तेल अवीव: गाजा में जारी सैन्य कार्रवाई के लिए इजरायल हजारों रिजर्व सैनिकों को फिर से तैनात कर रहा है। इजरायल के इस कदम का विरोध भी देखने को मिल रहा है। बड़ी संख्या में इजरायली सैनिकों और उनकी माताओं सरकार के इस कदम पर नाराजगी जताई है। हालांकि, इस तरह के मामलों के कोई आधिकारिक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन हाल में बने कुछ समूहों ने सेना में सेवा देने से इनकार करने की सार्वजनिक घोषणा की है।
पीएम नेतन्याहू के खिलाफ हो रहे हैं प्रदर्शन
हमास के सात अक्टूबर, 2023 के हमले से शुरू हुए इस युद्ध में यह एक नया घटनाक्रम है, हालांकि अब तक इसका सैन्य अभियानों पर कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं पड़ा है। यह विरोध उस समय उभरा है जब देशभर में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शनकारी आरोप लगा रहे हैं कि नेतन्याहू युद्ध को राजनीतिक लाभ के लिए लंबा खींच रहे हैं, जबकि उन्हें हमास से समझौता कर बचे हुए 48 बंधकों को रिहा कराने की दिशा में कदम उठाना चाहिए। इनमें से केवल 20 बंधकों के ही जीवित होने की संभावना जताई गई है।
बंधकों की रिहाई पर पड़ सकता है असर
पूर्व सुरक्षा अधिकारियों सहित कई आलोचकों का मानना है कि हालिया सैन्य अभियान का बंधकों की रिहाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और इससे युद्ध के परिणामों में कोई विशेष बदलाव नहीं आएगा। इजरायल को युद्ध के कारण गाजा में उत्पन्न मानवीय संकट और नाकेबंदी को लेकर अंतरराष्ट्रीय आलोचना का भी सामना करना पड़ रहा है। 'सोल्जर्स फॉर होस्टेजेस' नाम के समूह का कहना है कि वह 360 से अधिक ऐसे सैनिकों का प्रतिनिधित्व करता है जिन्होंने सेवा देने से इनकार कर दिया है। इसी तरह 'सेव आवर सोल्स' (एसओएस) नाम के एक अन्य समूह में लगभग 1,000 सैनिकों की माताएं शामिल हैं, जो युद्ध का विरोध कर रही हैं। इनमें से कुछ माताएं अपने बेटों से सेना में वापस ना लौटने का आग्रह कर रही हैं, जबकि अन्य कहती हैं कि वो अपने बेटों के फैसलों का सम्मान करती हैं।

'सैनिक अब थक चुके हैं'
'सेव आवर सोल्स' समूह की सदस्य नूरित फेल्सेंथल बर्गर ने कहा कि वह अपने बेटे को दोबारा गाजा भेजे जाने की आशंका से इतनी भयभीत हैं कि उन्हें उसे अपंग करने का भी विचार आया। उनके दोनों बेटे गाजा में सेवा दे चुके हैं। उन्होंने कहा, "हमें उनकी आवाज बनना होगा।" सैनिक और मेडिकल कर्मी अवशालोम जोहर साल (28 वर्ष) कई बार गाजा में तैनात रहे, लेकिन अब उनका कहना है कि सैनिक अब थक चुके हैं, हतोत्साहित हैं और यह नहीं समझ पा रहे हैं कि वो किसके लिए लड़ रहे हैं।
जनता में क्यों बढ़ रहा है असंतोष?
इजरायल में लगभग एक करोड़ की आबादी के अनुपात में 60,000 रिजर्व सैनिकों की ताजा तैनाती अब तक की सबसे बड़ी ऐसी तैनाती में से एक है। सैन्य सेवा अधिकतर यहूदी पुरुषों के लिए अनिवार्य है, और कई सैनिक यह कर चुके हैं। इस बीच, सरकार की ओर से अल्ट्रा-ऑर्थोडॉक्स यहूदियों को सैन्य सेवा से छूट दिए जाने को लेकर आम जनता में असंतोष बढ़ रहा है। लंबे समय से चली आ रही छूट की व्यवस्था नेतन्याहू की गठबंधन सरकार का एक अहम हिस्सा रही है, जिससे समाज में असमानता की भावना गहराई है। अल्ट्रा-ऑर्थोडॉक्स यहूदी, यहूदी धार्मिक कानून (हलाखा) का अत्यधिक सख्ती से पालन करने वाले समूह हैं।
इजरायली सानिकों को दी गई है सजा
इजरायली सेना का कहना है कि वह अनुपस्थित या सेवा से इनकार करने वालों की संख्या सार्वजनिक नहीं करती और प्रत्येक मामले को व्यक्तिगत आधार पर देखा जाता है। सेना ने कहा, "रिजर्व सैनिकों का योगदान मिशनों की सफलता और देश की सुरक्षा के लिए आवश्यक है।" ‘सोल्जर्स फॉर होस्टेजेस’ समूह का दावा है कि सेवा से इनकार करने वाले कम से कम तीन सैनिकों को इस वर्ष कारावास की सजा दी गई है।
जानें क्या है गाजा का हाल
हमास के नेतृत्व में सात अक्टूबर 2023 को हुए हमले में लगभग 1,200 लोग मारे गए थे और 251 बंधक बना लिए गए थे। उस समय युद्ध को लेकर जनसमर्थन काफी अधिक था, लेकिन मार्च में संघर्ष विराम के समाप्त होने और बंधकों की रिहाई की संभावनाओं के खत्म होने के बाद जनमत में बदलाव आया है। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अब तक युद्ध में 64,000 से अधिक फलस्तीनियों की मौत हो चुकी है, जिनमें लगभग आधे महिलाएं और बच्चे हैं। (एपी)
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