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Video: इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में CJI की SBI को कड़ी फटकार, बोले- 'बच नहीं सकते, सब बताना पड़ेगा'

सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा सब बताना पड़ेगा। वहीं, एसबीआई ने कोर्ट से कहा कि उसे बदनाम किया जा रहा है।

Written By: Mangal Yadav @MangalyYadav
Published : Mar 18, 2024 15:56 IST, Updated : Mar 18, 2024 20:09 IST
सुप्रीम कोर्ट- India TV Hindi
Image Source : ANI सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्लीः इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने एसबीआई (SBI) को कड़ी फटकार लगाई है। सीजेआई (CJI) ने बैंक से कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा सब बताना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने SBI को इलेक्टोरल बॉन्ड के सभी विवरणों का खुलासा करने का निर्देश दिया है। जिसमें भुनाए गए बॉन्ड की अल्फान्यूमेरिक संख्या और सीरियल नंबर शामिल हो। अगर इनमें से कोई भी शामिल हैं तो उन्हें जारी करने को कहा है।

SBI चेयरमैन को हलफनामा देकर बताना होगा कि कोई चीज नहीं छिपाया है

सुप्रीम कोर्ट ने SBI चेयरमैन को गुरुवार शाम 5 बजे तक एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। हलफनामें के संबंध में कहा गया है कि SBI इलेक्टोरल बॉन्ड के सभी विवरणों का खुलासा करें जो उनके अधीन हैं, इसमें कोई विवरण छिपाया नहीं जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग SBI से जानकारी प्राप्त होने पर तुरंत अपनी वेबसाइट पर विवरण अपलोड करेगा। वहीं, एसबीआई ने कहा कि उसे बदनाम किया जा रहा है।

एसबीआई को लगाई फटकार

इससे पहले आज सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड से संबंधित सभी विवरणों का खुलासा न करने पर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को फटकार लगाई। बैंक को 21 मार्च को शाम 5 बजे तक बॉन्ड से संबंधित सभी विवरण प्रस्तुत करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले चुनावी बॉन्ड संख्या का खुलासा नहीं करने और इस तरह अपने पिछले फैसले का पूरी तरह से पालन नहीं करने के लिए एसबीआई की खिंचाई की। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि चुनावी बॉन्ड संख्या, जो दानदाताओं को प्राप्तकर्ताओं से जोड़ती है, बैंक द्वारा खुलासा किया जाना चाहिए।

केंद्र सरकार की यह दलील भी खारिज

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया कि इलेक्टोरल बॉन्ड को रद्द करने के उसके फैसले का सोशल मीडिया पर 'दुरुपयोग' किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि उसे इस बात की चिंता नहीं है कि उसके फैसलों की व्याख्या तीसरे पक्ष द्वारा कैसे की जा रही है। "जज के रूप में, हम केवल कानून और संविधान के अनुसार काम करते हैं। सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीजेआई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को बताया कि राजनीतिक दलों द्वारा खरीदे गए चुनावी बॉन्ड के खुलासे पर डेटा से संबंधित सोशल मीडिया पोस्ट थे। 

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