श्रीहरिकोटा: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने एक ऐतिहासिक मिशन के तहत अब तक के सबसे भारी प्रक्षेपण यान ‘एलवीएम-3 एम-6’ ने एक अमेरिकी कम्यूनिकेशन सैटेलाइट ‘ब्लूबर्ड ब्लॉक-2’ को उसकी निर्धारित कक्षा में बुधवार को सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया। हालांकि इसे अपने निर्धारित लॉन्चिंग टाइम से करीब डेढ़ मिनट की देरी से लॉन्च किया गया। 90 सेकेंड की अगर देरी नहीं होती तो इस मिशन में बड़ी बाधा आ सकती थी।
जानकारी के मुताबिक लॉन्च के निर्धारित समय से ठीक पहले ISRO के रडार और निगरानी तंत्र ने पाया कि रॉकेट के तय रास्ते (Flight Path)में अंतरिक्ष मलबे (space debris) का टुकड़ा आ सकता है। इस टुकड़े की सैटेलाइट से टक्कर न हो, इससे बचने के लिए लॉन्चिंग में 90 सेकेंड की देरी की गई।
अंतरिक्ष अभियान में COLA क्या है?
अंतरिक्ष अभियान में इसे Collision Avoidance Analysis (COLA) कहा जाता है। दरअसल, स्पेस में हजारों की संख्या में पुराने सैटेलाइट्स और रॉकेटों के टुकड़े (Space Debris) घूम रहे हैं। अगर ISRO यह 90 सेकंड की देरी नहीं करता, तो करोड़ों का मिशन और रॉकेट इस मलबे से टकराकर तबाह हो सकता था।
चंद्रयान-2 के समय भी टला था लॉन्च
यह पहली बार नहीं है जब इसरो ने सुरक्षा कारणों से ऐसे कड़े फैसले लिए हों। इससे पहले चंद्रयान-2 के समय भी तकनीकी खराबी (प्रेशर लीकेज) के कारण लॉन्च को टाला गया था। विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरिक्ष में बढ़ता कचरा (Space Junk) भविष्य के मिशनों के लिए बड़ी चुनौती है, और आज की 90 सेकंड की देरी इसरो की सतर्कता और परिपक्वता का प्रमाण है।
अब तक का सबसे भारी पेलोड
बता दें कि यह ISRO के 'बाहुबली' रॉकेट LVM3 के इतिहास का अब तक का सबसे भारी पेलोड है, जिसका वजन लगभग 6,100 किलोग्राम (6.1 टन) है। अंतरिक्ष में तैनात होने के बाद, इस सैटेलाइट का एंटीना (Phased Array) लगभग 2,400 वर्ग फुट (223 वर्ग मीटर) का होगा, जो लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में किसी भी कमर्शियल सैटेलाइट का सबसे बड़ा एंटीना है।
मिशन का उद्देश्य
‘ब्लूबर्ड ब्लॉक-2’ मिशन का उद्देश्य उपग्रह के जरिए सीधे मोबाइल कनेक्टिविटी उपलब्ध कराना है। यह नेटवर्क कहीं भी, कभी भी, सभी के लिए 4जी और 5जी वॉयस-वीडियो कॉल, संदेश, स्ट्रीमिंग और डेटा सेवाएं उपलब्ध कराएगा। प्रक्षेपण यान एलवीएम-3 एम-6 को ‘बाहुबली’ के नाम से भी जाना जाता है। यह मिशन ‘न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड’ (एनएसआईएल) और अमेरिका स्थित एएसटी स्पेसमोबाइल के बीच हुए वाणिज्यिक समझौते के तहत संचालित किया गया। एनएसआईएल, इसरो की वाणिज्यिक इकाई है।