
वरिष्ठ पत्रकार और ANI के संस्थापक प्रेम प्रकाश ने अपनी नई किताब "History that India Ignored" को लॉन्च किया है। इस किताब में भारत की आजादी से जुड़ी उन बातों को उठाया गया है, जिन्हें इतिहास में कम बताया गया। किताब में भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, वीर सावरकर और आजाद हिंद फौज जैसे क्रांतिकारियों के संघर्षों को विस्तार से बताया गया है। लेखक का मानना है कि इन सेनानियों को अक्सर इतिहास में नजरअंदाज किया गया या गलत तरीके से दिखाया गया। किताब के मुताबिक, आजादी सिर्फ अहिंसक आंदोलन से नहीं, बल्कि सशस्त्र विद्रोहों और क्रांतिकारियों की कुर्बानियों से भी मिली थी। प्रेम प्रकाश जी का कहना है कि यह किताब इतिहास को एक नई नजर से समझने का मौका देती है। इस बुक लॉन्च के अवसर पर ऑथर संजीव चोपड़ा, ऑथर रशीद किदवई के साथ-साथ मिनिस्टर ऑफ स्टेट डॉक्टर जितेंद्र सिंह भी मौजूद रहे।
आजादी के बारे में जानने वालों के लिए है किताब
मंत्री डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने किताब के बारे में कहा, "आज से एक हफ्ते पहले मुझे आमंत्रित किया गया, हमारे लिए ये इंस्पिरेशन है। मैंने ऐसी कई किताबें पढ़ी हैं। इंडिया की आजादी के बारे में प्रेम प्रकाश जी ने जो देखा है उसको जीया है और किताब लिखी है। ये किताब उनके लिए जरूरी है जो भारत की आजादी के बारे में पढ़ना चाहते हैं। इस किताब के पेज नंबर 19 पर लिखा है कि कांग्रेस पार्टी चाहे कितना भी क्लेम करे कि आजादी की मशाल उन्होंने दिखाई है, लेकिन 1930 के बाद ही आजादी की असली लड़ाई हुई है। 1930 में भगत सिंह जी ने लड़ाई लड़ना शुरू किया था और 1931 में उनको शहीद किया गया। तब कांग्रेस से उन्हें कोई सपोर्ट नहीं मिला।" प्रेम प्रकाश जी ये कहना चाहते हैं कि सुभाष चंद्र बोस और बढ़ती आम लोगों की आवाज आजादी की बड़ी वजह बनी।
यंग जनरेशन को पढ़ना चाहिए इतिहास
किताब पढ़ने के बाद यही सवाल आता है कि आखिर इतिहास को इग्नोर क्यों किया गया? प्रेम प्रकाश जी ने बताया कि जो हिस्ट्री हमें पता है उसमें कांग्रेस की बात की गई है, बाकी लोगों की बात नहीं की गई है। मुस्लिम कभी भी भारत को तोड़ने के हक में नहीं थे। दिल्ली में काफी बड़े प्रदर्शन हुए, उनपर लाठी चार्ज हुआ। गांधी जी जितने जरूरी हैं, उतने ही जरूरी देश के लिए कुर्बानी देने वाले युवा स्वतंत्रता सेनानी भी हैं। कांग्रेस को होम रूल चाहिए था। 1931 में भगत सिंह की शहादत के बाद पूर्ण स्वतंत्रता की मांग उठी और क्विट इंडिया मोमेंट भी तेज हुआ। वीर स्वरकर ने माफी मांगी ऐसा कुछ भी नहीं है, इसमें कोई सच्चाई नहीं है। 11 साल वो जेल में रहे और उन्होंने पत्र लिखा, ताकि बाहर आकर वो देश को आजाद करने की लड़ाई लड़ सकें। ये बहुत दुख की बात है लोगों को अपना इतिहास नहीं पता आज की यंग जनरेशन को हमारा इतिहास पढ़ना चाहिए। (इनपुट- ईला काजमी)