समुद्र में तैनात भारतीय नौसेना के युद्धक जहाज INS कोलकाता-इंडियन नेवल वॉरशिप डेल्टा 63 से राफेल के दल का संपर्क हुआ है।
भारतीय वायुसेना का ब्रह्मास्त्र कहे जाने वाले राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप भारतीय वायु क्षेत्र में दाखिल हो गए हैं। इनकी तस्वीरें भी सामने आ गई हैं।
भारतीय वायुसेना का अपने ब्रह्मास्त्र राफेल लड़ाकू विमानों का इंतजार कुछ ही घंटों में खत्म होने वाला है।
राफेल दुश्मन खेमों में हाहाकार मचा चुका है। इसकी यही घातक और विध्वंसक मारक क्षमता अब भारतीय वायु सेना को मिलने जा रही है।
भारतीय वायुसेना का ब्रह्मास्त्र कहे जाने वाले राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप आज अंबाला एयरबेस पहुंच गई है
हिलाल की पढ़ाई जम्मू जिले के नगरोटा कस्बे में सैनिक स्कूल में हुई। वह वायुसेना में 17 दिसंबर, 1988 को एक लड़ाकू पायलट के रूप में शामिल हुए।
बचपन में पहलवान बनकर कुश्ती के दांव पेच सीख कर प्रतिद्वंदी को परास्त करने का जज्बा रखने वाले अभिषेक त्रिपाठी ने आकाश के सिकंदर राफेल को उडाने की महारत हासिल की है।
वायुसेना ने क्यों पहले 5 राफेल विमानों को अंबाला एयरबेस में तैनात करने की योजना बनाई है? इस सवाल का जवाब भारत के सामने रक्षा चुनौतियां और उन चुनौतियों से निपटने में अंबाला के महत्व से मिल जाता है।
अंबाला जिला प्रशासन ने अंबाला एयर फोर्स स्टेशन के आसपास के इलाके में धारा 144 लगा दी है। वहां आसपास किसी भी तरह की फोटोग्राफी वीडियोग्राफी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
वायुसेना के एक अधिकारी ने कहा कि विमानों में उड़ान के दौरान हवा में ही ईंधन भरा गया। इस काम में फ्रांसीसी वायु सेना के समर्पित टैंकर की मदद ली गई। वायुसेना ने एक बयान में कहा, “विमानों के 29 जुलाई को अंबाला में वायुसैनिक अड्डे पर पहुंचने की संभावना है अगर मौसम (परिस्थितियां) सही रहता है तो।”
जिस लड़ाकू विमान ने चीन और पाकिस्तान के होश उड़ा दिए हैं, वो लड़ाकू विमान आखिर बनता कैसे है? इस रिपोर्ट में हम आपको वही बताने जा रहे हैं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी भी फ्रांसीसी लड़ाकू विमान राफेल उड़ा चुके हैं। बता दें कि बेंगलुरु में आयोजित हुए 'एयरो इंडिया-2017' शो में रूडी ने फ्रांसीसी लड़ाकू विमान राफेल में उड़ान भरी थी।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि 10 विमानों की आपूर्ति समय पर पूरी हो गई है और इनमें से पांच विमान प्रशिक्षण मिशन के लिये फ्रांस में ही रुकेंगे। बयान में कहा गया है कि सभी 36 विमानों की आपूर्ति 2021 के अंत तक पूरी हो जाएगी।
भारत को यह लड़ाकू विमान ऐसे समय में मिले हैं, जब उसका पूर्वी लद्दाख में सीमा के मुद्दे पर चीन के साथ गतिरोध चल रहा है।
एयर मार्शल रघुनाथ नामबियार ने बताया कि ये विमान ने सिर्फ भारतीय वायुसेना की ताकत को बढ़ाएंगे बल्कि इस क्षेत्र में 3 बड़े देशों की वायुसेना के मुकाबले में भारत को आगे ले जाएंगे।
चीन से जारी तनातनी के बीच भारत के लिए एक अच्छी खबर है। अत्याधुनिक राफेल विमानों की पहली खेप इसी महीने भारत पहुंचने वाली है।
भारतीय वायुसेना के शीर्ष कमांडर बुधवार से शुरू हो रहे तीन दिवसीय सम्मेलन में देश की वायु रक्षा प्रणाली की व्यापक समीक्षा करेंगे। इसमें चीन के साथ सीमा विवाद के मद्देनजर लद्दाख क्षेत्र में राफेल लड़ाकू विमानों के पहले बेड़े की संभावित तैनाती पर भी चर्
22 और 23 जुलाई को होने वाली भारतीय वायुसेना की कॉन्फ्रेंस बैठक काफी अहम मानी जा रही है, क्योंकि इस बैठक में पूर्वी लद्दाख में जारी हालात पर आगे की रणनीति और राफेल की तैनाती को लेकर चर्चा की जाएगी।
भारत की प्रतिरक्षा के लिए बेहद जरूरी माने जा रहे राफेल विमान सही समय पर भारत को मिलेंगे।
सामरिक ताकत के लिए बेहद महत्वपूर्ण माने जाने वाले राफेल लड़ाकू विमान इस साल जुलाई के अंत तक फ्रांस से भारत पहुंचना शुरू हो जाएंगे।
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