Friday, March 29, 2024
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जजों की नियुक्ति से जुड़े सवाल पर कानून मंत्री ने 'आप की अदालत' में क्या कहा ? जानें यहां

जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया एक संवेदनशील मुद्दा है, जिसकी हम पब्लिक प्लेटफॉर्म पर चर्चा नहीं कर सकते। मैं प्रकिया पर तो चर्चा नहीं करुंगा, लेकिन सरकार जो भी फैसला करती है वह सोच समझ कर और आपनी नीति के तहत करती है।

IndiaTV Hindi Desk Edited By: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: January 29, 2023 6:30 IST
आप की अदालत में किरन रिजिजू- India TV Hindi
Image Source : इंडिया टीवी आप की अदालत में किरन रिजिजू

Aap Ki Adalat : केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू ने इंडिया टीवी पर प्रसारित रजत शर्मा के लोकप्रिय शो आप की अदालत में सवालों का जवाब देते हुए कहा कि ‘1993 तक सरकार ही संविधान के मुताबिक जजों की नियुक्ति करती थी। बाद में परिभाषा बदल दी गई। 1993 में सुप्रीम कोर्ट ने जजों की नियुक्ति के लिए कॉलिजीयम बनाया। पहले इसमें 3 सदस्य थे, बाद में 1998 में इसका विस्तार किया गया। इसलिए, अदालत के आदेश से व्यवस्था को बदल दिया गया। इस शो का प्रसारण शनिवार रात 10 बजे किया गया

कानून मंत्री ने कहा, ‘जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया एक संवेदनशील मुद्दा है, जिसकी हम पब्लिक प्लेटफॉर्म पर चर्चा नहीं कर सकते। मैं प्रकिया पर तो चर्चा नहीं करुंगा, लेकिन सरकार जो भी फैसला करती है वह सोच समझ कर और आपनी नीति के तहत करती है। इसलिए ऐसी चीजों को न हमारी तरफ से, और न जुडिशरी की तरफ से पब्लिक डोमेन में डालना चाहिए।

रजत शर्मा ने जब यह सवाल किया कि ताजा आरोप ये हैं कि आप जूडिशरी को कंट्रोल करना चाहते हैं?’ इस पर किरन रिजिजू ने कहा- ‘हम कंट्रोल कर ही नहीं सकते हैं, और इस बारे में सोचना भी नहीं चाहिए। इसलिए मैं हमेशा कहता हूं कि मोदी जी ने साढ़े आठ साल में जूडिशरी की सभी सुविधाओं को बढ़ाने के लिए काफी काम किया है। पहले हजार से दो हजार करोड़ रुपये भी मुश्किल से मिलते थे, और अब अगले साढे चार  साल में अदालत की सुविधाओं पर 9 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। कमिटेड जूडिशरी की बात इस देश में पहली बार इंदिरा गांधी के समय में हुई थी। उस समय तो जजों की सीनियॉरिटी को भी नजरअंदाज करके जूनियर जज को सीनियर जज बनाया गया था। इमरजेंसी लागू की गई थी। जूडिशरी को कंट्रोल किया गया था। और अब वही लोग कह रहे हैं कि हम जूडिशरी को कंट्रोल में करना चाहते हैं। मैंने कभी नहीं कहा कि जजों ने संविधान को हाईजैक कर लिया है। ये बात एक पूर्व जज ने कही थी, और मैंने सिर्फ इतना कहा था कि इनकी बात सुनने लायक है। मैंने उनकी बात को शेयर किया था।’

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