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1929 में अंग्रेजों ने दी मंजूरी, लेकिन अभी भी अधूरा है प्रोजेक्ट, अब मंत्री बोले- 'दोबारा काम शुरू करें'

इस प्रोजेक्ट को 1929 में ब्रिटिश सरकार ने मंजूरी दी थी और 1932 तक लगभग एक-तिहाई काम पूरा हो चुका था। इसके बाद इसे अचानक रोक दिया गया और अब तक यह प्रोजेक्ट पूरा नहीं हुआ है।

Edited By: Shakti Singh
Published : Dec 06, 2025 03:01 pm IST, Updated : Dec 06, 2025 03:01 pm IST
Rail- India TV Hindi
Image Source : X/CENTRALRAILWAY प्रतीकात्मक तस्वीर

रेलवे ने पंजाब में लंबे समय से अटकी 40 किलोमीटर की कादियान-ब्यास रेल लाइन पर काम फिर से शुरू करने का फैसला किया है। रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने शनिवार को अधिकारियों को प्रोजेक्ट को 'डीफ्रीज' करने का निर्देश दिया। रेल लाइन को पहले अलाइनमेंट की चुनौतियों, जमीन अधिग्रहण की रुकावटों और स्थानीय स्तर की राजनीतिक उलझनों के कारण 'फ्रीज' कैटेगरी में रखा गया था।

रेलवे की भाषा में, किसी प्रोजेक्ट को 'फ्रीज' तब कहा जाता है जब उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है क्योंकि अधिकारी कई कारणों से आगे नहीं बढ़ पाते हैं। 'डीफ्रीजिंग' एक रिवाइवल का संकेत है और सभी रुकावटों को दूर करने के बाद काम फिर से शुरू हो जाता है।

रेल राज्य मंत्री ने क्या कहा?

एक बयान में, बिट्टू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव पहले ही साफ कर चुके हैं कि पंजाब में रेलवे प्रोजेक्ट्स के लिए पैसे की कोई कमी नहीं है। बिट्टू ने कहा, "मैं नए प्रोजेक्ट्स शुरू करने, पेंडिंग प्रोजेक्ट्स को पूरा करने और उन प्रोजेक्ट्स को फिर से शुरू करने के लिए भी बिना थके काम कर रहा हूं जो अचानक आए कारणों से रुक गए थे। मोहाली-राजपुरा, फिरोजपुर-पट्टी और अब कादियान-ब्यास, मुझे पूरी तरह पता था कि यह लाइन कितनी जरूरी है। इसलिए मैंने अधिकारियों को सभी रुकावटें दूर करने और कंस्ट्रक्शन फिर से शुरू करने का निर्देश दिया। यह नया ट्रैक इलाके के 'स्टील टाउन' बटाला की मुश्किल में पड़ी इंडस्ट्रियल यूनिट्स को बहुत बढ़ावा देगा।"

1929 में मिली थी मंजूरी

नॉर्दर्न रेलवे के चीफ एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर (कंस्ट्रक्शन) की तरफ से जारी एक लेटर में कहा गया, "रेलवे बोर्ड चाहता है कि कादियान-ब्यास लाइन को 'डीफ्रीज' किया जाए और डिटेल्ड एस्टीमेट जल्द से जल्द फिर से जमा करके मंजूरी दी जाए ताकि कंस्ट्रक्शन शुरू हो सके।" इस प्रोजेक्ट को शुरू में 1929 में ब्रिटिश सरकार ने मंजूरी दी थी और नॉर्थ-वेस्टर्न रेलवे ने इसे अपने हाथ में लिया। 1932 तक, प्रोजेक्ट के अचानक बंद होने से पहले लगभग एक-तिहाई काम पूरा हो चुका था।

2010 में भी हुई कोशिश

रेलवे ने इसे 'सोशलली डिजायरेबल प्रोजेक्ट' के तौर पर क्लासिफाई किया और 2010 के रेलवे बजट में शामिल किया। लेकिन उस समय के प्लानिंग कमीशन की फाइनेंशियल चिंताओं की वजह से काम एक बार फिर रुक गया। 'सोशलली डिज़ायरेबल प्रोजेक्ट्स' कैटेगरी के तहत, रेलवे सस्ती, आसान ट्रांसपोर्ट सर्विस देकर सबको साथ लेकर चलने वाले विकास पर फोकस करता है, भले ही ऐसे काम रेवेन्यू पर आधारित न हों। (इनपुट- पीटीआई)

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