First Drunk Driving Arrest: खबरों में अक्सर ड्रंक डाइविंग या शराब पीकर गाड़ी चलाने के मामले में गिरफ्तारी की खबरें आती हैं। कई बार नशे में गाड़ी चलाने की वजह से हुई दुर्घटनाओं में लोगों की जान तक जाती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ड्रंक ड्राइविंग केस में पहली गिरफ्तारी कब हुई होगी? आज हम आपको इसका पूरा इतिहास बताएंगे कि ऐसा पहली बार कब हुआ था और जो इस तरह के मामले में पकड़ा गया था वह शख्स कौन था।
पहली गिरफ्तारी टैक्सी ड्राइवर की
10 सितंबर 1897 को लंदन की सड़कों पर एक ऐसी घटना हुई, जो इतिहास में पहली बार दर्ज की गई। 25 साल के टैक्सी ड्राइवर जॉर्ज स्मिथ ने नशे की हालत में अपनी गाड़ी चलाई और एक इमारत से उनकी गाड़ी की टक्कर हो गई। पुलिस ने उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया, और इस तरह जॉर्ज स्मिथ दुनिया के पहले शख्स बने, जिन्हें नशे में गाड़ी चलाने या ड्रंक ड्राइविंग के जुर्म में पकड़ा गया। बाद में उन्होंने अपना गुनाह कबूल किया और उन्हें 25 शिलिंग का जुर्माना भरना पड़ा। यानी कि आज से 128 साल पहले ड्रंक ड्राइविंग में पहली गिरफ्तारी हुई थी।
पहली बार अमेरिका में बना कानून
जॉर्ज स्मिथ के पकड़े जाने के कुछ साल बाद 1910 में अमेरिका के न्यूयॉर्क राज्य ने नशे में गाड़ी चलाने के खिलाफ पहला कानून बनाया। उस वक्त यह कानून आज की तरह सख्त नहीं था, और न ही खून में शराब की मात्रा का कोई निश्चित मापदंड था। लेकिन समय के साथ हालात बदले। 1936 में डॉ. रोल्ला हार्गर ने 'ड्रंकओमीटर' नाम का एक यंत्र बनाया, जिसमें सांस के जरिए शराब की मात्रा का अंदाजा लगाया जा सकता था। फिर 1953 में रॉबर्ट बोरकेन्सटीन ने 'ब्रेथलाइजर' का आविष्कार किया, जो पहले से ज्यादा आसान और सटीक था।
जागरूकता और सख्ती का दौर
1970 और 1980 के दशक तक नशे में गाड़ी चलाने के खतरों की जागरूकता कम थी। 1980 में कैलिफोर्निया की कैंडी लाइटनर की 13 साल की बेटी कैरी की एक स्कूल कार्निवल से लौटते वक्त नशे में धुत ड्राइवर ने टक्कर मारकर हत्या कर दी। उस ड्राइवर के खिलाफ पहले से 3 बार नशे में ड्राइविंग के केस थे और वह दो दिन पहले हिट-एंड-रन केस में जमानत पर छूटा था। इस घटना ने कैंडी को झकझोर दिया। उन्होंने 'मदर्स अगेंस्ट ड्रंक ड्राइविंग' (MADD) बनाया, जिसने नशे में ड्राइविंग के खिलाफ सख्त कानून और जागरूकता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई।
भारत में क्या कहता है कानून?
भारत की बात करें तो यहां मोटर व्हीकल एक्ट 1988 की धारा 185 के तहत ड्रंक ड्राइविंग एक गंभीर अपराध है। अगर ड्राइवर के खून में 0.03% से ज्यादा ब्लड अल्कोहल कंसंट्रेशन (BAC) हुआ तो उसे सजा दी जाती है। 2019 के संशोधन ने सजा को और सख्त कर दिया। इसके तहत पहली बार अपराध करने पर 10,000 रुपये तक जुर्माना और 6 महीने तक जेल, दोबारा अपराध पर 15,000 रुपये तक जुर्माना और 2 साल तक जेल हो सकती है।



