Thursday, May 02, 2024
Advertisement

पाषाण युग में जी रही यह जनजाति, खा जाती है इंसानों को, ये अंग छोड़कर पूरे शरीर को बना लेते हैं निवाला

दुनिया में आज भी कई इलाके ऐसे हैं, जो पूरी दुनिया से कटे हुए हैं। पापुआ न्यूगिनी में रहने वाली ऐसी ही एक जनजाति है जो आज भी पाषाण युग में जी रही है। ये जनजाति एक अंग छोड़कर इंसान को ही आग में जलाकर खा जाती है।

Deepak Vyas Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Published on: August 23, 2023 8:14 IST
पाषाण युग में जी रही यह जनजाति, खा जाती है इंसानों को, ये अंग छोड़कर पूरे शरीर को बना लेते हैं निवाल- India TV Hindi
Image Source : FILE पाषाण युग में जी रही यह जनजाति, खा जाती है इंसानों को, ये अंग छोड़कर पूरे शरीर को बना लेते हैं निवाला

Cannibal Tribe: आज दुनिया चांद पर पहुंच रही है, लेकिन हमारी धरती पर आज भी कुछ ऐसी प्रजातियां हैं जो दुनिया से कटी हुई है। ये जनजातियां पाषाण युग में जी रही है। इनके अपने कानून हैं, अपने उसूल हैं। ये आज भी कबीलों में रहती है और मौका पड़ने पर इंसानों को भी मारकर खा जाती है। ऐसी ही एक जनजाति है जो प्रशांत महासागरीय देश पापुआ न्यूगिनी में रहती है। यह प्रजाति तो तीर कमान के साथ रहती है और शिकार करती है। यह जनजाति इतनी खूंखार है कि चोरी करने वाले इंसान को सब मिलकर आग में जलाकर खा जाते हैं।

दुनिया में आज भी कई इलाके ऐसे हैं, जो पूरी दुनिया से कटे हुए हैं। इनमें अफ्रीकी देशों के घने जंगलों में रहने वाली जनजातियां, अंडमान निकोबार आईलैंड में रहने वाली जनजातियों के साथ ही दुनिया के महासागरों के दुर्लभ द्वीपों में रहने वाली कुछ प्रजातियां ऐसी ही हैं, जिनके अपने नियम कायदे हैं। ये जनजातियां आज भी पाषाणकाल के मानवों की तरह रह रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ड्रू बिंस्की नाम के यूट्यूबर पापुआ न्यू गिनी के ऐसे कबीले में पहुंचे जहां इंसानों को मारकर लोग खा जाते हैं। पापुआ न्यू गिनी में कोरोवाई लोग आज भी वैसे रहते हैं, जैसे इंसान पाषाण काल के समय में जनजातियां रहा करती थीं। उनके शरीर पर न के बराबर कपड़े होते हैं। ये लोग तीर और कमान के जरिए शिकार करते हैं।

कोरोवाई जनजाति 1974 तक दूसरे इंसानों के वजूद से थी अनजान

1974 में पहली बार दक्षिणी पापुआ और हाईलैंड पापुआ के प्रांतों में मानवविज्ञानी गए। इससे पहले कोरोवाई लोगों को यह पता नहीं था कि उनके अलावा पृथ्वी पर कोई और भी रहता है। ड्रू ने मोमुना जनजाति के बीच एक अच्छा खासा समय बिताया, जहां उसे कोरोवाई लोगों के बारे में हैरान करने वाली जानकारी मिली। ड्रू ने कहा, 'मुझे यहां आकर पता चला कि कोरोवाई लोग इंसानों को स्वाद या पोषण के लिए नहीं खाते। बल्कि यह एक सजा होती है।' उन्होंने कहा कि अगर कोई कुछ चुरा लेता है तो यह लोग उसे आग में जला कर खा लेते हैं।

कोरोवाई जनजाति के लोगों की यह मान्यता है कि खाकुआ नाम काकोई राक्षस इंसानी दिमाग पर कब्जा कर सकता है और अंदर से खा लेता है। इस कारण इंसान किसी प्रेत में बदल जाता है। इसलिए इस जनजाति के लोगों का मानना है कि जिस किसी पर भूतप्रेत का साया हो, उसे मारकर खा लेना चाहिए। उन्होंने बताया कि कोरोवाई लोग बीमारी से होने वाली मौतों के लिए खाकुआ राक्षस को जिम्मेदार मानते हैं। उनका यह सोचना है कि खाकुआ राक्षस इंसान का रूप धारण कर लेता है। वह जनजाति का विश्वास हासिल करने के लिए दोस्तों या परिवार के सदस्यों के रूप में खुद को दिखाते हैं।

शरीर के ये अंग छोड़ देते हैं कोरोवाई

उन्होंने आगे कहा कि अगर किसी व्यक्ति को खाकुआ राक्षस मान लिया जाता है तो उसे मार डाला जाता है। इसके बाद उसे खा जाते हैं। खाते समय ये जनजा​तीय लोग बाल, नाखून और लिंग को छोड़कर बाकी पूरे शरीर के हिस्से को अपना निवाला बना लेते हैं। हालांकि 13 साल से कम उम्र के बच्चे इसे नहीं खा सकते हैं, क्योंकि माना जाता है। कि वे भी खाखुआ के असर से प्रभावित हो सकते हैं।  यह आदिवासी इंसानी मांस के स्वाद की तुलना जंगली सूअर या एमू से करते हैं। कोर्नीलियस नाम के गाइड ने इस कबीले का विश्वास जीतने का अनोखा अनुभव साझा किया। उसने कहा कि एक बार कबीले वालों ने उसे मांस का टुकड़ा दिया और कहा कि ये इंसान का है। अगर वह खा ले तो उनके साथ रह सकता है और उसने फिर वैसा ही किया।

Latest World News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Around the world News in Hindi के लिए क्लिक करें विदेश सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement