लखनऊ: यूपी के लखनऊ में पैसे के बदले फर्जी मार्कशीट-डिग्री बनाने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है और इस मामले में 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार आरोपियों में एक आरोपी खुद पीएचडी किए हुए है।
पीएचडी होल्डर का फर्जी मार्कशीट बनाने का काम कई प्रदेशों में फैला था।
क्या है पूरा मामला?
फर्जी मार्कशीट-डिग्री बनाने वाला अंतरराज्यीय गिरोह कोर्स के अनुसार पैसा लेकर डिग्री बांट रहा था। लोगों से पैसा लेकर उन्हें बिना पढ़ाई और बिना मेहनत के बीटेक, एमबीए, बीसीए, बीबीए और एमसीए की डिग्री बांटी जा रही थी। इस गिरोह को पीएचडी होल्डर संचालित कर रहा था।
फर्जी डिग्री बनाने के लिए ये गिरोह 25 हज़ार से 4 लाख रुपए लेता था। डिग्रियों को लाखों रुपयों में बेचा जा रहा था। गोमतीनगर में प्रिंटिंग शॉप में ये फर्जी डिग्रियां छपती थीं। इस मामले में 3 आरोपियों सतेंद्र (पीएचडी होल्डर), अखिलेश और सौरभ को गोमतीनगर इलाके से गिरफ्तार किया गया है।
फर्जी मार्कशीट और अन्य सामान बरामद
मुखबिर की सूचना पर जब छापेमारी हुई तो 923 फर्जी मार्कशीटें बरामद की गईं। इसके अलावा 15 फर्जी मुहरें, नीला इंक पैड, 2 लाख नकद, 65 मार्कशीट पेपर जब्त किए गए। इसके अलावा टाटा हैरियर कार, 6 लैपटॉप, 2 हार्डडिस्क, 1 प्रिंटर, 1 CPU भी मिला है। 5 मोबाइल फोन, 2 रजिस्टर, 5 चेकबुक पासबुक सहित अन्य सामान भी बरामद किया गया है।
आरोपी, पैसे वालों के घर के छात्रों को लुभाकर बीटेक, BCA, MCA जैसी फर्जी डिग्री बनाते थे। आरोपी, देशभर के 25 विश्वविद्यालयों जैसे स्वामी विवेकानंद सुभारती, कलिंगा, साबरमती आदि की नकली डिग्री बनाते थे। प्राइवेट नौकरियों के लिए ये फर्जी डिग्री खरीदी जाती थीं। फर्जी डिग्री कोर्स के अनुसार 25 हजार से 4 लाख तक वसूले जाते थे।
पूछताछ में खुलासा हुआ है कि छात्रों को बिना मेहनत डिग्री का लालच देकर ये गिरोह ठगता था। गोमतीनगर थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है।


