Saturday, April 27, 2024
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नवरात्र के चौथे दिन ऐसे करें मां कुष्मांडा की पूजा, जानें मंत्र और भोग

चैत्र नवरात्र के चौथे दिन दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्माण्डा की उपासना की जायेगी | कुष्मांडा यानी कुम्हड़ा | जानें पूजा विधि, भोग के बारे में।

India TV Lifestyle Desk Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: March 27, 2020 18:01 IST
Navratri - India TV Hindi
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28 मार्च को नवरात्र का चौथा दिन है। चैत्र शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि और शनिवार का दिन है | चतुर्थी तिथि देर रात 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगी | उसके बाद पंचमी तिथि शुरू हो जायेगी| इस दिन देवी दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्माण्डा की उपासना की जायेगी | कुष्मांडा यानी कुम्हड़ा |

 कुष्मांडा एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है कुम्हड़ा, यानी कि- कद्दू, यानी कि पेठा, जिसका हम घर में सब्जी के रूप में इस्तेमाल करते हैं | मां कुष्मांडा को कुम्हड़े की बलि बहुत ही प्रिय है, इसलिए मां दुर्गा का एक नाम कुष्मांडा पड़ा | इसके साथ ही देवी मां की आठ भुजाएं होने के कारण इन्हें अष्टभुजा वाली भी कहा जाता है | इनके सात हाथों में कमण्डल, धनुष, बाण, कमल, अमृत से भरा कलश, चक्र और गदा नजर आता है, जबकि आठवें हाथ में जप की माला रहती है | माता का वाहन सिंह है और इनका निवास स्थान सूर्यमंडल के भीतर माना जाता है |

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करें इस मंत्र का जाप

अच्छे स्वास्थ्य के लिए और यश, बल, परिवार में खुशहाली के साथ-साथ आयु की वृद्धि के लिए आज के दिन मां कूष्मांडा का ध्यान करके उनके इस मंत्र का जाप करना चाहिए-'ऊं ऐं ह्रीं क्लीं कुष्मांडायै नम:' ..

मां कुष्मांडा का भोग
माता को इस दिन मालपुआ का प्रसाद चढ़ाने से सुख-समृद्धि प्राप्त होती है, साथ ही आज के दिन कन्याओं को रंग-बिरंगे रिबन व वस्त्र भेट करने से धन की वृद्धि होती है।

ऐसे करें मां कुष्मांडा की पूजा
दुर्गा पूजा के चौथे दिन माता कूष्मांडा की पूजा सच्चे मन से करना चाहिए। फिर मन को अनहत चक्र में स्थापित करने हेतु मां का आशीर्वाद लेना चाहिए। सबसे पहले सभी कलश में विराजमान देवी-देवता की पूजा करें फिर मां कूष्मांडा की पूजा करें। इसके बाद हाथों में फूल लेकर मां को प्रणाम कर इस मंत्र का ध्यान करें।

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सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च. दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु।

फिर मां कूष्मांडा के इस मंत्र का जाप करें।
या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मां की पूजा के बाद महादेव और परमपिता ब्रह्मा जी की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद मां लक्ष्मी और विष्णु भगवान की पूजा करें।

ध्यान
वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥
भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।
कमण्डलु, चाप, बाण, पदमसुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥
पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कांत कपोलां तुंग कुचाम्।
कोमलांगी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

स्तोत्र पाठ
दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।
जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।
चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहिदुःख शोक निवारिणीम्।
परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाभ्यहम्॥

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