मोदी ने कहा कि नौकरियों की कमी से अधिक बड़ा मुद्दा नौकरियों के डेटा की कमी होना है। विपक्ष ने स्वाभाविक रूप से अपनी पसंद की एक तस्वीर पेश करने और सरकार को दोषी ठहराने के लिए इस अवसर का फायदा उठाया है...
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सोमवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी की 'प्रशासनिक अक्षमता' और 'नीतिगत चूक' बढ़ते कृषि संकट, बेरोजगारी और अर्थव्यवस्था की विफलता के लिए जिम्मेदार रही हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की निराशा गुस्से में बदल गई है और वे विरोध के लिए सड़कों पर आ गए हैं।
सपा ने कहा, नौजवानों का इतनी बड़ी संख्या में मौत को गले लगाना आजाद भारत के लोकतंत्र पर शर्मनाक दाग है। भाजपा सरकार इसके दोष से बच नहीं सकती है।
किसी दौर में दिन दूनी, रात चौगुनी तरक्की करने वाले टेलिकॉम सेक्टर के लिए अगले 6 से 9 महीने भारी संकट के रहने वाले हैं तथा इस दौरान इसमें 50,000 नौकरियां और जा सकती है।
बता दें कि गुजरात चुनाव में भाजपा ने भले ही सरकार बना ली है लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव की तुलना में इस चुनाव में भाजपा के सीटों में कमी आई है। इस चुनाव में भाजपा को 100 सीटें भी हासिल नहीं हो सकी हैं जबकि बीते चुनाव में पार्टी के खाते में 115 सीटें गई
अगर आप नौकरी छोड़ चुके हैं या रिटायर होने के बाद यह उम्मीद पाले बैठें है कि आपके EPF खाते पर ब्याज मिलेगा तो यह आपकी गलतफहमी है।
कम वेतन पर या अत्यधिक तनावपूर्ण माहौल में नौकरी कर रहे लोगों के बेरोजगार लोगों के मुकाबले स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझने की अधिक आशंका होती है।
सरकार जल्द ही नेशनल हाईवे पर प्रत्येक 50 किलोमीटर की दूरी पर यात्रियों और ट्रक चालकों आदि के लिए जनसुविधाएं विकसित करेगी।
नोटबंदी पर पूर्व PM मनमोहन सिंह ने कहा कि इससे न केवल इकॉनोमी की रफ्तार सुस्त हुई है बल्कि मंदी की स्थिति आने से नौकरियों में भी कमी आई है।
नीति आयोग के अनुसार, देश के समक्ष बेरोजगारी के मुकाबले सबसे बड़ी समस्या अर्द्ध बेरोजगारी है।
1 अक्टूबर 2016 की तुलना में एक जनवरी, 2017 को 8 क्षेत्रों में आकस्मिक तौर पर रखे जाने वाले दिहाड़ी श्रमिकों की श्रेणी में 1.52 लाख नौकरियों की कमी आई।
विशेषज्ञों के अनुसार, विभिन्न क्षेत्रों में ऑटोमेशन को बढ़ावा दिए जाने के कारण ऐसा लगता है कि वैश्विक स्तर पर 2021 तक प्रत्येक 10 में 4 नौकरियां खत्म हो जाएंगी।
वार्षिक रोजगार एवं बेरोजगारी रिपोर्ट (2013-14) के मुताबिक देश में 16.5 फीसदी से अधिक मजदूरों को नियमित वेतन या पारिश्रमिक नहीं मिलता।
नोटबंदी की वजह से लेदर उद्योग पर सख्त मार पड़ रही है। लेदर की चीजों के उत्पादन में 60% की गिरावट आने की वजह से करीब 75 फीसदी कामगार बेरोजगार हो गए हैं।
पिछले चार साल के दौरान प्रतिदिन 550 नौकरियां 'गायब' हुई हैं। यदि यही रुख जारी रहा तो 2050 तक देश में 70 लाख रोजगार समाप्त हो जाएंगे।
बढ़ते बैड लोन की समस्या एक गंभीर चिंंता बनी हुई है। इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन घट रहा है और बेरोजगारी पिछले पांच साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
नेशनल सैंपल सर्वे के अनुसार शहरों और गांवों में सबसे ज्यादा बेरोजगारी ईसाईयों में हैं, जबकि हिंदू और सिखों में अपेक्षाकृत कम बेरोजगारी है।
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