Friday, May 03, 2024
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शिक्षा विभाग के ACS के के पाठक का खौफ, प्रधानाध्यापिका ने स्कूल में ही बिताई रात; जानें क्या है माजरा

बिहार के औरंगाबाद में एक प्रभारी प्रधानाध्यापिका को पूरी रात स्कूल में ही बितानी पड़ी। दरअसल, पूरा मामला छुट्टी से जुड़ा हुआ है। वहीं इसे शिक्षा विभाग के अपर सचिव के के पाठक के आदेशों का असर भी माना जा रहा है।

Amar Deep Edited By: Amar Deep
Updated on: December 22, 2023 23:43 IST
प्रधानाध्यापिका ने स्कूल में ही बिताई रात।- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV प्रधानाध्यापिका ने स्कूल में ही बिताई रात।

औरंगाबाद: टीएन शेषन ने जिस तरह से मुख्य चुनाव आयुक्त के पद पर रहने के बाद चुनाव की प्रक्रिया को सख्त बनाया और तहलका मचाया था ठीक उसी प्रकार बिहार में भी शिक्षा विभाग के अपर सचिव के के पाठक का खौफ विभाग के पदाधिकारियों के सिर चढ़कर बोल रहा है। हालत यह हो गई है कि अब उनके खिलाफ 15 एमएलसी तक ने राज्यपाल से मिलकर कारवाई की मांग कर दी है, लेकिन इसके बावजूद भी उनकी कार्यशैली में कोई अंतर नहीं दिख रहा है। वह शिक्षकों को नित नए-नए आदेश देते नजर आ रहे हैं।

बीआरसी कार्यालय से नहीं मिली छुट्टी

इस बीच के के पाठक के आदेशों का खौफ औरंगाबाद के दाउदनगर शहर के प्राथमिक विद्यालय पटवा टोली में देखने को मिला, जहां की प्रभारी प्रधानाध्यापक मीरा कुमारी ने बीआरसी कार्यालय से छुट्टी नहीं मिलने पर गुरुवार की रात भीषण ठंड के बीच पूरी रात अपने विद्यालय में ही गुजारी। वह रात भर विद्यालय परिसर में ही रहीं। यहां बता दें कि राजकीय प्राथमिक विद्यालय पटवा टोली का अपना भवन नहीं है, जिसके कारण यह विद्यालय औरंगाबाद जिले के दाउदनगर शहर के लखन मोड़ स्थित राजकीय मध्य विद्यालय संख्या दो में शिफ्ट है। 

रात भर ठंड के बीच भी स्कूल में रुकीं

वहीं जब उनसे विद्यालय में रात भर ठंड में रहने का कारण पूछा गया तो उन्होंने कहा अगर बोलेंगे तो मेरा हार्ट अटैक कर जाएगा, इसलिए इस विषय पर ज्यादा नहीं बोलना है। उन्होंने बताया कि बुधवार को 5:15 बजे औरंगाबाद जाकर हाजिरी बनाए। इसके बाद वहां से हाजिरी बनाकर देर रात दाउदनगर पहुंचे। घर आते-आते 8-9 बज गए। उन्होंने कहा कि यह कोई बड़ी बात नहीं है। वह अस्वस्थ थीं, इसलिए कुछ काम नहीं कर पाईं। स्कूल में शांति थी, अगर छुट्टी मिल जाती तो अपने आप को कंट्रोल कर लेते और सब कुछ भूल जाते। लेकिन छुट्टी नहीं मिलने के कारण मन चिड़चिड़ा हो गया। पांच बजे तक तो स्कूल में रहना ही पड़ता है।

छुट्टी के लिए दिया था आवेदन

इसके बाद गुरुवार को आठ बजे डेरा से निकले तो डीडीओ को अबसेंटी डेरा पर पहुंचाए। उसके बाद बीआरसी गए, जहां ताला बंद था। उन्हें लगा कि वह समय से पहले आई हैं। फोन कर गेट खुलवाया और नियोजित शिक्षकों का अबसेंटी दिया। इसके बाद स्पेशल लीव के लिए आवेदन दिया, लेकिन नहीं लिया गया। उन्हें कहा गया कि तीन बजे के बाद लीव कर देंगे। वहीं इस संबंध में जब बीईओ चंद्रशेखर सिंह से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि स्कूल अवधि में आवेदन नहीं देना है, इसलिए प्रभारी प्रधानाध्यापक को विद्यालय अवधि के बाद बुलाया गया था। उनके द्वारा रात में विद्यालय में रहने का कोई औचित्य नहीं था।

(औरंगाबाद से किशोर प्रियदर्शी की रिपोर्ट)

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