Monday, April 29, 2024
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Mudhol Hound: प्रधानमंत्री की सुरक्षा में तैनात होंगे मुधोल हाउंड, जानें क्यों हैं इस डॉग के मोदी भी फैन

Mudhol Hound: उत्तरी कर्नाटक के केनाइन रिसर्च एंड इंफॉर्मेशन सेंटर से दो देसी नस्ल के कुत्ते मुधोल हाउंड को विशेष सुरक्षा समूह (SPG) में शामिल किया जा सकता है। जो भारत के प्रधानमंत्री की रक्षा करने वाला सबसे सर्वश्रेष्ठ बल होता है।

Ravi Prashant Written By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Updated on: August 20, 2022 13:04 IST
 Mudhol Hound- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Mudhol Hound

Highlights

  • अपने शिकार और रखवाली कौशल के लिए जाने जाते हैं
  • मुधोल हाउंड कुत्तों को प्रशिक्षित किया गया है
  • सीआईएसएफ और एनएसजी के डॉग स्क्वायड में शामिल किया गया है

 Mudhol Hound: उत्तरी कर्नाटक के केनाइन रिसर्च एंड इंफॉर्मेशन सेंटर से दो देसी नस्ल के कुत्ते मुधोल हाउंड को विशेष सुरक्षा समूह (SPG) में शामिल किया जा सकता है। जो भारत के प्रधानमंत्री की रक्षा करने वाला सबसे सर्वश्रेष्ठ बल होता है। कुत्ते पहले से ही भारतीय सशस्त्र बलों और कुछ अर्धसैनिक बलों में शामिल हैं। अब एसपीजी का हिस्सा बनने वाली पहली स्वदेशी नस्ल के कुत्ते बन सकते हैं। एसपीजी अधिकारियों ने अप्रैल में कर्नाटक के बागलकोट जिले के थिम्मापुर में कैनाइन रिसर्च एंड इंफॉर्मेशन सेंटर का दौरा किया था। उसी दौरान दो नर कुत्तों अपने दस्ते में शामिल करने के लिए इच्छा जताई थी।

प्रधानमंत्री ने इन कुत्तों का क्यों किया था जिक्र ?

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने मुधोल हाउंड्स का जिक्र 6 मई, 2018 को किया था। इसके बाद से राष्ट्रीय सुर्खियां बटोरीं थी।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बागलकोट जिले के जामखंडी में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि कांग्रेस को लेकर कहा था कि राष्ट्रवाद ये बीमार पड़ जाते हैं अगर सीखने के लिए बागलकोट के मुधोल कुत्ते राष्ट्रवाद भरे होते हैं। आगे उन्होंने कहा कि ये कुत्ते बटालियन के साथ राष्ट्र की रक्षा के लिए बाहर जा रहे थे"। वही अगस्त 2020 में अपने मन की बात संबोधन में के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि ये कुत्ते हर आपादों में खड़े होते हैं, सेना के हर मिशन के लिए तैयार होते हैं। उन्होंने भारतीय नस्ल के कुतों की काफी प्रशंसा की। भारतीय नस्लों में मुधोल हाउंड और हिमाचली हाउंड उत्कृष्ट वंशावली के हैं," उन्होंने कहा कि “राजपलायम, कन्नी, चिप्पीपराई और कोम्बाई शानदार भारतीय नस्लें हैं। उन्हें पालने में कम लागत आती है और वे भारतीय पर्यावरण और परिवेश के लिए बेहतर रूप से अनुकूलित होते हैं। ”मोदी ने कहा कि सुरक्षा एजेंसियां ​​इन भारतीय नस्लों को शामिल कर रही हैं। “हाल के दिनों में, मुधोल हाउंड कुत्तों को प्रशिक्षित किया गया है। सेना, सीआईएसएफ और एनएसजी के डॉग स्क्वायड में शामिल किया गया है। कोम्बाई कुत्तों को सीआरपीएफ ने शामिल किया है। साथ ही उन्होंने कहा कि "भारतीय नस्ल के कुत्तों को बेहतर और अधिक लाभकारी बनाने के उद्देश्य से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा भी शोध किया जा रहा है।" उन्होंने लोगों से कहा कि एक भारतीय नस्ल के कुत्ते जरूर घर लाए। "

क्या है इन कुत्तों का इतिहास?
मुधोल हाउंड के लक्षण अपने शिकार और रखवाली कौशल के लिए जाना जाता है, ये विशेष रूप से दुबले-पतले होते हैं। ये मुधोल हाउंड बागलकोट में पाए जाते हैं। इन कुत्तों का इतिहास इसी भुमि से जुड़ा है। कुत्ते तेज रफ्तार के साथ दौड़ लगाते हैं, उत्कृष्ट सहनशक्ति और चपलता होते हैं। इनकी देखनी की क्षमता काफी दुर तक होती है और किसी भी चीज को सुंघकर निकाल देते हैं। इनकी सुंघने की ताकत का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। ऐसा कहा जाता है कि राजा ने इंग्लैंड की यात्रा पर किंग जॉर्ज पंचम को इन कुत्तों की एक जोड़ी भेंट की थी, जिसके बाद नस्ल को मुधोल हाउंड का नाम मिला। भारतीय सेना में कमीशनिंग उनके पास विशिष्ट गुणों के लिए भारतीय सेना ने फरवरी 2016 में मेरठ में अपने रिमाउंट और पशु चिकित्सा कोर (आरवीसी) प्रशिक्षण केंद्र में मुधोल हाउंड पिल्लों का एक बैच लिया। यह पहली बार था कि आरवीसी केंद्र में एक स्वदेशी नस्ल को प्रशिक्षित किया गया था। जिसका लैब्राडोर और जर्मन शेफर्ड जैसी विदेशी नस्लों को प्रशिक्षित करने का एक लंबा इतिहास है 

ठंड प्रदेशों के लिए क्यों नहीं बने? 
सेना के अधिकारियों ने कहा कि प्रशिक्षण के लिए शामिल किए गए आठ कुत्तों में से छह को श्रीनगर स्थित मुख्यालय 15 कोर और नगरोटा स्थित मुख्यालय 16 कोर के साथ क्षेत्र मूल्यांकन और उपयुक्तता परीक्षण के लिए चुना गया था। फील्ड ट्रायल अभी संपन्न हुआ है और इन कुत्तों को मैदान में संभालने के अनुभव के आधार पर ट्रायल रिपोर्ट तैयार की जा रही है। कुत्तों को आर्मी डॉग यूनिट में शामिल किया जाएगा। परीक्षण रिपोर्ट की पूरी तरह से जांच की गई थी। इन कुत्तों को केवल विस्फोटकों का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। उन्हें गार्ड ड्यूटी, खोज और बचाव या ट्रैकिंग कामों के लिए प्रशिक्षित नहीं किया गया है। कुत्तों के प्रशिक्षण के पहलुओं से परिचित एक अधिकारी ने कहा कि हाउंड्स उग्रवाद रोधी अभियानों में इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेज (आईईडी) का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। ये कुत्ते ठंडे वातावरण में कम एक्टिव रहते हैं क्योंकि ये कुत्ते गर्म जलवायु क्षेत्र से संबंध रखते हैं। ऐसे में ठड़ प्रदेशों में ये कुत्ते अपनें कामों पूरी तरह से करने में असर्मथ हो सकते हैं। 

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