Saturday, April 20, 2024
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अयोध्या मामले के कारण कश्मीर पर सुनवाई का समय नहीं: सुप्रीम कोर्ट

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को दूसरी संविधान पीठ के पास भेज दिया। इनमें केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद-370 को हटाने की वैधता को चुनौती दी गई है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: October 01, 2019 7:38 IST
अयोध्या मामले के कारण कश्मीर पर सुनवाई का समय नहीं: सुप्रीम कोर्ट- India TV Hindi
अयोध्या मामले के कारण कश्मीर पर सुनवाई का समय नहीं: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को दूसरी संविधान पीठ के पास भेज दिया। इनमें केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद-370 को हटाने की वैधता को चुनौती दी गई है। खंडपीठ ने कहा कि अयोध्या विवाद मामले की सुनवाई के कारण उसके पास इन मामलों की सुनवाई के लिए समय नहीं है।

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इसके बाद गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने दूसरी संविधान पीठ के पास याचिकाएं भेज दी। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी, बाल अधिकार कार्यकर्ता एनाक्षी गांगुली, कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन, डॉ. समीर कौल और मलेशिया के एनआरआई कारोबारी की पत्नी आसिफा मुबीन की ओर से ये याचिकाएं दायर की गई हैं।

पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ का नेतृत्व न्यायमूर्ति एन. वी. रमना कर रहे हैं। अब इस मामले की सुनवाई अक्टूबर के पहले सप्ताह से शुरू होगी। ये याचिकाएं कश्मीर घाटी में आवाजाही पर रोक और इंटरनेट पर प्रतिबंध सहित विभिन्न मुद्दों से संबंधित हैं।

आजाद की याचिका में उनके रिश्तेदारों से मिलने और उनका हालचाल लेने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया है, जबकि येचुरी ने अपनी पार्टी के सहयोगी और माकपा नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी की नजरबंदी को चुनौती दी है।

बाल अधिकार कार्यकर्ता गांगुली और प्रोफेसर शांता सिन्हा द्वारा दायर याचिका में जम्मू-कश्मीर में बच्चों की नजरबंदी से संबंधित महत्वपूर्ण सवाल उठाए गए हैं।

इसके साथ ही मुबीन अहमद शाह की पत्नी आसिफा मुबीन ने जम्मू-कश्मीर पब्लिक सेफ्टी एक्ट-1978 की धारा 8 (1) (ए) के तहत सात अगस्त को नजरबंदी के आदेश को रद्द करने की मांग करते हुए याचिका दायर की है। इसमें कहा गया है कि उनके पति फिलहाल आगरा सेंट्रल जेल में बंद हैं और उन्हें उनकी स्वतंत्रता से गलत तरीके से वंचित किया गया है।

समीर कौल ने जम्मू-कश्मीर के अस्पतालों में इंटरनेट सुविधाओं की बहाली के लिए याचिका दायर की है, जबकि पत्रकार भसीन ने घाटी में मीडिया की आवाजाही की अनुमति मांगी है।

इसके साथ ही तारिगामी द्वारा दायर ताजा याचिकाओं को भी टैग किया गया है। इन याचिकाओं में राज्य का विभाजन करते हुए इन्हें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के फैसले को भी चुनौती दी गई है।

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