Thursday, March 28, 2024
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उत्तराखंड में हाथियों की संख्या बढ़कर 2026 हुई

बोर्ड की बैठक में यह भी बताया गया कि वर्ष 2020 से 2022 तक राज्य में स्नो-लैपर्ड (हिम तेंदुओं) की संख्या का आकलन भी किया जाएगा। 

Bhasha Written by: Bhasha
Published on: June 29, 2020 18:32 IST
Elephant- India TV Hindi
Image Source : AP Representational Image

देहरादून. उत्तराखंड में हाथियों की संख्या बढ़कर 2026 हो गयी है और वर्ष 2017 के मुकाबले यह 10.17 प्रतिशत बढ़ी है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में सोमवार को हुई उत्तराखण्ड राज्य वन्य जीव सलाहकार बोर्ड की बैठक में जानकारी दी गयी कि छह जून से आठ जून तक तीन दिन उत्तराखण्ड में हाथियों की गणना की गई जिसमें पाया गया कि राज्य में कुल 2026 हाथी हैं।

वर्ष 2012 में 1559 जबकि 2017 में 1839 हाथी थे और इस प्रकार वर्ष 2017 से अब तक हाथियों की संख्या में 10.17 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बैठक में बताया गया कि इसी तरह इस वर्ष 22 से 24 फरवरी तक जलीय जीवों की गणना की गई जिसमें राज्य में 451 मगरमच्छ, 77 घड़ियाल और 194 ऊदबिलाव मिले।

बोर्ड की बैठक में यह भी बताया गया कि वर्ष 2020 से 2022 तक राज्य में स्नो-लैपर्ड (हिम तेंदुओं) की संख्या का आकलन भी किया जाएगा। राज्य के 23 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र में स्नो-लैपर्ड हैं। बैठक में बताया गया कि कार्बेट बाघ अभयारण्य व राजाजी बाघ अभयारण्य में बाघों और जंगली हाथियों की धारण क्षमता का अध्ययन भारतीय वन्यजीव संस्थान से कराने के लिए प्रस्ताव प्राप्त हो गया है।

इसी प्रकार गैंडे के ‘रिइन्ट्रोडक्शन’ (यहां के लिए अन्य जगह से गैंडों को लाये जाने) के लिए स्थल उपयुक्तता रिपोर्ट मिल गई है तथा राजाजी राष्ट्रीय उद्यान की सीमा के ‘रैशनलाइजेशन’ (पुन: सीमांकन) के लिए संबंधित जिलाधिकारियों, प्रभागीय वनाधिकारियों और भारतीय वन्यजीव संस्थान के प्रतिनिधियों की एक समिति का गठन कर लिया गया है।

यहां जारी एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि बैठकों में लिए गए निर्णयों की अनुपालना समयबद्धता के साथ सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि एनएच 72-ए उत्तराखण्ड के लिए बहुत अधिक महत्व का है और इसे सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए स्वीकृतियों के लिए आवश्यक औपचारिकताओं में किसी प्रकार की देरी नहीं होनी चाहिए । 

रावत ने कहा कि कार्बेट रिजर्व व राजाजी टाईगर रिजर्व में गैंडे के ‘रिइन्ट्रोडक्शन’ का काम समयबद्ध तरीके से होना चाहिए । बैठक में गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क के अंतर्गत राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण विभिन्न मार्गों के निर्माण के लिए प्रस्तावों को अनुमति के लिए राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड को भेजे जाने पर सहमति दी गई। इसी प्रकार सौंग बांध परियोजना के निर्माण से संबंधित वन भूमि हस्तांतरण और जौलीग्रान्ट हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के लिए वन भूमि हस्तांतरण के लिए अनुमति का प्रस्ताव भी राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड को भेजा जाएगा। 

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