीं कई राज्य पहले ही म्यूकोरमायकोसिस को महामारी अधिनियम के तहत अधिसूचित बीमारी घोषित भी कर चुके हैं।

    भारत में ब्लैक फंसग से जो पीड़ित पाए जा रहे हैं ज्यादातर कोरोना संक्रमण या फिर शुगर के मरीज हैं।

    डॉक्टरों के अनुसार भारत में कमजोर इम्यूनिटी वाले मरीजों में कोरोना वायरस संक्रमण के अलावा अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ा है।

    माना जा रहा है कि खास तौर पर अस्वच्छ मास्क का लगातार प्रयोग, उच्च मधुमेह और कुछ मामलों में औद्योगिक ऑक्सीजन, जिस पर लोग ज्यादा निर्भर है, समेत अन्य कारणों से फंगल इंफेक्शन पनप रहा है। इसके अलावा शरीर में धीमी उपचारात्मक क्षमता के कारण भी मरीजों में ब्लैक और व्हाइट फंगल इंफेक्शन पैदा हो रहा है।

    शार्प साईट आई हॉस्पिटल्स के डॉक्टर के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के आंकड़ों के अनुसार, म्यूकोरमायकोसिस या ब्लैक फंगस की मृत्यु दर 54 प्रतिशत है।

    शार्प साईट आई हॉस्पिटल्स के निदेशक एवं सह संस्थापक डॉ. बी कमल कपूर ने बताया कि, भारत की वयस्क आबादी में मधुमेह के अनुमानित 73 मिलियन मामले हैं। रोग प्रक्रिया को नियंत्रित करने के लिए स्टेरॉयड का उपयोग करने से भी मधुमेह का स्तर बढ़ जाता है जिससे मधुमेह संबंधी जटिलताएं भी बढ़ जाती हैं।

    भारतीयों में डॉक्टर के परामर्श के बिना खुद दवाएं लेना भी बीमारियों को बढ़ाने का कारण है, जिसकी वजह से मरीजों के ठीक होने में सामान्य से अधिक समय लगता है। इस कारण मरीजों में ज्यादा जटिलताएं पैदा हो रही है और कई प्रकार के इफेक्शन भी बढ़ रहे हैं।

    इस मसले पर जोधपुर एम्स अस्पताल के ईएनटी हेड और प्रोफेसर डॉ अमित गोयल ने आईएएनएस को बताया कि, भारत में दो चीजें मुख्य हैं, कई लोग शुगर को रोजाना चेक नहीं करते या तो दवाई नहीं खाते। लोगों का मानना होता है कि यदि एक बार दवाई शुरू कर दी तो जिंदगी भर दवाई लेनी पड़ेगी।

    मुझे लगता है कि भारत के मुकाबले दूसरे अन्य देशों में अन मॉनिटर्ड स्टेरॉयड का इस्तेमाल नहीं हुआ है। फिलहाल इस पर जब रिसर्च होगी तब पूरी तरह से पता चल सकेगा कि ऐसा क्यों हुआ ?

    उन्होंने आगे बताया कि, हमारे यहां साफ सफाई न रहना भी एक कारण हो सकता है। लोग इस्तेमाल हुए मास्क को फिर इस्तेमाल कर रहे हैं।

    क्या भारत की जनसंख्या अधिक होने के कारण भी ऐसा है ? इस सवाल के जवाब में डॉ गोयल ने कहा कि, यदि हम यूएस और भारत की एक फीसदी आबादी की तुलना करें तो दोनों में फर्क होगा क्योंकि वो कहने में एक फीसदी हैं, लेकिन नंबर्स अलग अलग होंगे।

    ये भी एक कारण हो सकता है, लेकिन जिस तरह से हमारे यहां मामले आ रहे हैं, वो अन्य जगहों पर नहीं दिख रहे। इसका जवाब तभी मिल सकता है जब अन्य देशों के मधुमेह के शिकार मरीजों की तुलना अपने देश से हों और देखा जाए कि हमारे यहां और अन्य देश में मधुमेह की जो प्रिवेलेन्स है उसके मुकाबले क्या हमारे यहां फंगस की प्रिवेलेन्स ज्यादा आ रही है?

