पुराणों के अनुसार माना जात है कि इस अवधि के बीच भगवान शिव कैलाश पर्वत में प्रसन्न होकर नृत्य करते है। इस दिन व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। जानिए इसकी पूजा विधि, कथा और महत्व के बारें में।
प्रदोष काल सूर्यास्त के तुरंत बाद के समय, यानी रात्रि के प्रथम प्रहर को कहते हैं और कल के दिन त्रयोदशी तिथि के समय प्रदोष काल नहीं होगा। अतः प्रदोष व्रत आज ही के दिन किया जायेगा। आपको
आज शनि प्रदोष व्रत है और शास्त्रों में शनि प्रदोष का बड़ा ही महत्व है। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वालों के लिये शनि प्रदोष अत्यंत फलदायी है। जानिए आचार्य इंदु प्रकाश से राशिनुसार क्या उपाय करना होगा शुभ।
शुक्र प्रदोष व्रत 2018: शुक्रवार को पड़ने वाली प्रदोष व्रत अच्छा भाग्य और दंपत्ति की खुशियों को बनाए रखने के लिए होता है। जानिए पूजा का सही समय और पूजा विधि।
13 अप्रैल, शुक्रवार को बहुत ही खास संयोग है। इस दिन शुक्रवार होने के साथ-साथ प्रदोष व्रत पड़ रहा है।
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