Saturday, April 27, 2024
Advertisement

शिया वक्फ बोर्ड ने कोर्ट में कहा- अयोध्या में विवादित जमीन का तिहाई हिस्सा हिंदुओं को देने को तैयार

शिया वक्फ बोर्ड ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि वह अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित जमीन का तिहाई हिस्सा मंदिर निर्माण के लिए हिंदुओं को देने को तैयार है जो इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मुस्लिम संगठनों को आवंटित किया था।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: August 30, 2019 23:00 IST
Shia Waqf Board offers to give up its share to Hindu parties- India TV Hindi
Shia Waqf Board offers to give up its share to Hindu parties

नयी दिल्ली: शिया वक्फ बोर्ड ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि वह अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित जमीन का तिहाई हिस्सा मंदिर निर्माण के लिए हिंदुओं को देने को तैयार है जो इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मुस्लिम संगठनों को आवंटित किया था। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने हिंदू पक्ष की दलीलों पर सुनवाई पूरी की।

Related Stories

इसके बाद शिया बोर्ड ने पीठ के समक्ष कहा कि बाबर का कमांडर मीर बकी शिया मुस्लिम था और बाबरी मस्जिद का पहला मुतवल्ली (देखभाल करने वाला) था। पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं। शिया वक्फ बोर्ड की ओर से वकील एम सी धींगरा ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में 16वें दिन की सुनवाई पर पीठ से कहा, ‘‘मैं हिंदू पक्ष का समर्थन कर रहा हूं।’’ 

उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने विवादित भूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटते हुए एक तिहाई हिस्सा मुसलमानों को दिया था, ना कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को और इसलिए वह इस आधार पर अपना हिस्सा हिंदुओं को देना चाहता है जिसका एक आधार यह भी है कि बाबरी मस्जिद शिया वक्फ की संपत्ति है। धींगरा ने कहा कि हिंदुओं ने जो दलीलें दी हैं, उनसे पूर्वाग्रह रखे बिना, शिया उस संपत्ति पर अधिकार का दावा नहीं करते। 1936 तक इस पर शियाओं का कब्जा था और इसके पहले तथा अंतिम मुतवल्ली शिया थे और किसी सुन्नी को कभी मुतवल्ली नियुक्त नहीं किया गया। हालांकि उन्होंने कहा कि विवादित संपत्ति शियाओं को बिना नोटिस दिये सुन्नी वक्फ के तौर पर पंजीकृत कर दी गयी और बाद में शिया बोर्ड 1946 में अदालत में इस आधार पर मामले को हार गया कि उसने एक सुन्नी इमाम नियुक्त कर लिया था। 

पीठ ने तब पूछा, ‘‘इससे क्या निकलेगा। क्या हमें यह सब देखना होगा।’’ धींगरा ने दलील दी, ‘‘मैं संपत्ति पर शिया वक्फ को अधिकार नहीं देने के उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने की अनुमति मांग रहा हूं।’’ पीठ ने कहा, ‘‘आपने 70 साल से पुराने आदेश को चुनौती देते हुए एक विशेष अनुमति याचिका दाखिल की है।’’ इससे पहले अखिल भारतीय श्री राम जन्म भूमि पुनरुद्धार समिति की ओर से वरिष्ठ वकील पी एन मिश्रा ने अपनी संक्षिप्त दलीलें रखीं और विवादित स्थल के जमीन रिकॉर्ड में हस्तक्षेप किये जाने का आरोप लगाया। समिति एक मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर एक वाद में वादी है। मिश्रा ने कहा कि जमीन पर दावे को लेकर मुसलमानों का कोई ठोस पक्ष नहीं है। 

उन्होंने कहा, ‘‘वाकिफ (वक्फ करने वाला) को जमीन का मालिक होना चाहिए। यहां बाबर जमीन का मालिक नहीं था।’’ उन्होंने कहा कि इस्लामी कानून और परंपराओं के तहत जमीन को वैध तरीके से अल्लाह को सौंपा जाना चाहिए और बाबर यह काम मीर बकी के जरिये नहीं कर सकता था क्योंकि इस्लाम में एक एजेंसी के माध्यम से जमीन सौंपना निषिद्ध है। मिश्रा ने कहा कि मस्जिद होने के लिए दिन में दो बार अजान के बाद नमाज पढ़ी जानी चाहिए, जबकि विवादित स्थल के मामले में ऐसा नहीं था। 

उन्होंने कहा, ‘‘एक मस्जिद में वजू करने के लिए पानी की टंकी होनी चाहिए और यहां ऐसा कोई बंदोबस्त नहीं था।’’ उन्होंने कहा कि मस्जिद में सजीवों की कोई तस्वीर, फूलों की डिजाइन आदि नहीं होनी चाहिए जबकि विवादित स्थल पर ये सारी चीजें थीं। मिश्रा ने कहा कि मस्जिद में घंटी नहीं होनी चाहिए। अदालत आगे की सुनवाई दो सितंबर को करेगी जब मुस्लिम पक्ष आगे की दलीलें रखेगा।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement