Tuesday, April 22, 2025
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Pradosh Vrat 2025: 11 या 12 मार्च कब रख जाएगा मार्च का पहला प्रदोष व्रत, यहां जानें सही डेट और पूजा मुहूर्त

Pradosh Vrat 2025 Date: प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और मां गौरी की आराधना करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। तो यहां जानिए कि मार्च में प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।

Written By: Vineeta Mandal
Published : Mar 09, 2025 12:01 IST, Updated : Mar 09, 2025 12:01 IST
प्रदोष व्रत
Image Source : INDIA TV प्रदोष व्रत

March Pradosh Vrat 2025 Date:  प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। पुराणों के अनुसार, त्रयोदशी की रात के पहले प्रहर में जो व्यक्ति किसी भेंट के साथ शिव प्रतिमा के दर्शन करता है उसकी समस्त समस्याओं का हल निकलता है। बता दें कि हर माह में आने वाली प्रदोष व्रत का नाम सप्ताह के दिन के हिसाब से रखा जाता है। जैसे-अगर प्रदोष सोमवार को है तो उसे सोम प्रदोष कहा जाएगा। वैसे ही मंगलवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष के नाम से जाना जाता है। तो आइए जानते हैं कि मार्च में पहला प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा और पूजा के लिए शुभ मुहूर्त क्या रहेगा। 

मार्च प्रदोष व्रत 2025 डेट और मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 11 मार्च को सुबह 8 बजकर 13 मिनट पर होगा। त्रयोदशी तिथि का समापन 12 मार्च को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर होगा। 

ऐसे में प्रदोष व्रत 11 मार्च 2025 को किया जाएगा। प्रदोष पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 47 मिनट से रात 9 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करें। वहीं यह प्रदोष व्रत मंगलवार को है इसलिए इसे भौम प्रदोष कहा जाएगा। भौम प्रदोष में शिवजी के साथ हनुमान जी की भी पूजा का विधान है। शास्त्रों में इस दिन को कर्ज उतारने के लिए बड़ा ही श्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन मंगल से संबंधित चीजें गुड़, मसूर की दाल, लाल वस्त्र, तांबा आदि का दान करने से सौ गौ दान के समान फल मिलता है। 

प्रदोष पूजा विधि

इस दिन व्रती को नित्यकर्मों से निवृत होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए और पूरे दिन उपवास करना चाहिए। पूरे दिन उपवास के बाद शाम के प्रथम प्रहर में फिर से स्नान करके सफेद वस्त्र धारण करने चाहिए और ईशान कोण में प्रदोष व्रत की पूजा के लिए स्थान का चुनाव करना चाहिए। पूजा स्थल को गंगाजल या साफ जल से शुद्ध करने के बाद, गाय के गोबर से लीपकर मंडप तैयार करना चाहिए। इस मंडप में पांच रंगों से कमल के फूल की आकृति बनाइए चाहें तो बाजार में कागज पर अलग-अलग रंगों से बनी कमल के फूल की आकृति भी ले सकते हैं। साथ में भगवान शिव की एक मूर्ति या तस्वीर भी रखिए। 

इस तरह मंडप तैयार करने के बाद पूजा की सारी सामग्री अपने पास रखकर कुश के आसन पर बैठकर, उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके शिव जी की पूजा करें। पूजा के एक-एक उपचार के बाद- 'ऊँ नमः शिवाय' का जप करें। जैसे पुष्प अर्पित करें और 'ऊँ नमः शिवाय' कहें, फल अर्पित करें और 'ऊँ नमः शिवाय' जपें। शिवजी की पूजा के बाद हनुमान जी की पूजा भी करनी चाहिए और उन्हें सिंदूर चढ़ाना चाहिए। क्योंकि यह भौम प्रदोष व्रत है और भौम प्रदोष में हनुमान जी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि भौम प्रदोष व्रत के दिन ऐसा करने से जल्द ही कर्ज से छुटकारा मिलाता है। भौम प्रदोष व्रत कर्ज से मुक्ति पाने के लिए बहुत ही श्रेष्ठ माना जाता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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