Friday, March 14, 2025
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शेख हसीना के भाषण के बीच बांग्लादेश में हिंसा भड़की, भीड़ ने शेख मुजीबुर्रहमान का घर जलाया

शेख हसीना ने कहा कि बांग्लादेश के लोगों को मौजूदा सरकार के खिलाफ संगठित होकर विरोध प्रदर्शन करना चाहिए। हालांकि, भीड़ पहले ही उनके खिलाफ थी और भाषण के दौरान ही उनके पैतृक आवास में आग लगा दी।

Edited By: Shakti Singh
Published : Feb 06, 2025 6:39 IST, Updated : Feb 06, 2025 6:55 IST
 Sheikh Mujibur Rahman House
Image Source : PTI शेख मुजीबुर रहमान का घर गिराते प्रदर्शनकारी

बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान के ढाका स्थित आवास में बुधवार को प्रदर्शनकारियों के एक बड़े समूह ने तोड़फोड़ की और आग लगा दी। यह तोड़फोड़ उस समय हुई जब उनकी बेटी और अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना 'ऑनलाइन' लोगों को संबोधित कर रही थीं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि राजधानी के धानमंडी इलाके में स्थित घर के सामने हजारों लोग शाम से ही एकत्र हो गए थे। इस घर को पहले एक स्मारक संग्रहालय में बदल दिया गया था। 

सोशल मीडिया पर "बुलडोजर जुलूस" का आह्वान किया गया था, क्योंकि हसीना स्थानीय समयानुसार रात नौ बजे अपना संबोधन देने वाली थीं। हसीना का संबोधन आवामी लीग की अब भंग हो चुकी छात्र शाखा छात्र लीग द्वारा आयोजित किया गया था। पूर्व प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में देशवासियों से वर्तमान शासन के खिलाफ संगठित प्रतिरोध करने का आह्वान किया। 

मोहम्मद यूनुस को दी चेतावनी

हसीना ने स्पष्ट रूप से नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस की सरकार की ओर इशारा करते हुए कहा, "उनके पास अभी भी इतनी ताकत नहीं है कि वे राष्ट्रीय ध्वज, संविधान और उस स्वतंत्रता को बुलडोजर से नष्ट कर सकें, जिसे हमने लाखों शहीदों के जीवन की कीमत पर अर्जित किया है।" उन्होंने कहा, "वे इमारत को ध्वस्त कर सकते हैं, लेकिन इतिहास को नहीं। लेकिन उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि इतिहास अपना बदला लेता है।"

तानाशाही का प्रतीक बताया

हजारों प्रदर्शनकारियों ने कहा कि शेख हसीना का पारिवारिक घर उनकी तानाशाही का प्रतीक है, जबकि पहले इसे देश की आजादी से जोड़कर देखा जा रहा था। राजधानी ढाका में स्थित यह घर हसीना के दिवंगत पिता और बांग्लादेश के स्वतंत्रता नेता शेख मुजीबुर्रहमान का घर था, जिन्होंने 1971 में पाकिस्तान से देश के औपचारिक रूप से अलग होने की घोषणा की थी। 1975 में उनकी हत्या कर दी गई थी। बाद में हसीना ने इस घर को संग्रहालय में बदल दिया था।

समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहीं हसीना

शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग अपने सदस्यों और हसीना के अन्य समर्थकों पर हमलों के आरोपों के बीच समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रही है। इसके लिए पार्टी ने एक महीने तक चलने वाला विरोध प्रदर्शन भी शुरू किया है। इसी विरोध के बीच शेख हसीना ने ऑनलाइन भाषण देना शुरू किया। इससे पहले बुधवार को कुछ प्रदर्शनकारियों ने धमकी दी कि अगर पूर्व प्रधानमंत्री ने अपना भाषण जारी रखा, तो वे इमारत को “बुलडोजर” से उड़ा देंगे। जैसे ही हसीना ने बोलना शुरू किया, प्रदर्शनकारियों ने घर पर धावा बोल दिया और ईंट की दीवारों को तोड़ना शुरू कर दिया, बाद में इमारत को गिराने के लिए एक क्रेन और एक खुदाई करने वाली मशीन ले आए। हसीना ने अपने भाषण के दौरान जवाब में कहा “उनके पास बुलडोजर से देश की आजादी को नष्ट करने की शक्ति नहीं है। वे एक इमारत को नष्ट कर सकते हैं, लेकिन वे इतिहास को मिटा नहीं पाएंगे।” हालांकि, इमारत को गिराना जारी रहा। उन्होंने बांग्लादेश के लोगों से देश के नए नेताओं का विरोध करने का आह्वान किया और आरोप लगाया कि उन्होंने "असंवैधानिक" तरीकों से सत्ता हासिल की है।

भारत के खिलाफ भी नारेबाजी

छात्र नेता हसनत अब्दुल्ला ने हसीना के भाषण के खिलाफ मीडिया आउटलेट्स को चेतावनी दी थी और फेसबुक पर घोषणा की थी कि "आज रात बांग्लादेश को फासीवाद के तीर्थ स्थल से मुक्त कर दिया जाएगा।" कई प्रदर्शनकारियों ने पिछले साल उनके खिलाफ विद्रोह के दौरान सैकड़ों लोगों की मौत के लिए हसीना को फांसी की सजा देने की मांग करते हुए नारे लगाए। हसीना ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा मौतों की जांच का आग्रह किया। प्रदर्शनकारियों ने भारत की आलोचना करते हुए नारे भी लगाए। नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है, लेकिन भारत ने कोई जवाब नहीं दिया है।

शेख हसीना पर गंभीर आरोप

अंतरिम सरकार व्यवस्था बनाए रखने और हसीना के समर्थकों के खिलाफ भीड़ के न्याय को रोकने के लिए संघर्ष कर रही है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री पर 2009 में शुरू हुए अपने शासन के दौरान व्यापक भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाया है। हसीना की अवामी लीग ने बदले में यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार पर मानवाधिकारों का उल्लंघन करने और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समूहों को दबाने का आरोप लगाया है, जिसे अधिकारियों ने नकार दिया है। (इनपुट- पीटीआई भाषा)

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