भारतीय सेना ने प्रोजेक्ट प्रबल के तहत ऑन-साइट 3डी कंक्रीट प्रिंटिंग तकनीक का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। प्रोजेक्ट प्रबल बंकर और सहायक उपकरण की छपाई के लिए पोर्टेबल रोबोटिक प्रिंटर से जुड़ा हुआ है। भारतीय सेना आईआईटी हैदराबाद की मदद से यह तकनीकी नवाचार कर रही है। नई तकनीकी के उपयोग से देश का रक्षा बुनियादी ढांचे का नवाचार और बेहतर हुआ है।
सेना की तरफ से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया कि यह क्षमता पहले ही अन्य परिचालन क्षेत्रों में उपयोगी और प्रभावी साबित हो चुकी है। अब इसे सिक्किम और आसपास के अग्रिम स्थानों में त्रिशक्ति कोर द्वारा प्रभावी ढंग से नियोजित किया जा रहा है। स्वदेशी रोबोटिक 3डी कंक्रीट प्रिंटर, रोबोटिक आर्म, सर्कुलर मिक्सर, पिस्टन पंप और जनरेटर से सुसज्जित है, जो पूरी तरह से वाहन-पोर्टेबल है और पहाड़ी इलाकों में तीव्र गति से चलने के लिए अनुकूलित है।

कम समय में मजबूत बंकर बनाने में माहिर
अग्रिम क्षेत्र में तैनाती के लिए डिजाइन किया गया रोबोट सेना को बंकरों, गार्ड पोस्ट और सुरक्षात्मक संरचनाओं को तेज गति से बनाने में सक्षम बनाता है। प्रिंटेड संरचनाओं का लाइव बैलिस्टिक टेस्ट किया गया है, जिससे उनकी मजबूती और सुरक्षात्मक प्रदर्शन की पुष्टि हुई है। विज्ञप्ति के अनुसार, 3डी कंक्रीट प्रिंटिंग प्रमुख परिचालन लाभ प्रदान करती है, जिनमें अनुकूलित डिजाइन, बेहतर विस्फोट और बैलिस्टिक प्रतिरोध, उच्च संपीड़न शक्ति, बेहतर गुणवत्ता नियंत्रण, स्थानीय सामग्रियों का कुशल उपयोग और सामरिक रूप से स्वीकार्य समयसीमा में तीव्र निर्माण शामिल हैं।

हालातों के हिसाब से बदलाव करने में सक्षम
नई तकनीक अलग-अलग भौगोलिक स्थितियों के हिसाब से खास डिजाइन के बंकर बनाने में मदद करती है। ऑन-साइट 3डी प्रिंटिंग को निरंतर अपनाना सेना की इंजीनियरिंग और परिचालन तत्परता में एक महत्वपूर्ण छलांग का प्रतिनिधित्व करता है, जो चुनौतीपूर्ण वातावरण में तेज, टिकाऊ और मिशन-उन्मुख बुनियादी ढांचे के विकास को सक्षम बनाता है। (इनपुट- एएनआई)
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