बीआरएस नेता के कविता ने अपना रेल रोको आंदोलन टाल दिया है। उन्होंने कहा है कि सरकार को जल्द ही नए आरक्षण को लेकर बिल लाना चाहिए और नया कानून बनने के बाद इसे जल्द से जल्द लागू करना चाहिए। उन्होंने तेलंगाना सरकार के फैसले पर खुशी जताते हुए कहा कि पिछड़े वर्ग को 42 फीसदी आरक्षण देने वाला कानून जल्दी बनना चाहिए। गुरुवार को मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की अध्यक्षता में तेलंगाना कैबिनेट ने कई अहम फैसले लिए। कैबिनेट ने स्थानीय निकायों में पिछड़ी जातियों के लिए 42 प्रतिशत आरक्षण लागू करने को मंजूरी दे दी है।
उच्च न्यायालय ने सरकार को इस महीने के अंत तक पंचायत चुनावों के लिए आरक्षण को अंतिम रूप देने का आदेश दिया है। इन सब पर विचार-विमर्श के बाद, कैबिनेट ने स्थानीय निकाय चुनावों में पिछड़ी जातियों के लिए 42 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया। सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुरूप, राज्य सरकार ने पहले ही पिछड़ी जातियों के लिए एक समर्पित आयोग का गठन कर दिया है।
पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री का बयान
पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री पोन्नम प्रभाकर ने कहा कि राज्य नियोजन विभाग ने जाति जनगणना कराई है। इसके आधार पर विधानसभा ने 42 प्रतिशत आरक्षण विधेयक पारित किया। उपलब्ध डेटा के आधार पर, जनसंख्या के अनुसार पिछड़ी जातियों के लिए 42 प्रतिशत आरक्षण लागू करने के लिए आगे कदम उठाने का निर्णय लिया गया। कैबिनेट ने पिछड़ा वर्ग आरक्षण में वृद्धि के अनुरूप राज्य में लागू पंचायत राज अधिनियम-2018 में संशोधन को मंजूरी दे दी है। सरकार जल्द ही इस अधिनियम में संशोधन के लिए आवश्यक कदम उठाएगी।
तेलंगाना बीजेपी अध्यक्ष क्या बोले?
तेलंगाना बीजेपी अध्यक्ष रामचंदर राव ने कहा कि तेलंगाना विधान सभा में भी नए आरक्षण विधेयक में पिछड़ी जातियों के लिए 42 प्रतिशत, अनुसूचित जातियों के लिए 18 प्रतिशत और अनुसूचित जनजातियों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव किया गया है, जो मौजूदा क्रमशः 29 प्रतिशत, 15 प्रतिशत और 6 प्रतिशत से अधिक है। उस पर भी कानूनी अड़चन इसलिए आर रही है, क्यूंकि तेलंगाना का लक्ष्य सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा को बढ़ाकर 70 प्रतिशत करना है, जिसके लिए केंद्र की मंजूरी आवश्यक है। बीजेपी राज्य अध्यक्ष ने कांग्रेस के इस आरोप को खारिज कर दिया कि बीजेपी उनकी इस मंशा को कामयाब करने में बाधा पैदा कर रही है।
के कविता ने आंदोलन टाला
पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण को अंतिम रूप देने के लिए, ग्राम पंचायत सरपंच को एमपीटीसी के लिए मंडल इकाई, एमपीपी और जेडपीटीसी के लिए जिला इकाई, और जेडपी अध्यक्षों के लिए राज्य इकाई माना जाता है। इसी मांग के लिए के कविता इस महीने की 17 तारीख को रेल रोको करने वाली थी, लेकिन अब उन्होंने उसे टाल दिया है। सरकार के फैसले पर खुशी जताते हुए उन्होंने मांग की कि सरकार जल्द से जल्द बिल लेकर आए और इस बात का भी ध्यान दे कि इस बीच कोई कोर्ट का दरवाजा ना खटखटाए, वरना आरक्षण को अमल होने में और देरी होगी।
यह भी पढ़ें-
टी राजा सिंह का इस्तीफा बीजेपी ने किया स्वीकार, तेलंगाना के गोशामहल से हैं विधायक