Thursday, April 25, 2024
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कृषि मंत्री ने किसानों से आंदोलन खत्‍म करने की अपील की, 3 दिसंबर को बातचीत के लिए किया आमंत्रित

केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ ‘दिल्ली चलो’ मार्च के तहत सिंघु बॉर्डर पर पहुंचे किसानों के एक समूह को तितर-बितर करने के लिए दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को आंसू गैस के गोले दोगे।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: November 27, 2020 22:05 IST
किसानों का दिल्ली कूच: पुलिस और किसानों में झड़प, आंसू गैस के गोले और वाटर कैनन का इस्तेमाल- India TV Hindi
Image Source : PTI किसानों का दिल्ली कूच: पुलिस और किसानों में झड़प, आंसू गैस के गोले और वाटर कैनन का इस्तेमाल

नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने नए कृषि कानूनों पर चर्चा के लिए सभी किसानों को आमंत्रित किया है। उन्होंने शुक्रवार को कहा कि कृषि क्षेत्र के विकास और किसानों के जीवन में खुशहाली लाने के लिए नए कानून की आवश्यकता थी और जो कानून सरकार ने लाए हैं उनसे किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों की समस्याओं पर बातचीत के लिए किसान नेताओं को तीन दिसंबर को आमंत्रित किया है। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि किसानों की समस्या पर बातचीत के लिए सरकार हमेशा तैयार है और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को दूसरे दौर की बातचीत के लिए 3 दिसंबर को आमंत्रित किया गया है।

इस बीच केंद्र सरकार द्वारा किसानों को दिल्ली में दाखिल होने और शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की मंजूरी देने के कदम का पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शुक्रवार को स्वागत किया। इससे पहले दिन में प्रदर्शनकारी किसानों ने दिल्ली-हरियाणा के सिंघू बॉर्डर पर पथराव किया और बैरीकेड तोड़ डाले। दिल्ली पुलिस के साथ उनका संघर्ष भी हुआ जिसने उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। पुलिस ने कहा कि किसानों को उत्तर दिल्ली के बुराड़ी में स्थित निरंकारी मैदान में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अनुमति दे दी गई है।

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वहीं, पानी की बौछारों और आंसू गैस के गोले झेलने के बावजूद पंजाब से किसानों का कुछ और जत्था शुक्रवार को हरियाणा से लगी राज्य की सीमाओं को पार कर गया। केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन के लिए निकले ये किसान दिल्ली पहुंच चुके प्रदर्शनकारियों के साथ शामिल होना चाहते हैं । हरियाणा पुलिस ने शुरुआत में किसानों को अंबाला जिले में शंभू सीमा पर राज्य में प्रवेश से रोकने की कोशिश की। इस दौरान पुलिसकर्मियों ने आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछारों का भी इस्तेमाल किया लेकिन प्रदर्शनकारी नहीं माने और अवरोधकों को हटा कर आगे निकलते गए। 

दिल्ली और हरियाणा को जोड़ने वाली सीमा पर नरेला में किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे गए। पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ हम किसानों को प्रदर्शन करने से रोकने के लिए आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल कर रहे हैं। हम उन्हें यह भी बता रहे हैं कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के मद्देनजर किसी प्रकार की रैली करने या धरना देने की अनुमति नहीं है।’’ 

अधिकारी ने कहा, ‘‘ उन्हें अनुमति नहीं दी गई और अगर उन्होंने फिर भी दिल्ली में दाखिल होने की कोशिश की तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।’’ तीस से अधिक किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले पंजाब के किसानों ने घोषणा की थी कि वे लालडू, शंभु, पटियाला-पिहोवा, पातरां-खनौरी, मूनक-टोहाना, रतिया-फतेहाबाद और तलवंडी-सिरसा मार्गों से दिल्ली की ओर रवाना होंगे। सभी सीमाओं पर तनाव कायम है। प्रदर्शन के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी सीमाओं से लगे कई स्थानों पर यातायात का मार्ग बदल दिया गया है। दिल्ली-गुड़गांव सीमा पर वाहनों की तलाशी भी बढ़ा दी गई है, जिससे वहां जाम लग गया है। दिल्ली-गुड़गांव सीमा पर सीआईएसएफ के कर्मियों को भी तैनात किया गया है।

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दिल्ली यातायात पुलिस ने ट्वीट कर लोगों से रिंग रोड, मुकरबा चौक, जीटीके रोड, एनएच- 44 और सिंघु बॉर्डर की बजाय दूसरे रास्तों से गुजरने की अपील की। उसने कहा, ‘‘ अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की रैली /मार्च/प्रदर्शन के मद्देनजर यातायात पुलिस मुकरबा चौक और जीटीके मार्ग से यातायात को परिवर्तित कर रही है।’’ दिल्ली यातायात पुलिस ने यह भी बताया कि टीकरी बॉर्डर पर भी स्थानीय पुलिस ने यातायात को पूरी तरह रोक दिया है। सीमा पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और रेत से भरे ट्रक तथा पानी के टैंक भी वहां तैनात हैं। 

प्रदर्शनकारियों को शहर में प्रवेश करने से रोकने के लिए सिंघु बॉर्डर पर बाड़ लगाने के लिए कांटेदार तार का भी उपयोग किया गया है। ‘दिल्ली चलो’ मार्च के लिए किसान अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों पर राशन और अन्य आवश्यक सामान के साथ एकत्रित हो गए हैं। हरियाणा सरकार ने किसानों को प्रदर्शन के लिए एकत्रित होने से रोकने के लिए कई इलाकों में सीआरपीसी की धारा 144 भी लागू कर दी है। किसान नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि नये कानून से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था समाप्त हो जाएगी। 

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