- पुरी में जगन्नाथ यात्रा में एक रथ नहीं बल्कि 3 रथ निकलते है। जिसमें क्रमश: बलदेव, श्रीकृष्ण व सुभद्रा विराजमान होते हैं।
- जगन्नाथ के रथ को 'गरुड़ध्वज' या 'नन्दीघोष', सुभद्रा के रथ को दर्पदलन और बलदेव के रथ को पालध्वज कहा जाता है। जिनका रंग लाल और पीला होता हैं।
- यह रथ एक क्रमश: लाइन में होते है। जिसमें से पहले रथ पर बलभद्र, बीच वाले रथ में सुबद्रा जी और सबसे पीछे वाले रथ में जगन्नाथ जी होते हैं।
- इस तीनों रथ को 'सिंहद्वार' पर आषाढ़ की शुक्ल द्वितीया को लाया जाता हैं। इसके बाद मूर्तियो को स्नान और वस्त्र पहनाने के बाद इसमें विराजित किया जाता हैं।
- जब ये रथ तैयार हो जाते है, तो इसके बाद पुरी का राजा एक पालकी में बैठकर इनकी प्रार्थना करता हैं और प्रतीकात्मक रूप से रथ मण्डप को झाडू से साफ करते हैं। जिसे 'छर पहनरा' नाम से जाना जाता हैं।
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