Thursday, May 02, 2024
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अनुच्छेद 370 पर फैसले की आलोचना पर टिप्पणी से CJI चंद्रचूड़ का इनकार, बोले- न्यायाधीश किसी भी मामले में...

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने पीटीआई-भाषा के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि न्यायाधीश अपने निर्णय के माध्यम से अपनी बात कहते हैं जो फैसले के बाद सार्वजनिक संपत्ति बन जाती है।

Subhash Kumar Edited By: Subhash Kumar @ImSubhashojha
Updated on: January 02, 2024 11:16 IST
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़।- India TV Hindi
Image Source : PTI मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़।

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370  को निरस्त करने संबंधी केंद्र के फैसले को उच्चतम न्यायालय की ओर से बरकरार रखा था। शीर्ष अदालत के इस सर्वसम्मत निर्णय की कुछ हलकों में आलोचना हो रही थी। अब मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने इन आलोचनाओं पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा है कि न्यायाधीश किसी भी मामले में निर्णय संविधान एवं कानून के अनुसार करते हैं।

स्वतंत्र समाज में लोग राय बना सकते हैं

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने पीटीआई-भाषा के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि न्यायाधीश अपने निर्णय के माध्यम से अपनी बात कहते हैं जो फैसले के बाद सार्वजनिक संपत्ति बन जाती है। उन्होंने कहा कि एक स्वतंत्र समाज में लोग हमेशा इसके बारे में अपनी राय बना सकते हैं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि जहां तक ​​हमारा सवाल है तो हम संविधान और कानून के मुताबिक फैसला करते हैं। मुझे नहीं लगता कि मेरे लिए आलोचना का जवाब देना या अपने फैसले का बचाव करना उचित होगा।

निर्णय सुनाए जाने के बाद ये राष्ट्र की संपत्ति

प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि किसी मामले की सुनवाई करने वाले न्यायाधीश अपने निर्णय के माध्यम से अपनी बात रखते हैं। एक बार निर्णय सुनाए जाने के बाद वह निर्णय देश की सार्वजनिक संपत्ति बन जाता है। जब तक कोई फैसला नहीं सुनाया जाता तब तक प्रक्रिया उन न्यायाधीशों तक ही सीमित रहती है जो उस मामले के फैसले में शामिल होते हैं। एक बार जब हम किसी निर्णय पर पहुंच जाते हैं और फैसला सुना दिया जाता है तो यह सार्वजनिक संपत्ति है। यह राष्ट्र की संपत्ति है। हम एक स्वतंत्र समाज हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पास एक संविधान है जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करता है। इसलिए लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपने अधिकार का इस्तेमाल करने के हकदार हैं।

क्या था कोर्ट का फैसला?

सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसंबर को पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को रद्द करने के 2019 के फैसले को सर्वसम्मति से बरकरार रखा था। न्यायालय ने 30 सितंबर, 2024 तक जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने का आदेश देते हुए कहा था कि उसका राज्य का दर्जा “जल्द से जल्द” बहाल किया जाए। (इनपुट: भाषा)

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