भारत-चीन की सीमा पर हालात लगातार नाजुक बने हैं। इस दौरान जी-20 सम्मेलन में शरीक होने के लिए चीन के विदेश मंत्री किन कांग भारत आए हुए हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर की उनसे जी-20 से इतर मुलाकात और बातचीत भी हुई। इसके बावजूद सीमा पर बने मौजूदा हालात का कोई हल निकलने की गुंजाइश नहीं दिखी।
जी-20 सम्मेलन में भारत-चीन के बीच बनी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के मौजूदा हालत का मुद्दा गर्माया रहा। भारत ने चीन के विदेश मंत्री किन कांग से सीमा के हालात और उसकी वजहों को लेकर न सिर्फ बात की, बल्कि कड़ी आपत्तियां भी दर्ज करवाई।
जी-20 समिट में भाग लेने आए चीनी विदेश मंत्री छिन गांग विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर भारतीय समकक्ष एस.जयशंकर से मुलाकात कर सकते हैं। छिन गांग ने पिछले साल ही विदेश मंत्री का पद संभाला था। पद संभालने के बाद यह उनका पहला भारतीय दौरा है। वे यहां पहली बार जयशंकर से मुलाकात करेंगे।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बेयरबॉक, फ्रांस की विदेश मंत्री कैथरीन कोलोना और चीनी विदेशी मंत्री किन गांग दिल्ली के एक आलीशान होटल में शाम लगभग सात बजे शुरू हुए रात्रिभोज से पहले राष्ट्रीय राजधानी नहीं पहुंच सके।
विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने बताया कि आज ताज पैलेस में डिनर के साथ ही जी20 देशों के विदेश मंत्रियों के इस सम्मेलन की औपचारिक शुरुआत हो जाएगी।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि जी-20 आर्थिक वृद्धि और विकास के संदर्भ में जिस समाधान की ओर देख रहा है, उसमें भारत के पास ‘‘15 प्रतिशत समाधान’’ है। वह यहां सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित ‘फेस्टिवल ऑफ थिंकर्स’ को संबोधित कर रहे थे।
बदहाली से जूझ रहे कंगाल पाकिस्तान को भारत कोई मदद करने वाला नहीं है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान को आतंकवाद को पोषक करार दिया है। उन्होंने उसकी मौजूदा स्थिति के लिए पाक को खुद जिम्मेदार बताया है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आज कहा कि भारत की छवि ऐसे देश की बन गई है जो अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को बचाने के लिये किसी भी हद तक जाने को तैयार है। विदेश मंत्री ने कहा कि हर देश की अपनी चुनौतियां हैं, किंतु कोई चुनौती राष्ट्रीय सुरक्षा से समान महत्व वाली नहीं हो सकती।
40 साल पुराना किस्सा.. इंदिरा गांधी ने मेरे पिता को केंद्रीय सचिव के पद से हटा दिया.. वो सिद्धांतों पर चलने वाले आदमी थे..
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर खरी-खरी बात कहने के लिए मशहूर हैं। समाचार एजेंसी एएनआइ को दिए एक साक्षात्कार में उन्हों पड़ोसी पाकिस्तान व चीन से लेकर देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और ब्रिटिश ब्रॉड कास्टिंग कार्पोरेशन (बीबीसी) को जमकर धोया।
क्वाडिलैट्रल सिक्योरिटी डायलॉग (क्वाड) यानि की चतुर्भुज सुरक्षा संवाद का हिस्सा बनने के बाद से भारत और आस्ट्रेलिया के बीच दोस्ती की डोर और भी अधिक मजबूत हुई है। भारत और आस्ट्रेलिया के साथ ही साथ अमेरिका और जापान भी क्वाड के हिस्से हैं। क्वाड के गठन से सर्वाधिक चिंता चीन को हुई है।
क्या न्यूयॉर्क में बैठकर मोदी को हटाने की साजिश रची जा रही है. अभी-अभी विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि अमेरिका के बड़े बिजनेसमैन अपने पैसे का इस्तेमाल मोदी के खिलाफ नैरेटिव सेट करने के लिए कर रहे हैं.
S Jaishankar On George Soros: विदेश मंत्री एस जयशंकर का जॉर्ज सोरोस पर तीखा पलटवार | Adani Case Foreign Minister S Jaishankar ने अमेरिकी उद्योगपति George Soros पर पलटवार किया है. विदेश मंत्री ने कहा कि सोरोस न्यूयॉर्क में बैठे एक पुराने अमीर और गलत विचारों वाले व्यक्ति हैं.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि सोरोस न्यूयॉर्क में बैठे एक पुराने, अमीर और गलत विचारों वाले व्यक्ति हैं, जो अभी भी ये सोचते हैं कि पूरी दुनिया को उनके हिसाब से काम करना चाहिए।
जयशंकर ने आस्ट्रेलिया के लिए कहा कि आपको इस साल भारत से 5जी तकनीक मिलेगी और मुझे लगता है कि यह कुछ ऐसा है जो बड़े वैश्विक हित में होगा। आज आप भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव देख सकते हैं।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर विश्व हिंदी कॉफ्रेंस में भाग लेने फिजी गए हुए हैं। उन्होंने बताया कि 'मैंने जब फिजी के राष्ट्रपति से पूछा कि उनकी प्रिय फिल्म कौनसी है तो उन्होंने 'शोले' बताया। उन्होंने कहा कि उनको गाना 'ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे' अभी भी याद आता है।
ऐसी यात्राओं के जरिए भारत अपने राष्ट्रीय हित को पूरा करता है और विदेश नीति के उद्देश्यों को लागू करता है। इन यात्राओं से उच्चतम स्तर पर विदेशी भागीदारों के बीच क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भारत के दृष्टिकोण की समझ बढ़ी है।
वर्ष 2011 से भारत की नागरिकता छोड़कर विदेश बसने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार पिछले 11 वर्षों में करीब 16 लाख लोग भारत की नागरिकता को त्याग कर दूसरे देशों में बस चुके हैं।
विदेश मंत्री ने वर्षवार भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले भारतीयों की संख्या का ब्योरा देते हुए बताया कि साल 2015 में 1,31,489 जबकि 2016 में 1,41,603 लोगों ने नागरिकता छोड़ी और 2017 में 1,33,049 लोगों ने नागरिकता छोड़ी।
चीन से लगी सीमा पर ड्रैगन की घेराबंदी करने के लिए भारत ने पिछले 8 वर्षों में इंफ्रास्ट्रक्चर का इतना बड़ा जाल बिछा दिया कि जिसे देखकर चीन भी दंग रह गया है। सीमा पर भारतीय सेना की सतर्कता और तैयारियों को देखकर घुसपैठ करने की चीन की हिम्मतें भी जवाब देने लगी हैं।
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