मुंबई: महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना ने केन्द्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर बीते 11 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों द्वारा आठ दिसंबर को बुलाए गए भारत बंद को रविवार को अपना समर्थन दे दिया। राज्यसभा सदस्य अनिल देसाई ने रविवार रात को बताया, ''शिवसेना के अध्यक्ष तथा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे किसान-विरोधी तथा श्रमिक-विरोधी केन्द्रीय कानूनों के खिलाफ हैं। हम भारत बंद का समर्थन करते हैं।''
इससे पहले दिन में शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के नेता प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने मुंबई में मुख्यमंत्री ठाकरे से मुलाकात की। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि ठाकरे ने किसानों के प्रदर्शन को लेकर अकाली दल के रुख का समर्थन किया है। बता दें कि राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर डटे हजारों किसानों के प्रतिनिधियों ने कृषि कानूनों के खिलाफ आठ दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है।
दिल्ली की सीमाओं पर बैठ किसान कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम- 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम- 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम- 2020 का विरोध कर रहे हैं। किसानों की मांग है कि इन तीनों कानूनों को वापस लिया जाए।
किसानों का दावा है कि ये कानून उनकी फसलों की बिक्री को विनियमन से दूर करते हैं। किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र द्वारा हाल ही में लागू किए गये कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी। उनकी दलील है कि कालांतर में बड़े कॉरपोरेट घराने अपनी मर्जी चलायेंगे और किसानों को उनकी उपज का कम दाम मिलेगा।
किसानों को डर है कि नए कानूनों के कारण मंडी प्रणाली के एक प्रकार से खत्म हो जाने के बाद उन्हें अपनी फसलों का समुचित दाम नहीं मिलेगा।ऐसे में नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का आज रविवार (6 दिसंबर) को 11वां दिन है। शनिवार को किसान नेताओं और सरकार के बीच हुई 5वें दौर की बैठक भी बेनतीजा रही।
शनिवार को करीब 5 घंटे चली बैठक में सरकार और किसान अपने-अपने पक्ष पर अड़े रहे लेकिन बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला। फिर तय हुआ कि अब किसानों और सरकार के बीच 9 दिसंबर को बातचीत होगी। अब सबकी निगाहें अब 9 दिसंबर को सरकार के साथ होने वाली किसानों की बातचीत पर भी टिकी हैं। हालांकि, इससे पहले 8 दिसंबर को किसानों का प्रस्तावित भारत बंद है।