
नोबेल पुरस्कार से सम्मानित महान भारतीय वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा की मौत 24 जनवरी 1966 में हुई थी। इस समय वह भारत के परमाणु कार्यक्रम की अगुआई कर रहे थे। उनकी उम्र 56 साल थी। उनका विमान हादसे का शिकार हुआ था, जिसमें भाभा सहित 117 लोग मारे गए थे। रतन टाटा ने होमी जहांगीर भाभा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा था कि उन्हें जीवन में तीन महान हस्तियों को जानने का मौका मिला। महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू और होमी जहांगीर भाभा। इनमें से सिर्फ भाभा को ही 'कंप्लीट मैन' कहा जा सकता है।
परमाणु बम बनाना चाहते थे भाभा
होमी जहांगीर भाभा को कॉस्मिक किरणों पर काम करने के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था। हालांकि, उन्होंने अपने करियर के चरम पर परमाण बम पर काम किया। वह भारत में परमाणु बम बनाना चाहते थे। जवाहरलाल नेहरू के समय में ही उन्होंने इस पर काम शुरू कर दिया था। लाल बहादुर शास्त्री को भी उन्होंने ही परमाणु बम बनाने के लिए मनाया था। हालांकि, बम का परीक्षण होने से पहले ही उनकी मौत हो गई और लगभग आठ साल बाद राजा रमन्ना और होमी सेठना ने मई 1974 में परमाणु बम का परीक्षण किया।
कैसे हुई थी भाभा की मौत?
होमी जहांगीर भाभा को इंदिरा गांधी ने अहम पद का ऑफर दिया था। अंदाजा लगाया जाता है कि भाभा को कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता था और वह मुंबई से दिल्ली शिफ्ट होने वाले थे। उन्होंने विएना से वापस आने के बाद यह पद स्वीकार करने की बात कही थी। विएना का टिकट कराने के बाद उन्होंने अपनी मित्र पिप्सी वाडिया के कारण विएना की यात्रा एक दिन लेट कर दी थी और उनका प्लेन हादसे का शिकार हो गया। इस प्लेन का मलबा कभी नहीं मिला। ब्लैक बॉक्स तक नहीं पाया गया। एक किताब में दावा किया गया कि सीआईए ने प्लेन में बम रखवाया था। क्योंकि अमेरिका नहीं चाहता था कि भारत परमाणु शक्ति बने। हालांकि, फ्रेंच जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारी बर्फबारी के बीच पायलट और एयर ट्रैफिक कंट्रोलर के बीच गलतफहमी के चलते हादसा हुआ था। भारत ने यह रिपोर्ट स्वीकार कर ली थी।
भाभा की मौत में अमेरिका का हाथ?
किताब 'कन्वरसेशन विद द क्रो' में पूर्व सीआईए अधिकारी रॉबर्ट क्रॉली और पत्रकार ग्रेगरी डगलस के बीच बातचीत का जिक्र किया गया है। इस किताब में क्रॉली के हवाले से कहा गया है कि भारत के परमाणु कार्यक्रम से अमेरिका नाराज था। पाकिस्तान के साथ युद्ध के बीच भारतीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने डॉ भाभा से कुछ बड़ा करने के लिए कहा था, लेकिन कैबिनेट की मंजूरी से पहले बम का परीक्षण करने से मना किया था। ऐसे में सीआईए ने पहले शास्त्री और फिर भाभा की मौत की साजिश रची। ताकि भारत में परमाणु परीक्षण रोका जा सके। डॉ भाभा बोइंग 707 विमान से यात्रा कर रहे थे। किताब के अनुसार इस विमान के कार्गो होल्ड में बम रखा गया था, जिसके फटने से प्लेन हादसे का शिकार हुआ। हालांकि, एक व्यक्ति को मारने के लिए 116 अन्य लोगों को मारने का प्लान समझ से परे है। इसी वजह से इस किताब को विश्वसनीय नहीं माना जाता है।