Thursday, April 25, 2024
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फ्रांस में इस्लाम की आलोचना पर लड़की को दी थी जान से मारने की धमकी, अब चल रहा मुकदमा

फ्रांस में इंटरनेट पर इस्लाम को लेकर आलोचनात्मक टिप्पणी करने वाली एक किशोरी को जान से मारने की धमकी देने के मामले में 13 लोगों को हिरासत में लेकर उन पर मुकदमा चलाया जा रहा है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: June 04, 2021 12:58 IST
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Image Source : AP फ्रांस में इस्लाम की आलोचना करने वाली एक किशोरी को जान से मारने की धमकी देने के मामले में आरोपियों पर मुकदमा चलाया जा रहा है।

पेरिस: फ्रांस में इंटरनेट पर इस्लाम को लेकर आलोचनात्मक टिप्पणी करने वाली एक किशोरी को जान से मारने की धमकी देने के मामले में 13 लोगों को हिरासत में लेकर उन पर मुकदमा चलाया जा रहा है। फ्रांस में इस तरह का यह पहला मामला है जब इंटरनेट के जरिए धमकी देने, उत्पीड़न और भेदभाव करने को लेकर मुकदमा चलाया जा रहा है। दरअसल, फ्रांस में इस वर्ष एक नया कानून लागू किया गया है जिसके मुताबिक ऑनालाइन माध्यमों के जरिए होने वाले अपराधों के सिलसिले में मुकदमा चलाया जाएगा।

दोषी पाए जाने पर होगी जेल, जुर्माना

किशोरी को धमकी देने के मामले में जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उन सभी की उम्र 18 से 35 वर्ष के बीच बताई जा रही है। दोषी पाए जाने पर उन पर 30 हजार यूरो (26.5 लाख रुपये) का जुर्माना और 2 साल की जेल हो सकती है। हिरासत में लिए गए कुछ लोगों पर जान से मारने की धमकी देने का आरोप है, जिसको लेकर उन्हें 3 साल की जेल और 45 हजार यूरो (लगभग 40 लाख रुपये) का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।

किशोरी ने पिछले साल की थी टिप्पणी
दरअसल, मीला नामक एक किशोरी जोकि अब 18 साल की हो गई है, उसने पिछले वर्ष सोशल मीडिया ऐप इंस्टाग्राम और वीडियो शेयरिंग ऐप टिक-टॉक पर इस्लाम और कुरान के संबंध में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसके बाद मीला को कुछ लोगों ने जान से मारने की धमकी दी थी, जिसको ध्यान में रखते हुए सरकार ने मीला को सुरक्षा भी प्रदान की थी। मीला को स्कूल भी बदलना पड़ा था। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने मीला के ईशनिंदा के अधिकार का बचाव किया है।

ईशनिंदा फ्रांस में अपराध नहीं
गौरतलब है कि फ्रांस में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता प्राप्त अधिकार है। फ्रांस में ईशनिंदा अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। कुछ मुसलमानों का मानना है कि उनके देश ने उनकी धार्मिक प्रथाओं को गलत तरीके से प्रस्तुत किया है।

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