Monday, April 29, 2024
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कोर्ट ने गैंगरेप के आरोपों से महिला के ससुराल पक्ष को किया बरी, बाप-बेटी के खिलाफ FIR दर्ज करने को कहा

​जज ने IPC की धारा 376 डी, 498 ए और 506 के तहत लगाए गए आरोपों में महिला के पति सहित ससुर और महिला की ननद को बरी कर दिया।

Vineet Kumar Singh Edited By: Vineet Kumar Singh @JournoVineet
Published on: May 18, 2023 7:05 IST
Fake Gangrape Case, Court Fake 498 A Case, Fake Domestic Violence Case- India TV Hindi
Image Source : PIXABAY REPRESENTATIONAL दिल्ली की अदालत ने महिला और उसके पिता के खिलाफ FIR दर्ज करने को कहा है।

नयी दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने एक महिला के ससुराल पक्ष के लोगों और पति को गैंगरेप और क्रूरता के आरोपों से बरी कर दिया। इसके साथ ही अदालत ने दिल्ली पुलिस को झूठे आरोप लगाने को लेकर शिकायतकर्ता पिता-पुत्री के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आंचल 3 आरोपियों, महिला के पति, ससुर और ननद के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रही थीं। इन तीनों के खिलाफ 2014 में जनकपुरी पुलिस स्टेशन में IPC की विभिन्न धाराओं के तहत कई अपराधों के लिए FIR दर्ज की गई थी।

3 महीने के भीतर रिपोर्ट दायर करने को कहा

जज ने IPC की धारा 376 डी (गैंगरेप), 498 ए (पति या पति के रिश्तेदार द्वारा महिला के साथ क्रूरता) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत लगाए गए आरोपों में महिला के पति सहित ससुर और महिला की ननद को बरी कर दिया। जज ने आगे कहा कि अभियोजन पक्ष 3 अभियुक्तों के खिलाफ अपराध साबित करने में ‘बुरी तरह नाकाम’ रहा। उन्होंने 29 अप्रैल को पारित एक आदेश में कहा, ‘जनकपुरी के एक पुलिस निरीक्षक को कोर्ट के फैसले के बाद 24 घंटे के भीतर IPC की धारा 211 (चोट पहुंचाने के इरादे से किए गए अपराध का झूठा आरोप) के तहत FIR दर्ज करने का निर्देश दिया है और इस मामले की विस्तृत जांच रिपोर्ट संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष 3 महीने के भीतर दायर करने के लिए कहा।’

‘पति, ननद की मौजूदगी में ससुर ने किया रेप’
अदालत के आदेश को बुधवार को सार्वजनिक किया गया था। जज आंचल ने कहा कि महिला ने आरोप लगाया था कि उसके ससुर ने उसके पति और उसकी ननद की उपस्थिति में उसके साथ रेप किया था। महिला और उसके पिता की निंदा करते हुए कोर्ट ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि यह आरोप जानबूझकर लगाया गया है क्योंकि महिला के पिता एक वकील थे और महिला खुद कानून में स्नातक थी। इस बैकग्राउंड के साथ यह अदालत खुद महसूस करती है कि वे लोग जो इनकी तुलना में प्रावधानों और कानून के कम जानकार है, 8 सालों से भी ज्यादा समय तक इन आरोपों का सामना करते रहे।’

जज ने शिकायतकर्ता बाप-बेटी को लताड़ा
जज ने कहा, ‘भारतीय समाज में, पिता और पुत्री के बीच यौन संबंध के बारे में एक-दूसरे से बात तक नहीं करते हैं और इन चीजों से दूरी बनाए रखने को सम्मान का प्रतीक मानते हैं लेकिन दुर्भाग्य से यहां लगाए गए आरोपों के साथ महिला और उसके पिता ने इस रिश्ते पर भी हमला किया।’ उन्होंने कहा कि पूरी कानून प्रणाली पीड़िता के बयान को एक 'गवाह' के रूप में मानती थी और उसे महत्व देती थी, लेकिन उसने अपने पिता के साथ ‘सबूतों की उदार व्याख्या और मूल्यांकन का भी फायदा उठाया।’ जज ने कहा कि शिकायतकर्ता और उसके पिता के खिलाफ झूठे आरोप लगाने को लेकर प्राथमिकी दर्ज की जाए। 

इन धाराओं में दर्ज हुआ था मुकदमा
गौरतलब है कि महिला और उसके पिता के आरोपों के बाद जनकपुरी पुलिस थाने ने महिला पति के खिलाफ क्रूरता, आपराधिक विश्वासघात, स्वेच्छा से चोट पहुंचाने, गलत तरीके से बंधक बनाने, आपराधिक धमकी और सामान्य इरादे के अपराधों के लिए FIR दर्ज की थी। ससुराल वालों पर IPC की धारा 408 ए, 406, 323, 342, धारा 506, 34 और 376 डी के तहत अपराध का आरोप लगाया गया था। (भाषा)

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