Maha Kumbh: नागा साधु अब महाकुंभ से लौट रहे हैं, कुछ नागा संत बसंत पंचमी के तुरंत बाद लौट गए जबकि कुछ यहां से सीधे भगवान शिव की नगरी की ओर आज प्रस्थान करेंगे।
Mahakumbh 2025: महाकुंभ में बसंत पंचमी के अवसर पर हो रहे तीसरे अमृत स्नान में बड़ी संख्या में श्रद्धालु संगम तट पर पहुंचे हुए हैं। सोमवार तड़के से नागा साधुओं ने स्नान करना शुरू कर दिया। देखते ही देखते संगम तट शंख और भोलेनाथ के जयजयकार से गुंजायमान हो गया।
महाकुंभ में नागा साधु हमेशा चर्चा का विषय रहते हैं। कारण होती है उनकी रहस्यमयी दुनिया और उनका रहन-सहन। कोई नहीं जानता कि वे कुंभ में कहां से आते हैं और कहां चले जाते हैं। ऐसे में आइए उनके बारे में एक और जानकारी देते हैं...
Maha Kumbh: नगर प्रवेश की परंपरा नागा संन्यासियों के शौर्य और पराक्रम का प्रतीक है। अफगान आक्रमणकारियों से प्रयाग की रक्षा के बाद, नागा संन्यासियों ने नगर प्रवेश किया और तभी से यह परंपरा जारी है। कुंभ, महाकुंभ और अर्धकुंभ का प्रवेश नागा साधुओं की पेशवाई जिसे अब छावनी प्रवेश कहते हैं, से होता है।
नागा और अघोरी दिखने में एक जैसे लग सकते हैं, लेकिन उनकी जीवन शैली उन दोनों को अलग करती है। इसके अलावा, दोनों के खान-पान में भी काफी अंतर है।
Mahakumbh 2025: भगवान शिव के दिगम्बर भक्त नागा संन्यासी महाकुम्भ में सबका ध्यान अपनी तरफ खींचते हैं। शायद यही वजह है कि महाकुम्भ में सबसे अधिक जन आस्था का सैलाब जूना अखाड़े के शिविर में दिखता है।
Mahakumbh: महाकुंभ में नागा साधु ने अपनी धुनि रमा ली है। साथ ही दूसरे अमृत स्नान के लिए तैयार हैं, जो मौनी अमावस्या के दिन होना है। ऐसे में आइए जानते हैं उनके प्रमुख अखाड़े के बारे में...
महाकुंभ 2025 में नागा साधु और अघोरी शामिल हो रहे है। मौनी अमावस्या के दिन दोनों अमृत स्नान में शामिल होंगे। दोनों शिव जी के उपासक होते हैं जबकि इनकी पूजा करने की विधि में बड़ा अंतर है...
क्या कभी आपने सोचा कि नागाओं की पहचान कैसे होती है? अगर नहीं तो हम आपको यहां ये खास जानकारी देने जा रहे हैं जिसमें आपको हम बताएंगे कि कैसे स्थान के मुताबिक दीक्षा लेने वालों की पहचान होती है।
महाकुंभ में नागा साधुओं ने अलग ही रौनक बढ़ा रखी है। उनकी रमाई धूनी, चिमटा और भजन देखते ही बन रहा है। ऐसे में लोगों को जानना है कि क्या नागा साधुओं में श्रेणियां होती हैं...
महाकुंभ में इन दिनों कई अनोखे बाबा चर्चा का विषय बने हुए हैं। किसी ने हठ योग कर रखी है तो किसी ने कुछ और। ऐसे ही एक बाबा हैं जिन्हें महाकुंभ में एम्बेसडर वाले नागा बाबा कहा जा रहा है, आइए जानते हैं कौन हैं ये बाबा...
माना जाता है कि बाह्मण कुल में जन्म लिए हर एक ब्राह्मण का गोत्र होता है। ऐसे में जो साधु-संत या नागा साधु बन जाते हैं, वे अपने कुल, गोत्र आदि का त्याग कर देते हैं, ऐसे में इनका भी एक गोत्र होता है।
महाकुंभ की वेबसाइट को भारत में ही नहीं विदेशों में भी लोग सर्च कर रहे हैं। इस वेबसाइट पर सारी जानकारी उपलब्ध है।
महाकुंभ 2025, 13 जनवरी से शुरू हो रहा है जो 26 फरवरी तक चलेगा। इस बार भी काफी संख्या में नागा साधु कुंभ मेले में आएंगे। जानिए नागा साधुओं से जुड़ी कुछ खास बातें...
ब्रिटेन में नगा मानवों की खोपड़ी की ऑनलाइन बिक्री के मामले ने बवाल मचा दिया है। इस खोपड़ी का क्या किया जाना था, इसके बारे में कोई उल्लेख नहीं मिला है।
अयोध्या के हनुमानगढ़ी में एक नागा साधु की हत्या से हड़कंप मच गया है। इस घटना के बाद पुलिस ने आश्रम में रह रहे एक युवक को हिरासत में लिया है और पूछताछ कर रही है। वहीं एक अन्य युवक की तलाश के लिए पुलिस ने चार टीमों का गठन किया है।
यूं तो हम सभी पुरुष नागा साधुओं के बारे में जानते हैं लेकिन शायद बहुत ही कम लोगों को महिला नागा साधुओं के बारे में पता होगा। ऐसे में आइए जानते हैं महिला नागा साधु के बारे में कुछ रोचक तथ्य।
काशी विश्वनाथ को तोड़ने की पहली कोशिश में औरंगजेब सफल नहीं हो पाया था। अपनी मुगल सेना के साथ उसने पहली बार साल 1664 में मंदिर पर हमला किया था। लेकिन नागा साधुओं ने मंदिर का बचाव किया और औरंगजेब की सेना को बुरी तरह हराया।
हिंदू संतों व साधुओं के शीर्ष संगठन अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (ABAP) के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर नागा संन्यासी भी चीन को सबक सिखाने के लिए हथियार उठा सकते हैं।
नागालोक से आएंगे अब मंदिर हम बनाएंगे
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