Thursday, December 11, 2025
Advertisement
  1. Hindi News
  2. विदेश
  3. यूरोप
  4. फ्रांस की आखिरी रानी को क्यों दी गई थी सजा-ए-मौत? क्या उन्होंने सच में कहा था, 'रोटी नहीं है, तो केक खाएं'?

फ्रांस की आखिरी रानी को क्यों दी गई थी सजा-ए-मौत? क्या उन्होंने सच में कहा था, 'रोटी नहीं है, तो केक खाएं'?

मैरी एंटोनेट फ्रांस की अंतिम रानी थीं। उन्हें 1793 में गिलोटिन द्वारा मौत की सजा दी गई थी और उस समय उनकी उम्र मात्र 37 साल थी। उन पर फ्रांस से गद्दारी, फिजूलखर्ची और क्रांति के खिलाफ साजिश रचने के आरोप थे।

Written By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published : Oct 16, 2025 05:14 pm IST, Updated : Oct 16, 2025 05:14 pm IST
फ्रांस की आखिरी रानी...- India TV Hindi
Image Source : PUBLIC DOMAIN फ्रांस की आखिरी रानी मैरी एंटोनेट।

Marie Antoinette Story: फ्रांस की आखिरी रानी मैरी एंटोनेट का नाम इतिहास में एक ऐसे किरदार के रूप में दर्ज है जिसका अंत बहुत ही भयानक हुआ था। उनकी जिंदगी और मौत की कहानी फ्रांसीसी क्रांति (1789-1799) की उथल-पुथल से गहराई से जुड़ी है। मैरी एंटोनेट को 16 अक्टूबर 1793 को गिलोटिन द्वारा सजा-ए-मौत दी गई। लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ कि एक रानी को इतनी कठोर सजा का सामना करना पड़ा? आइए, इसकी वजहों को समझने की कोशिश करते हैं।

मैरी एंटोनेट कौन थीं?

मैरी एंटोनेट का जन्म 1755 में ऑस्ट्रिया में हुआ था। वे ऑस्ट्रिया की महारानी मारिया थेरेसा की बेटी थीं। 1770 में, केवल 14 साल की उम्र में, उनकी शादी फ्रांस के युवराज और बाद में देश के राजा बने लुई सोलहवें से हुई थी। यह शादी फ्रांस और ऑस्ट्रिया के बीच राजनयिक रिश्तों को मजबूत करने के लिए की गई थी। लेकिन यही शादी मैरी के लिए मुसीबतों का सबब बनी। फ्रांस के लोग उन्हें 'विदेशी रानी' कहकर ताने मारते थे, क्योंकि वे ऑस्ट्रिया से थीं, जो उस समय फ्रांस का प्रतिद्वंद्वी देश माना जाता था।

Marie Antoinette, French Revolution, execution, guillotine, queen

Image Source : PUBLIC DOMAIN
फ्रांस की क्रांति ने रानी की मुश्किलें बढ़ा दीं।

कैसे बढ़ीं रानी की मुश्किलें?

18वीं सदी के अंत तक फ्रांस आर्थिक संकट से जूझ रहा था। खजाना खाली था, लोग भूखे मर रहे थे, और करों का बोझ आम जनता पर पड़ रहा था। दूसरी ओर, शाही परिवार की शानो-शौकत और फिजूलखर्ची की कहानियां लोगों के बीच गुस्सा भड़का रही थीं। मैरी एंटोनेट को 'मैडम डेफिसिट' यानी कि खर्चीली रानी का तमगा दिया गया था, क्योंकि उन पर महंगे कपड़े, गहने और पार्टियों में पैसे उड़ाने का इल्जाम था।

वह मशहूर किस्सा आपने भी सुना होगा जब लोगों ने रोटी की कमी की शिकायत की, तो मैरी ने कथित तौर पर कहा, 'अगर रोटी नहीं है, तो केक खाएं।' हालांकि, इतिहासकारों का मानना है कि यह बात शायद उनके मुंह से नहीं निकली थी, बल्कि यह क्रांतिकारियों का प्रॉपेगैंडा था ताकि जनता का गुस्सा और भड़के। और बाद में लोगों का गुस्सा ऐसा भड़का कि रानी की बलि ही ले ली गई।

Marie Antoinette, French Revolution, execution, guillotine, queen

Image Source : PUBLIC DOMAIN
गिरफ्तारी के समय मैरी एंटोनेट और उसके कुछ परिजन।

मैरी पर क्या थे इल्जाम?

