Saturday, April 27, 2024
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राफेल की तैनाती को लेकर IAF की अहम बैठक, इसी महीने होनी है डिलीवरी

22 और 23 जुलाई को होने वाली भारतीय वायुसेना की कॉन्फ्रेंस बैठक काफी अहम मानी जा रही है, क्योंकि इस बैठक में पूर्वी लद्दाख में जारी हालात पर आगे की रणनीति और राफेल की तैनाती को लेकर चर्चा की जाएगी।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: July 19, 2020 21:11 IST
IAF, rafale deployment, fighter jet - India TV Hindi
Image Source : AP IAF to discuss rafale deployment as fighter jet is going to deliver this month

नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के साथ तनातनी और इस महीने यानी जुलाई के अंत में फ्रांस से भारत आ रहे राफेल लड़ाकू विमानों की तैनाती लेकर एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया के नेतृत्व में वायुसेना के शीर्ष कमांडर्स की बैठक होने जा रही है। दो दिवसीय यानी 22 और 23 जुलाई को होने वाली भारतीय वायुसेना (IAF) की ये बैठक काफी अहम मानी जा रही है क्योंकि इस बैठक में पूर्वी लद्दाख में जारी हालात पर आगे की रणनीति और राफेल की तैनाती को लेकर चर्चा की जाएगी।

वायुसेना के अधिकारियों ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, इस हफ्ते 22 जुलाई से टॉप कमांडर्स की दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस होगी, जिसमें सुरक्षा मुद्दों को लेकर कई अहम विषयों पर चर्चा की जाएगी। इस कॉन्फ्रेंस में 7 कमांडर इन चीफ शामिल होंगे। इस दौरान चीन के साथ सीमा पर विवाद और पूर्वी लद्दाख में एयरफोर्स की तैनाती को लेकर चर्चा होगी। बताया जा रहा है कि बैठक में राफेल की तैनाती के लिए ऑपरेशनल स्टेशन कहां बनाया जाएगा, इस पर विशेष रूप से चर्चा की जाएगी। जुलाई अंत तक फ्रांस से पांचवीं पीढ़ी के 4 राफेल विमान भारत पहुंचने की उम्मीद है। बताया जा रहा है कि चर्चा का एक मुख्य एजेंडा चीन के साथ लगती सीमा पर स्थिति और पूर्वी लद्दाख और उत्तरी सीमाओं के अग्रिम ठिकानों पर जवानों की तैनाती का रहेगा।

एएनआई के मुताबिक, भारतीय वायुसेना फॉरवर्ड बेस पर मिराज-2000, सुखोई-30, मिग-29 एडवांस जैसे आधुनिक विमान तैनात करेगा। जहां से दिन और रात दोनों समय सभी तरह के ऑपरेशनों को अंजाम दिया जा सकता है। वहीं चीन से लगी सीमा के पास अपाचे लड़ाकू हेलिकॉप्टर तैनात किए गए हैं, जो पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में रात के वक्त भी उड़ान भर रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि फ्रांस से आ रहा राफेल लड़ाकू विमान अत्याधुनिक हथियारों से लैस है और इसके एयरफोर्स में शामिल होने के बाद पड़ोसी देशों की तुलना में भारतीय वायुसेना को बढ़त मिलेगी। 

बता दें कि, वायु सेना रूसी मूल के बेड़े के साथ फ्रांसीसी सेनानियों के एकीकरण पर भी काम कर रही है और उन्हें संचालन में अनुकूल बनाती है। आपातकालीन खरीद के रास्ते भारत के सबसे बड़े रक्षा खरीद में भारत के नेगोसिएशन हेड के तौर पर वायुसेना चीफ ने 60 हजार करोड़ के 36 राफेल विमानों की खरीद में अहम भूमिका निभाई है। राफेल के दो स्क्वॉड्रन के बाद वायुसेना के लड़ाकू विमानों की कम होती संख्या में जहां एक तरफ इजाफा होगा तो वहीं इसकी लंबी दूरी की मारक क्षमता भी बढ़ेगी।

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