
जयेश मेहता मामले में मुंबई जोनल ऑफिस-II ने मुंबई और हैदराबाद में 13 अलग-अलग स्थानों पर तलाशी अभियान के दौरान करोड़ों की संपत्ति बरामद की है। तलाशी अभियान में लगभग 9.04 करोड़ रुपये नकद और 23.25 करोड़ रुपये के हीरे जड़े आभूषण और बुलियन के साथ कुछ अवैध संपत्ति के दस्तावेज जब्त किए गए हैं। मीरा भयंदर पुलिस आयुक्तालय ने इस मामले में कई एफआईआर दर्ज की थीं। जिसके आधार पर मामला दर्ज किया गया था।
यह मामला वसई विरार शहर की स्वीकृत विकास योजना के अनुसार सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और डंपिंग ग्राउंड के लिए आरक्षित भूमि पर 41 आवासीय सह वाणिज्यिक भवनों के अवैध निर्माण से संबंधित है। जांच के दौरान, यह पाया गया कि आरोपियों ने कथित तौर पर जाली दस्तावेजों के माध्यम से निजी मालिकों से 30 एकड़ जमीन और सरकारी परियोजनाओं के लिए आरक्षित 30 एकड़ जमीन हड़पी थी, जिसमें एक डंपिंग ग्राउंड और एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) शामिल है।
मृत व्यक्तियों के नाम की जमीन
अपने दावे को पुख्ता करने के लिए, आरोपियों ने इन जमीनों को मृत व्यक्तियों के नाम पर सौंपने का एक विस्तृत सिलसिला बनाया। आखिरकार, उन्होंने फर्जी स्वामित्व दस्तावेजों का उपयोग करके विभिन्न बिल्डरों को जमीन बेच दी। आरोपी बिल्डरों और डेवलपर्स ने वीवीएमसी अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके वर्ष 2009 से निर्माण परमिट (सीसी) या अधिभोग प्रमाण पत्र (ओसी) प्राप्त किए बिना अवैध आवासीय सह वाणिज्यिक इमारतों का निर्माण शुरू कर दिया। आरोपी बिल्डरों और डेवलपर्स ने अवैध इमारतों का निर्माण करके और बाद में अनुमोदन दस्तावेजों को गढ़कर उन्हें बेचकर आम जनता को धोखा दिया।
हाईकोर्ट ने दिया इमारतें गिराने का आदेश
बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिछले साल सभी 41 इमारतों को ध्वस्त करने का आदेश दिया था। इसके बाद, 41 अवैध इमारतों में रहने वाले परिवारों ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष एक एसएलपी दायर की थी, जिसे खारिज कर दिया गया था। सभी 41 इमारतों को ध्वस्त करने का काम वीवीएमसी ने इसी साल फरवरी में पूरा किया था। ईडी की जांच में पता चला है कि क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण 2009 से चल रहा है। 60 एकड़ के इसी भूखंड पर पहले भी अवैध अतिक्रमण और निर्माण किया जा चुका है। 2009-2011 के दौरान, उन्हीं आरोपियों और बिल्डरों ने इन 60 एकड़ जमीन पर 168 इमारतें और चाल में 74 कमरे बनाए और आवासीय और वाणिज्यिक इकाइयों को बड़े पैमाने पर जनता को बेच दिया। माननीय बॉम्बे हाईकोर्ट के समय पर हस्तक्षेप के कारण, सभी को 2013 में ही ध्वस्त कर दिया गया था।
करोड़ों की संपत्ति जब्त
यह पाया गया है कि वसई विरार नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में बड़े पैमाने पर घोटाले के मुख्य अपराधी सीताराम गुप्ता, अरुण गुप्ता और अन्य हैं। वीवीएमसी के टाउन प्लानिंग के उप निदेशक वाई एस रेड्डी के परिसर में तलाशी अभियान के दौरान 8.6 करोड़ रुपये की नकदी और 23.25 करोड़ रुपये के हीरे जड़ित आभूषण और सोना जब्त किया गया।