Sunday, April 28, 2024
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गजब! चीनी कंपनी ने बनाई ऐसी बैटरी, 50 साल तक फोन नहीं करना पड़ेगा चार्ज

चीनी स्टार्ट-अप कंपनी Betavolt ने गजब की न्यूक्लियर बैटरी बनाई है, जो 50 साल तक डिस्चार्ज नहीं होती है। इस बैटरी का इस्तेमाल स्मार्टफोन, ड्रोन, मेडिकल इक्वीपमेंट आदि में किया जा सकता है।

Harshit Harsh Written By: Harshit Harsh @HarshitKHarsh
Updated on: January 16, 2024 17:40 IST
Nuclear Battery- India TV Hindi
Image Source : BETAVOLT चीनी स्टार्ट-अप कंपनी ने न्यूक्लियर बैटरी बनाई है, जो 50 साल तक डिस्चार्ज नहीं होगी।

चीनी स्टार्ट-अप कंपनी Betavolt ने दुनिया की पहला न्यूक्लियर बैटरी बनाई है। फर्म का दावा है कि अगर, इस बैटरी को स्मार्टफोन में लगा दिया जाए तो 50 साल तक फोन चार्ज नहीं करना पड़ेगा। बीटावोल्ट की यह न्यूक्लियर बैटरी परमाणु उर्जा पर आधारित है, जिसमें एक सिक्के से भी छोटा मॉड्यूल लगा है। यह बैटरी न्यूक्लियर आइसोटोप्स के रिलीज पर इलेक्ट्रिसिटी प्रोड्यूस करती है। कंपनी का दावा है कि यह नेक्स्ट जेनरेशन बैटरी है, जिसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर फिलहाल टेस्ट किया जा रहा है। टेस्टिंग पूरा होने के बाद इस बैटरी का इस्तेमाल स्मार्टफोन और ड्रोन आदि में किया जा सकता है।

इन डिवाइस में होगा यूज

स्टार्ट-अप कंपनी ने दावा किया है कि इसमें मल्टीपल सिनेरियो में लॉन्ग लास्टिंग पावर सप्लाई के लिए यूज किया जा सकता है। इस बैटरी को एयरोस्पेस, AI डिवाइस, मेडिकल डिवाइस, माइक्रोप्रोसेसर, एडवांस सेंसर, छोटे ड्रोन और माइक्रो रोबोट के साथ-साथ स्मार्टफोन में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इस नई बैटरी टेक्नोलॉजी की आने वाले कुछ साल में जबरदस्त डिमांड देखने को मिल सकती है।

ये हैं खास फीचर्स

Betavolt की यह बैटरी 100 माइक्रोवॉट तक पावर जेनरेट कर सकता है। 3V की इस बैटरी की साइज 15 x 15 x 15 क्यूबिक मिलीमीटर है। कंपनी 2025 तक 1V वाली बैटरी बनाएगी। जितनी छोटी बैटरी की साइज होगी, उतनी ही ज्यादा पावर यह प्रोड्यूस करेगी। कंपनी का अनुमान है कि इस बैटरी को फोन में लगाने के बाद उसे कभी चार्ज करने की जरूरत ही नहीं होगी। यही नहीं, ड्रोन में बैटरी लगाने के बाद उसे हमेशा के लिए उड़ाया जा सकेगा। 

इस न्यूक्लियर बैटरी की खास बात यह है कि यह माइनस 60 डिग्री से लेकर 120 डिग्री सेल्सियस के तापमान में भी काम करेगी। इस बैटरी में रेडियोएक्टिव मैटेरियल के तौर पर निकेल-63 का इस्तेमाल किया गया है। हालांकि, इस बैटरी के कमर्शियल इस्तेमाल को लेकर संशय भी है। न्यूक्लियर रिएक्शन की वजह से इसमें रेडिएशन का खतरा रहेगा।

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