Monday, April 29, 2024
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जिस शहर में लगाती थीं झाड़ू, वहां की जनता ने उन्हें बना डिप्टी मेयर

Gaya Municipal Election: चिंता देवी ने निकिता रजक को 27 हजार से अधिक वोटों से हराया है। चिंता देवी के पति का निधन हो चुका है, लेकिन शहर को स्वच्छ रखने का उन्होंने अपना कार्य कभी नहीं छोड़ा। उन्होंने अपने दायित्व का ईमानदारी से पालन किया और लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई।

Malaika Imam Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published on: December 31, 2022 14:00 IST
चिंता देवी- India TV Hindi
Image Source : IANS चिंता देवी

Gaya Municipal Election: बिहार नगर निकाय चुनाव में गया के वोटरों ने अभूतपूर्व फैसला सुनाते 40 सालों तक गया नगर निगम क्षेत्र में झाड़ू लगाने वाली महिला को डिप्टी मेयर की कुर्सी पर बैठा दिया। कहा जाता है कि पूरे गया में स्वच्छता का संदेश देने वाली चिंता देवी अपने सिर पर मैला ढोने का भी कार्य किया है। चिंता देवी भले पढ़ी लिखी नहीं हैं, लेकिन पूरे क्षेत्र को स्वच्छता का ऐसा पाठ पढ़ाया कि लोग उनके मुरीद हो गए। चिंता पिछले 40 सालों से नगर निगम के सफाई कर्मी के रूप में काम कर रही थीं।

चिंता देवी रोजाना कचरा उठाने और झाड़ू लगाने का काम करती थीं। अब वे सब्जी बेचने का काम करती थीं, लेकिन इस बार गया नगर निगम का डिप्टी मेयर का पद आरक्षित होने की वजह से चिंता देवी चुनावी मैदान में ताल ठोका और जनता का भरपूर समर्थन के साथ रिकॉर्ड वोटों से जीत दर्ज की। गया के पूर्व डिप्टी मेयर मोहन श्रीवास्तव का कहना है कि चिंता देवी ने गया में मैला ढोने का काम भी किया था। 

'अब डिप्टी मेयर के रूप में जानी जाएंगी'

 पूर्व डिप्टी मेयर ने कहा कि मैला ढोने वाली महिला ने डिप्टी मेयर के पद का चुनाव जीतकर इतिहास रचा है। उन्होंने कहा कि शहरवासियों ने दबे कुचले का समर्थन कर उन्हें समाज में आगे बढ़ाने का काम करते हैं। श्रीवास्तव ने कहा जिस तरह भगवती देवी भी सिर पर टोकरी ढोकर सांसद बनी थीं, अब चिंता देवी जो कि मैला ढोने वाली महिला के रूप में जानी जाती थीं, अब डिप्टी मेयर के रूप में जानी जाएंगी।

पति का स्वर्गवास हो चुका है

चिंता देवी ने निकिता रजक को 27 हजार से अधिक वोटों से शिकस्त दी है। चिंता देवी के पति का स्वर्गवास हो चुका है, लेकिन शहर को स्वच्छ रखने का उन्होंने अपना कार्य कभी नहीं छोड़ा। उन्होंने अपने दायित्व का ईमानदारी से पालन किया और लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई। आज इसी का नतीजा है कि लोगों ने उन्हें डिप्टी मेयर की कुर्सी तक पहुंचा कर यह भी संदेश दे दिया कि लोकतंत्र में सफाई कर्मचारी भी सर्वोच्च पद तक पहुंच सकता है।

सेवानिवृत्त हुईं तो सब्जी बेचने लगीं

साल 2020 तक चिंता देवी झाड़ू लगाती रहीं। उसके बाद जब वे सेवानिवृत्त हुईं तो सब्जी बेचने लगीं, लेकिन स्वच्छता को लेकर वे सजग रहीं। चुनाव में मिले समर्थन से भावविभोर चिंता देवी कहती हैं कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि यहां तक की यात्रा भी कभी तय करूंगी। वे कहती हैं कि लोग इतना मान देंगे, नहीं सोचा था। अपना काम करते रहें तो जनता भी सम्मान देती है। जिस कार्यालय में झाडू लगाने वाली के रूप में कार्यरत थीं, अब वहीं से बैठकर शहर की स्वच्छता के लिए योजनाएं बनाएंगी।

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