एक तरफ जहां आम आदमी को कोरोना की दवाई के लिए दर दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ कई नेता मरीजों तक दवा को पहुंचाने में मदद भी कर रहे हैं।
एफडीए द्वारा मंजूर 8000 दवाओं की सूची में से 10 औषधीय रासयनिक अणुओं की पहचान की और उन पर अपने भागीदारों के साथ बेंगलुरु में आगे अनुसंधान शुरू किया।
भारत में कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए इस पर अंकुश लगाने के लिए सस्ता इलाज का विकल्प समय की जरूरत है।
आयुष मंत्रालय ने कोरोना मरीजों के उपचार के लिए इस्तेमाल होने वाली 7 आयुर्वेदिक दवाओं की लिस्ट जारी की है। मंत्रालय ने यह लिस्ट ऐसे में समय में जारी की है जब भारत कोरोना वायरस से बहुत ज्यादा प्रभावित हो रहा है।
सरकार ने मार्च 2025 तक पीएमबीजेके की संख्या 10,500 करने का लक्ष्य रखा है। जिससे गरीबों की सस्ती दवाओं तक पहुंच आसान हो। 15 सितंबर 2020 तक देशभर में 6,606 जन औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं।
बर्नस्टीन ने कहा कि शीत भंडार गृहों की श्रृंखला तथा कुशल श्रम की कमी दो बड़ी चुनौतियां होने वाली हैं। यदि यह भी मानकर चलें कि क्रियान्वयन की गति पहले की तुलना में दो गुना होगी, तब भी सरकारी कार्यक्रम के अमल में आने में 18 से 20 महीने लगेंगे।
लखनऊ जेल के 100 से अधिक कैदी गलत दवा खाने के कारण बीमार हो गए हैं। इनमें से 22 कैदियों की हालत गंभीर बताई जा रही है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका दवाओं एवं चिकित्सा आपूर्ति के लिए चीन तथा अन्य देशों पर अपनी निर्भरता खत्म करेगा।
ठाणे पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कोरोना संक्रमितों के इलाज के दौरान गंभीर मरीजों को दी जानेवाली एंटी वायरल दवाओं की कालाबाजारी करनेवाले गिरोह का पर्दाफाश किया है।
दवा कंपनियों द्वारा कोविड-19 के इलाज के लिए रेमडेसिविर और फेवीपिराविर के जेनरिक संस्करण को लाने की तैयारी के बीच चिकित्सा विशेषज्ञों ने सोमवार को कहा कि इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में यह ‘सकारात्मक कदम’ है लेकिन उन्होंने इन एंटीवायरल दवाओं को ‘पासा पलटने वाला’ कदम मानने को लेकर सावधान किया।
कोविड-19 के इलाज के लिए रूस द्वारा एंटीवायरल दवा एवीफेविर को मंजूरी दिया जाना भारत के लिये अच्छी खबर है क्योंकि यह इंफ्लुएंजा दवा पर आधारित है जो यहां उन्नत नैदानिक परीक्षण के चरण में है।
उत्तर प्रदेश में अब आम लोग घर बैठे ही मोबाइल फोन की मदद से अपने शहर के डॉक्टरों से सलाह और इलाज प्राप्त कर सकेंगे।
पीएम ने कहा कि जब विश्वभर के नेता कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के बीच सहायता मुहैया कराने के लिए भारत और उसके लोगों का धन्यवाद करते हैं, तो मुझे गर्व महसूस होता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि दुनियाभर के देश भारत के इस प्रयास के लिए देश का धन्यवाद कर रहे हैं।
दुनिया में सबसे ज्यादा संक्रमित मरीज अमेरिका में ही हैं और सबसे ज्यादा मौतें भी यहीं हुईं हैं। ऐसे में एक दवा अमेरिका के लिए उम्मीद बनकर उभरी है।
देशव्यापी लॉकडाउन के कारण श्रमिकों और लॉजिस्टिक्स की समस्या के कारण दवा कंपनियों के कारोबार पर भी असर पड़ा है। दवा कंपनियों में तकरीबन 60 फीसदी उत्पादन ठप पड़ गया है, जिससे आने वाले दिनों में देश में दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की किल्लत की आशंका भी बनी हुई है।
भारत दुनिया भर में सप्लाई होने वाली हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्वीन के 70% का उत्पादन करता है।
भारत ने पिछले साल 22.5 करोड़ डॉलर मूल्य के एपीआई का निर्यात किया था। भारत हर साल 3.5 अरब डॉलर मूल्य का एपीआई आयात करता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने बृहस्पतिवार को कोरोना वायरस से लड़ने के लिए दवाओं तथा चिकित्सा उपकरणों की कम उपलब्धता पर विचारों का आदान-प्रदान किया तथा इस क्षेत्र में सहयोग के रास्ते तलाशने पर सहमति जताई।
योजना के तहत 900 दवाए, 150 सर्जिकल उपकरण सस्ती दरों पर उपलब्ध
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