Sunday, December 07, 2025
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हिज़्बुल्लाह महासचिव क़ासिम का ऐलान, "इजरायल के साथ समझौते का मतलब है अपमान, हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे"

हिजबुल्लाह के शीर्ष नेता और महासचिव शेख नई कासिम ने कहा है कि वह इजरायल के सामने झुकेगा नहीं और न ही कोई समझौता करेगा। ऐसा करना इजरायल के सामने आत्मसमर्पण करने जैसा होगा।

Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published : Jul 06, 2025 05:18 pm IST, Updated : Jul 06, 2025 06:57 pm IST
हिजबुल्लाह की महासचिव कासिम।- India TV Hindi
Image Source : X@RT हिजबुल्लाह की महासचिव कासिम।

बेरूतः हिजबुल्ला के महासचिव शेख नई कासिम ने बड़ा ऐलान किया है। कासिम ने कहा है कि वह इजरायल के सामने कतई नहीं झुकेगा। इजरायल के साथ रिश्ते सामान्य करने का मतलब है दुश्मन के साथ समझौता और अपमान करना। हम उसके कब्जे को वैध ठहराने की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनेंगे। कासिम ने कहा कि लेबनान के लोग इजरायल के सामने आत्मसमर्पण कभी नहीं करेंगे और न ही यह अपमान सहेंगे। हिजुब्लाह के इस ऐलान के साथ ही इजरायल के साथ युद्ध विराम के प्रयासों को बड़ा झटका लग सकता है। 

इजरायल से समझौता फिलिस्तीनी संघर्ष के साथ विश्वासघात

कासिम ने कहा कि इजरायल के साथ किसी तरह का समझौता करना फिलिस्तीनी संघर्ष के साथ विश्वासघात होगा। हिज़्बुल्लाह के वरिष्ठ नेता ने कहा कि हमारा संगठन किसी भी ऐसे प्रयास का विरोध करता है जो इज़रायल के साथ संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में हो। उन्होंने इसे न केवल आत्मसमर्पण बताया, बल्कि इसे फ़िलस्तीनी संघर्ष के साथ विश्वासघात भी कहा। कासिम ने कहा कि इज़रायल के साथ कोई भी समझौता करना उसके "कब्जे की वैधता" को स्वीकार करने जैसा होगा, जिसे हिज़्बुल्लाह किसी भी रूप में मान्यता नहीं देगा।

इजरायल और हिजबुल्लाह का क्या है झगड़ा?

इज़रायल और हिज़्बुल्लाह के बीच झगड़े की जड़ें कई दशकों पुरानी हैं और यह संघर्ष मुख्यतः राजनीतिक, धार्मिक, सैन्य और क्षेत्रीय वर्चस्व को लेकर है। हिज़्बुल्लाह एक शिया मुस्लिम आतंकी और राजनीतिक संगठन है, जिसकी स्थापना 1982 में लेबनान में तब हुई थी, जब इज़रायल ने लेबनान पर आक्रमण किया था। हिजबुल्ला को ईरान का समर्थन प्राप्त है और यह लेबनान की राजनीति और सैन्य गतिविधियों में एक शक्तिशाली ताकत है। इसका द्वंद तब शुरू हुआ, जब इसने इज़रायल के खिलाफ "मुक्ति संघर्ष" छेड़ दिया।

दक्षिण लेबनान में इज़रायली कब्ज़ा 

इज़रायल ने 1982 में दक्षिणी लेबनान पर कब्जा कर लिया और 2000 तक इसे कायम रखा। हिज़्बुल्लाह ने इस दौरान गुरिल्ला युद्ध छेड़ा और खुद को इजरायल के खिलाफ "प्रतिरोध की ताकत" के रूप में पेश किया। वर्ष 2006 में हिज़्बुल्लाह ने इज़रायली सैनिकों का अपहरण कर लिया, जिसके जवाब में इज़रायल ने बड़े पैमाने पर लेबनान पर हमला किया। यह संघर्ष करीब 34 दिन चला और दोनों पक्षों को भारी नुकसान हुआ। तब से इज़रायल-लेबनान सीमा पर अक्सर झड़पें होती रहती हैं। हिज़्बुल्लाह मिसाइलों और ड्रोन से हमले करता है, जबकि इज़रायल जवाबी कार्रवाई करता है।

गाजा पर इजरायल के जवाबी हमले से बौखलाया हिजबुल्लाह

इस बीच हिजबुल्लाह और इजरायल में ताजा संघर्ष तब शुरू हुआ, जब इजरायल ने अपने देश पर 07 अक्तूबर 2023 को हुए हमास के हमले को लेकर गाजा पर भयंकर जवाबी कार्रवाई शुरू की। इसके बाद हिजबुल्लाह ने हमास की ओर से इजरायल के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया। बाद में हिजबुल्लाह का प्रमुख लीडर हसन नसरल्लाह मारा गया। इजरायली सेना ने हिजबुल्लाह के अन्य टॉप कमांडरों को भी ढेर कर दिया। तब से अब तक दोनों पक्षों में जंग जारी है। हिजबुल्लाह को ईरान का समर्थन प्राप्त है। 

इज़रायल और हिजबुल्लाह को एक दूसरे से क्या है आपत्ति?

इजरायल हिज़्बुल्लाह को आतंकवादी संगठन मानता है। उसे उत्तर सीमा से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानता है। वहीं हिज़्बुल्लाह इज़रायल द्वारा लेबनान और फिलिस्तीन में "अत्याचार" का आरोप लगाता है और इसका विरोध करता है। वह येरुशलम और अल-अक़्सा मस्जिद को "इस्लाम की पवित्र विरासत" मानता है। फिलिस्तीनियों के लिए संघर्ष का समर्थन करता है और इज़रायल को "अवैध ज़ायोनी शासन" कहता है। 

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