टीम इंडिया के पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज दीपदास गुप्ता ने उस समय के बारे बताया है जब भारतीय टेस्ट टीम अनाधिकृत रूप ने नम्बर वन बनी थी। साल 1971 में टीम इंडिया ने इंग्लैंड और वेस्टइंडीज को हराया था। जिसके बाद उसे अनाधिकृत रूप से नंबर वन टीम कहा जाने लगा। जिसके कप्तान पूर्व क्रिकेटर अजित वाडेकर थे। उनकी कप्तानी में टीम इंडिया ने पांच मैचों की टेस्ट सीरीज 1971 में विंडीज से जीती थी। जिसमें टीम इंडिया के दिग्गज बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने डेब्यू किया और 4 टेस्ट मैचों में दमदार बल्लेबाजी करते हुए 774 रन बनाए। जिसके बाद भारत ने इंग्लैंड को तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में भी 1-0 से मात दी।
इस तरह भारत के प्रदर्शन के बारे में स्पोर्ट्स टाइगर्स शो 'ऑफ द फील्ड' में दीप दासगुप्ता ने कहा, ''जब हम कप्तानी की बात करते हैं तो हम अजित वाडेकर की बात क्यों नहीं करते। हम भूल जाते हैं कि 1971 में हमने इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के खिलाफ दो बड़ी टेस्ट सीरीज जीती थी। तब अनाधिकृत रूप से भारत नंबर 1 टेस्ट टीम थी।''
दीपदास ने आगे 1983 में भारत को वर्ल्ड कप जितवाने वाले कपिल देव, सुनील गावस्कर और मंसूर अली खान पटौदी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा, ''हम भाग्यशाली हैं कि हमारे पास महान कप्तानों की लंबी विरासत है, लेकिन हम उनका नाम नहीं लेते। सौरव गांगुली एक निश्चित स्तर तक भारतीय टीम को लेकर गए। उनके बाद महेंद्र सिंह धोनी टीम को आगे लेकर गए। उनके बाद विराट कोहली अब यह काम कर रहे हैं। सब कुछ एक चेन की तरह काम कर रहा है।"
वहीं कोरोना महामारी के चलते गेंद पर लार बैन करने के आईसीसी के फैसले के बारे में उन्होने कहा, "निश्तिचत रूप से लार के इस्तेमाल पर रोक से बल्लेबाजों को फायदा मिलेगा, क्योंकि गेंदबाज के नजरिये से लार एक बहुत उपयोगी तत्व है। इससे गेंद को नया रखने में मदद मिलती है। लार पर रोक गेंदबाजों से एक अहम हथियार वापस ले लेना है। फिलहाल लार पर रोक लगाना बेशक तार्किक है, लेकिन हमें इसके दूसरे पहलू पर भी गौर करना चाहिए।''