जब 1789 में फ्रांसीसी क्रांति शुरू हुई, मैरी एंटोनेट और राजा लुई सोलहवें को सत्ता से हटा दिया गया। 1793 में, क्रांतिकारी सरकार ने मैरी पर कई गंभीर इल्जाम लगाए। इनमें शामिल थे:

  1. देशद्रोह (गद्दारी): मैरी पर आरोप था कि उन्होंने ऑस्ट्रिया के साथ मिलकर फ्रांस के खिलाफ साजिश रची। क्रांतिकारियों का दावा था कि उन्होंने ऑस्ट्रियाई सेना को फ्रांस के सैन्य रहस्य बताए, जिससे देश की सुरक्षा को खतरा हुआ। यह इल्जाम कुछ हद तक सही था, क्योंकि मैरी ने अपने भाई, ऑस्ट्रिया के सम्राट को पत्र लिखकर मदद मांगी थी।
  2. फिजूलखर्ची: रानी पर शाही खजाने को लुटाने का इल्जाम था। उनके महंगे शौक और वर्साय पैलेस की शानदार जीवनशैली को जनता के दुखों का कारण माना गया।
  3. अनैतिक व्यवहार: मैरी पर कई निजी और झूठे इल्जाम भी लगाए गए, जैसे अनैतिक संबंध और उनके बेटे के साथ दुर्व्यवहार। ये इल्जाम ज्यादातर क्रांतिकारियों द्वारा उनकी छवि खराब करने के लिए गढ़े गए थे।
  4. क्रांति के खिलाफ साजिश: उन पर आरोप था कि उन्होंने राजशाही को बचाने के लिए क्रांतिकारी सरकार के खिलाफ गुप्त योजनाएं बनाईं। 1791 में, मैरी और लुई सोलहवें ने वर्साय से भागने की कोशिश की थी, लेकिन वे पकड़े गए। इस घटना ने उनके खिलाफ जनता का गुस्सा और बढ़ा दिया।

Marie Antoinette, French Revolution, execution, guillotine, queen
Image Source : PUBLIC DOMAIN
अपने बच्चों के साथ मैरी एंटोनेट।

मौत की सजा और अंतिम दिन

1793 में, क्रांतिकारी अदालत ने मैरी को गद्दारी का दोषी ठहराया। मुकदमा बेहद पक्षपातपूर्ण था, और मैरी को बचाव का ज्यादा मौका नहीं दिया गया। 16 अक्टूबर 1793 को पेरिस के रिवॉल्यूशनरी स्क्वायर में हजारों लोगों के सामने उन्हें गिलोटिन पर चढ़ा दिया गया। उस समय उनकी उम्र केवल 37 साल थी। मैरी ने अपने अंतिम क्षणों में हिम्मत दिखाई। कहा जाता है कि गिलोटिन पर चढ़ने से पहले उन्होंने जल्लाद से माफी मांगी, क्योंकि गलती से उन्होंने उसका पैर कुचल दिया था।

Marie Antoinette, French Revolution, execution, guillotine, queen

Image Source : PUBLIC DOMAIN
सजा-ए-मौत के बाद मैरी एंटोनेट के कटे सिर को लोगों को दिखाता जल्लाद।

क्या सच में इतनी बुरी थीं मैरी?

इतिहासकारों का मानना है कि मैरी एंटोनेट न तो पूरी तरह निर्दोष थीं और न ही उतनी बड़ी खलनायिका, जितना क्रांतिकारियों ने उन्हें दिखाया। वे एक ऐसी रानी थीं, जो गलत समय पर गलत जगह थीं। उनकी फिजूलखर्ची और ऑस्ट्रियाई बैकग्राउंड ने उन्हें जनता की नजरों में विलेन बना दिया। लेकिन कई इल्जाम, खासकर निजी जीवन से जुड़े, सिर्फ प्रॉपेगैंडा का हिस्सा थे। फ्रांसीसी क्रांति के उन्माद में मैरी एक प्रतीक बन गईं, जिसके खिलाफ जनता का गुस्सा निकला। उनकी कहानी बताती है कि किस तरह कई बार क्रांति के उफान में सच और झूठ का फर्क मिट जाता है, और इसका खामियाजा अक्सर बेगुनाहों को भुगतना पड़ता है।

Latest World News

Google पर इंडिया टीवी को अपना पसंदीदा न्यूज सोर्स बनाने के लिए यहां
क्लिक करें

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Europe News in Hindi के लिए क्लिक करें विदेश सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement