Friday, May 10, 2024
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Hijab Ban Case: "सरकार के आदेश में जिस तरह हिजाब का विरोध किया गया है, उसका कोई आधार नहीं"

Hijab Ban Case: धवन ने कहा कि कर्नाटक हाई कोर्ट का यह निष्कर्ष हैरान करने वाला है कि चूंकि न पहनने पर दंड का प्रावधान नहीं है, इसलिए हिजाब अनिवार्य नहीं है।

Malaika Imam Edited By: Malaika Imam
Updated on: September 14, 2022 21:21 IST
Hijab Ban Case- India TV Hindi
Image Source : PIXABAY Hijab Ban Case

Highlights

  • 'हिजाब पूरे देश में पहना जाता है'
  • 'इस प्रथा की अनुमति दी जानी चाहिए'
  • 'यह अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है'

Hijab Ban Case: याचिकाकर्ताओं ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इस्लामी धार्मिक ग्रंथ के मुताबिक हिजाब पहनना 'फर्ज' (कर्तव्य) है और अदालतें इसकी अनिवार्यता नहीं समझ सकतीं। कुछ याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष कहा कि बिजो इमैनुएल मामले में शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला देते हुए एक बार जब यह बताया गया कि हिजाब पहनना एक वास्तविक प्रथा है, तब इसकी अनुमति दी गई थी।

धवन ने कहा कि कर्नाटक हाई कोर्ट का यह निष्कर्ष हैरान करने वाला है कि चूंकि न पहनने पर दंड का प्रावधान नहीं है, इसलिए हिजाब अनिवार्य नहीं है। पीठ ने धवन से सवाल किया कि अगर अदालतें ऐसे मामलों को समझ नहीं सकतीं, तब कोई विवाद पैदा होगा, तो कौन सा मंच इसका फैसला करेगा? धवन ने कहा कहा कि हिजाब पूरे देश में पहना जाता है और जब तक यह वास्तविक और प्रचलित है, इस प्रथा की अनुमति दी जानी चाहिए और इससे धार्मिक पाठ को संदर्भित करने की कोई जरुरत नहीं है।

'यदि कुछ का पालन किया जाता है, तो इसकी अनुमति भी दी जानी चाहिए'

धवन ने तर्क दिया कि आस्था के सिद्धांतों के अनुसार, यदि कुछ का पालन किया जाता है, तो इसकी अनुमति भी दी जानी चाहिए। अगर इसमें किसी समुदाय की आस्था साबित हो जाती है, तो एक न्यायाधीश उस आस्था को स्वीकार करने के लिए बाध्य होता है। उन्होंने केरल हाई कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि कुरान के आदेशों और हदीसों के विश्लेषण से पता चलता है कि सिर ढकना एक 'फर्ज' है। पीठ ने पूछा, इसे फर्ज कहने का आधार क्या है? जस्टिस गुप्ता ने धवन से कहा, "आप चाहते हैं कि हम वो न करें जो केरल हाई कोर्ट ने किया है?" उन्होंने जवाब दिया, "यदि धार्मिक पाठ की व्याख्या की जाए, तो इसका उत्तर मिलेगा कि यह फर्ज है, और यदि यह एक अनुष्ठान है जो प्रचलित है और प्रामाणिक है, तो यह आपके प्रभुत्व में है कि इसकी अनुमति दें।" 

Supreme Court

Image Source : FILE PHOTO
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'यह कहने का आधार क्या था कि कक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति नहीं दी जा सकती?'

धवन ने आगे कहा कि केरल मामले में बोर्ड द्वारा दिया गया तर्क था कि यह 2016 में अखिल भारतीय प्री मेडिकल टेस्ट (एआईपीएमटी) में कदाचार को रोकने का एक उपाय था, लेकिन कर्नाटक मामले में कोई तर्क नहीं दिया गया था। उन्होंने कहा कि जब सार्वजनिक स्थानों पर हिजाब पहनने की अनुमति थी, तो यह कहने का आधार क्या था कि कक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति नहीं दी जा सकती?

धवन ने अपनी दलील खत्म करते हुए कहा कि सरकार के आदेश में जिस तरह हिजाब का विरोध किया गया है, उसका कोई आधार नहीं है। यह अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है और संविधान इसकी अनुमति नहीं देता। शीर्ष अदालत कर्नाटक हाई कोर्ट के 15 मार्च के फैसले के खिलाफ 5वें दिन सुनवाई कर रही थी, जिसमें प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों में हिजाब पर प्रतिबंध को बरकरार रखा गया है।

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