Sunday, May 05, 2024
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दिल्ली की हवा आज भी 'बेहद खतरनाक', AQI लेवल 466, अस्पतालों में OPD मरीजों की संख्या 25% बढ़ी

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए केन्द्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने एक गाइडलाइन जारी की है, जिसमें लोगों को बाहर निकलने की मनाही और बाहरी गतिविधियां कम करने की सलाह दी गई है। हवा इतनी घातक है कि दिल्ली के अस्पतालों में ओपीडी मरीजों की संख्या 25 फीसदी तक बढ़ चुकी है।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: November 13, 2021 11:44 IST
delhi air pollution- India TV Hindi
Image Source : PTI दिल्ली की हवा आज भी बेहद खतरनाक, AQI लेवल 466, अस्पतालों में OPD मरीजों की संख्या 25% बढ़ी

नई दिल्ली: दिल्ली की हवा में प्रदूषण का स्तर आज भी बेहद खतरनाक स्तर तक पहुंचा हुआ है। दिल्ली में आज का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 466 दर्ज किया गया है। इसमें कल के 486 के मुकाबले थोड़ा सुधार है, लेकिन ये अब भी बेहद खतरनाक श्रेणी में है यानी इतनी दूषित हवा में बाहर निकलना बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए केन्द्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने एक गाइडलाइन जारी की है, जिसमें लोगों को बाहर निकलने की मनाही और बाहरी गतिविधियां कम करने की सलाह दी गई है। हवा इतनी घातक है कि दिल्ली के अस्पतालों में ओपीडी मरीजों की संख्या 25 फीसदी तक बढ़ चुकी है।

कल के मुकाबले मामूली सुधार, कैटिगरी 'बेहद खतरनाक'

करीब 15 दिनों से दिल्ली का यही हाल है। पिछले दो दिनों में हालत और ज्यादा बिगड़ी है हालांकि कल के 486 के मुकाबले आज AQI 466 है लेकिन पिछले 15 दिन के जो आंकड़े हैं, वो दिल्ली की जहरीली होती हवा की हालत कुछ इतने गंभीर बना रहे हैं। लोगों का सुबह निकलना मुश्किल हो रहा है। कोहरे के आगे सूर्य के दर्शन 9 बजे के बाद हो रहे हैं। प्रदूषण कंट्रोल के लिए जो स्मॉग टावर लगाए गए थे, वो भी प्रदूषण के आगे बेअसर साबित हो रहे हैं।

दिल्ली की हवा किस कदर जहरीली हो चुकी है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि सामान्य तौर पर सांस लेने के लिए हवा की क्वालिटी इंडेक्स 100 से नीची होनी चाहिए. लेकिन यहां स्थिति पांच गुनी खतरनाक है। दिल्ली की हवा का औसत AQI 486 था, आज 466 है, लेकिन ये डेटा भी बेहद खतरनाक लेवल का प्रदूषण बताता है। ये हाल पूरे एनसीआर में है। नोएडा में हवा में प्रदूषण का लेवल कल 450 था, आज 485 है। इसके अलावा गाजियाबाद में कल 432 था, आज 462 है। गुरुग्राम में AQI लेवल कल 472 था, आज 470 है।

नवंबर में सबसे ज्यादा जली पराली

नवंबर महीने के पहले दस दिनों में अक्टूबर से दो गुनी ज़्यादा पराली जलाई गई है। अक्टूबर में 20 हजार से ज्यादा पराली जलाने की घटनाएं सामने आई, तो नवंबर के पहले दस दिन में ही 40 हजार से ज्यादा पराली जलाने के मामले सामने आए। जानकारों के मुताबिक इस बार बारिश देर तक होती रही इसीलिए, पराली जलाने की घटनाएं अक्टूबर से ज़्यादा नवंबर में हो रही हैं। वैसे तो हरियाणा और पंजाब की सरकारें दावा कर रही हैं कि उन्होंने पराली जलाने से रोकने के लिए किसानों को काफ़ी मदद दी है लेकिन, नवंबर के आंकड़े बताते हैं पराली जलाना कम नहीं हो रहा। नासा द्वारा जारी की गई सैटेलाइट तस्वीरें से भी साफ दिखता है कि पराली जलाई जा रही है और उसका धुआं दिल्ली का दम घोंट रहा है।

द एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट के मुताबिक़ मॉनसून के बाद एनसीआर में पॉल्यूशन सबसे बड़ी वजह पराली का जलना है। दिल्ली-NCR के पॉल्यूशन में 22 परसेंट हिस्सेदारी पराली के धुएं की है, दूसरा नंबर दिल्ली के ट्रैफिक का है। गाड़ियों का धुआं दिल्ली के प्रदूषण में 17% योगदान देता है। दिल्ली-NCR में काफ़ी इंडस्ट्रीज़ भी हैं ये भी पॉल्यूशन के लिए ज़िम्मेदार हैं। इसके बाद कन्स्ट्रक्शन इंडस्ट्री का नंबर है। रिसर्च ये भी कहती है कि घर के भीतर होने वाली गतिविधियां भी प्रदूषण बढ़ाती हैं। जो कचरा जलाया जाता है, वो भी वायु प्रदूषण को बढ़ा देता है। तो आखिर इतने गंभीर होते प्रदूषण से कैसे बचा जाए, इसे लेकर केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कुछ सुझाव जारी किए है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइडलाइन-

  • स्मॉग के एक्सपोजर से जितना हो सकता है बचें।
  • घर में रहें, आउटडोर एक्टिविटिज कम करें।
  • सरकारी दफ्तरों में निजी वाहनों से आना जाना कम करें।
  • बोर्ड ने कहा 30% वाहनों में कटौती सुनिश्चित करें।
  • कार पूलिंग और वर्क फ्रॉम होम को बढ़ावा दें।
  • संबंधित एजेंसियां निर्देशों के पालन को लेकर अलर्ट रहें।

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