    डॉक्टरों के अनुसार, ब्लैक फंगस की खासियत ये भी है कि इससे ग्रसित मरीज कभी घर नहीं बैठ सकता उसे अस्पताल जाना ही होगा। कोरोना संक्रमित, कम प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग जो लंबे समय से आईसीयू में रहे, कैंसर, कीमोथेरेपी वाले मरीज, स्टेरॉयड के उपयोग करने वाले मरीज और अनियंत्रित मधुमेह से पीड़ित मरीजों में ज्यादातर फंगस से ग्रहसित हो रहे हैं।

    सर गंगा राम अस्पताल के डॉ. (प्रो.) अनिल अरोड़ा, चेयरमैन, इंस्टीट्यूट ऑफ लीवर, गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड पैन्क्रियाटिकोबिलरी साइंसेज ने आईएएनएस को बताया, मेडिकल ल्रिटेचर में देखें तो ओर विश्व में अधिक्तर फंगल इंफेक्शन भारत से रिपोर्टेड हैं। बाकी छोटे देशों में जनसंख्या कम है और कुल मामले भी कम हैं। भारत में सेकंड वेव के आखिरी पड़ाव में भी 2 लाख मामले कोरोना संक्रमण के आ रहे हैं।

    ऑस्ट्रेलिया में कुल 30 हजार कोरोना संक्रमित मरीज सामने आए हैं। इसके अलावा भारत में ब्लैक फंगस के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं।

    डॉक्टरों के अनुसार, ब्लैक फंगस अलग-अलग तरह से नाक के नथुने, साइनस, रेटिना वाहिकाओं और मस्तिष्क को प्रमुखता से प्रभावित करता है।

    दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में आपातकालीन विभाग की प्रमुख डॉ. ऋतु सक्सेना ने आईएएनएस को बताया कि, हमारे यहां अधिक मात्रा में स्टोरॉइड लेना, वहीं यहां की वातवरण की परिस्थितियां भी एक कारण हो सकती हैं। तीसरा कारण इंडस्ट्रियल ऑक्सिजन का इस्तेमाल करना, जिंक का ज्यादा इस्तेमाल होना। ये सब भी कारण हो सकते हैं लेकिन ये आब फिलहाल थ्योरी हैं कुछ भी अभी तक साबित नहीं हो सका है।

    भारत में लोगों ने लापरवाही बरती, दवाइयों के मामले में घर पर भी स्टोरॉइड लें रहे थे। ब्लैक फंगस उन मरीजों में ज्यादा देखा रहा है जिन्होंने अपना घर ध्यान रखा है या प्राइवेट अस्पताल में जिनका इलाज हुआ है। सरकारी अस्पताल में ऐसे कम मरीज देखे गए हैं।

    एलएनजेपी अस्पताल से जितने मरीज यहां से गए हैं उनमें से इक्का दुक्का मरीज ही वापस इलाज कराने आए वरना सभी मरीज बाहर के हैं।

    हालांकि जानकारी के अनुसार, इस बीमारी से निपटने के लिए डॉक्टर लिपोसोमल एंफोटेरेसिरिन बी नाम के इंजेक्शन का उपयोग करते हैं, इस दवा के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने पांच और कंपनियों को इसे बनाने का लाइसेंस दिया है।

    दूसरी ओर यह जानकारी भी सामने आ रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ये निर्देश दिए गए हैं कि, यह दवा दुनिया के जिस भी कोने में भी उपलब्ध हो, उसे तुरंत भारत लाया जाए।

