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PMO का नाम बदला, अब सेवा तीर्थ के नाम से जाना जाएगा, राजभवनों का नाम लोकभवन किया गया

प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) का नाम बदल दिया गया है। अब इसे सेवा तीर्थ के नाम से जाना जाएगा। वहीं देश भर के राजभवनों के नाम भी बदले गए हैं। अब राजभवनों को लोकभवन के नाम से जाना जाएगा।

Reported By : Nirnay Kapoor Edited By : Niraj Kumar Published : Dec 02, 2025 04:12 pm IST, Updated : Dec 02, 2025 04:59 pm IST
नरेंद्र मोदी,...- India TV Hindi
Image Source : PTI नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) का नाम बदल दिया गया है। अब इसे सेवा तीर्थ के नाम से जाना जाएगा। वहीं देश भर के राजभवनों के नाम भी बदले गए हैं। अब राजभवनों को लोकभवन के नाम से जाना जाएगा।

बदलाव सिर्फ़ प्रशासनिक नहीं, सांस्कृतिक भी है

पीएमओ की ओर से बताया गया कि भारत के पब्लिक इंस्टीट्यूशन्स में एक गहरा बदलाव हो रहा है। गवर्नेंस का आइडिया सत्ता से सेवा और अथॉरिटी से ज़िम्मेदारी की ओर बढ़ रहा है। यह बदलाव सिर्फ़ प्रशासनिक नहीं है बल्कि यह सांस्कृतिक नैतिक भी है। बता दें कि पीएमओ अब अपने 78 साल पुराने साउथ ब्लॉक से निकलकर "सेवा तीर्थ' वाले नए एडवांस कैंपस में शिफ्ट होने जा रहा है। यह बदलाव सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास प्रोज्क्ट का बड़ा हिस्सा है।

राजपथ, पीएम आवास का भी बदला था नाम

इससे पहले केंद्र सरकार ने राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ किया था। पीएमओ के मुताबिक यह सड़क अब एक मैसेज देती है। पावर कोई हक नहीं है। यह एक ड्यूटी है। वहीं प्रधानमंत्री के आवास का नाम भी 2016 में बदला गया था। पहले पीएम का आधिकारिक निवास रेस कोर्स रोड कहलाता था लेकिन 2016 में इसे बदलकर लोक कल्याण मार्ग किया गया गया। यह नाम लोक कल्याण की भावना को रेखांकित करता है। अधिकारियों के मुताबिक यह नाम कल्याण का बोध कराता है, न कि विशिष्टता का, तथा यह प्रत्येक निर्वाचित सरकार के भविष्य के कार्यों की याद दिलाता है।

अधिकारियों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में शासन के क्षेत्रों को ‘कर्तव्य’ और पारदर्शिता को प्रतिबिंबित करने के लिए नया रूप दिया गया है।  केन्द्रीय सचिवालय का नाम कर्तव्य भवन है, जो एक विशाल प्रशासनिक केंद्र है, जिसका निर्माण इस विचार के इर्द-गिर्द किया गया है कि सार्वजनिक सेवा एक प्रतिबद्धता है। अधिकारियों ने कहा, ‘‘ये बदलाव एक गहरे वैचारिक परिवर्तन का प्रतीक हैं। भारतीय लोकतंत्र सत्ता की बजाय जिम्मेदारी और पद की बजाय सेवा को चुन रहा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘नामों में बदलाव मानसिकता में भी बदलाव है। आज, वे सेवा, कर्तव्य और नागरिक-प्रथम शासन की भाषा बोलते हैं।’’

राजभवनों के भी बदले नाम

वहीं, देश भर के राजभवनों के नाम को भी बदलकर लोकभवन किया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले साल राज्यपालों के सम्मेलन में हुई एक चर्चा का हवाला देते हुए कहा कि राजभवन नाम औपनिवेशिक मानसिकता को दर्शाता है। इसलिए राज्यपालों और उपराज्यपालों के कार्यालयों को अब लोकभावन और लोक निवास के नाम से जाना जाएगा।

 

 

 

 

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