  • 2:34 PM (IST) Posted by Shivanisingh

    कोरोना को जड़ से है मिटाना, तो टीका लगवाने के बाद भी कोविड अनुरूप व्यवहार को होगा अपनाना

     

  • 12:52 PM (IST) Posted by Shivanisingh

    कोरोना से करना है खुद का बचाव तो ध्यान रखें ये चीजें

  • 11:10 AM (IST) Posted by Shivanisingh

    भारत में 3,847 कोविड मौतों के साथ 2.11 लाख नए मामले सामने आए

    केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने कहा कि भारत में गुरुवार को कोविड के 2,11,298 ताजा मामले दर्ज किए, जबकि पिछले 24 घंटों में 3,847 और रोगियों ने कोरोनो के कारण दम तोड़ दिया।

    तमिलनाडु ने सबसे अधिक नए मामले दर्ज किए गए जिनमें 33,764 लोगों ने वायरस के लिए पॉजिटिव परीक्षण किया, जबकि केरल ने 28,798 नए मामले जोड़े। इस बीच, महाराष्ट्र में 1,013, कर्नाटक में 530 और तमिलनाडु में 475 मौतें हुईं। कोविड के आंकड़ों को नीचे लाने के लिए तमिलनाडु में एम.के. स्टालिन सरकार सख्त उपाय अपना रही है।

    भारत में कोविड 19 मामलों की कुल संख्या अब 2,73,69,093 है, जिसमें 24,19,907 सक्रिय मामले और अब तक 3,15,235 मौतें हो चुकी हैं।

    स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पिछले 24 घंटों में कुल 2,83,135 लोगों को डिसचार्ज किया है, जिसमें 2,46,33,951 लोग अब तक कोविड से ठीक हो चुके हैं।

    स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देश में अब तक कुल 20,26,95,874 लोगों को टीका लगाया गया है, जिनमें 18,85,805 लोगों को पिछले 24 घंटों में टीका लगाया गया है।

  • 9:44 AM (IST) Posted by Shivanisingh

    कोरोना के साथ-साथ प्रकृति के प्रति भी रहें सचेत

    कोरोना महामारी के कारण खुद की रक्षा के लिए मास्क, पीपीई किट का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन इस्तेमाल करने के बाद इसे कभी भी फेंक देते हैं। लेकिन आपको बता दें कि यह मास्क और पीपीई किट आपके पर्यावरण के लिए खतरनाक साबित हो रही हैं। जिससे आपकी सेहत पर भी बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए  पर्यावरण  के साथ खुद के स्वास्थ्य  का ध्यान रखते हुए  मास्क और पीपीई किट को बंद डिब्बे में फेंके

  • 7:46 AM (IST) Posted by Shivanisingh

    लंग्स को मजबूत बनाने के साथ ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने के लिए अपनाएं ये उपाय

    फेफड़ों को मजबूत बनाने के साथ शीर में ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने के लिए प्रोन क्रिया काफी कारगर है। जानिए करने की सही विधि।

  • 7:44 AM (IST) Posted by Shivanisingh

    होम आइसोलेशन को कब बंद करना चाहिए या चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए

    • 3 दिनों तक बुखार नहीं
    • होम आइसोलेशन अवधि समाप्त होने के बाद परीक्षण की कोई आवश्यकता नहीं है
    • सांस लेने में कठिनाई
    • छाती में लगातार दर्द/दबाव

  • 7:30 AM (IST) Posted by Shivanisingh

    कोरोना महामारी से बचने के लिए कोविड वैक्सीन के साथ इन बातों का रखें ख्याल

  • 7:13 AM (IST) Posted by Shivanisingh

    वैक्सीन लेने से पहले ध्यान रखें ये बातें

    कोरोना मरीज पूरी तरह रिकवर होने के 3 महीने बाद वैक्सीन लगवा सकते हैं। नई गाइडलाइंस के मुताबिक वैक्सीन लगवाने के पहले और वैक्सीनेशन के बाद भी कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

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