
नई दिल्लीः दिल्ली की मुस्लिम बहुल मुस्तफाबाद विधानसभा सीट पर बीजेपी बड़ी जीत दर्ज करती दिख रही है। इसी क्षेत्र में साल 2020 में दंगा हुआ था। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने दिल्ली दंगे के आरोपी ताहिर हुसैन को टिकट दिया था जबकि आम आदमी पार्टी ने आदिल अहमद खान को अपना उम्मीदवार बनाया था। कांग्रेस ने अली मेहंदी को टिकट दिया था। ऐसे में मुस्लिम वोटर बंटने का सीधा फायदा बीजेपी को मिला। मुस्तफाबाद से बीजेपी के सीनियर नेता मोहन सिंह बिष्ट यहां से लगातार आगे चल रहे हैं।
ताहिर हुसैन ने बिगाड़ा आप का खेल
दरअसल, मुस्तफाबाद से असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने दिल्ली दंगे के आरोपी ताहिर हुसैन को उम्मीदवार बनाया। ताहिर को 32 हजार से ज्यादा वोट मिले। वहीं, कांग्रेस ने अली मेंहदी को टिकट दिया था। अली मेहँदी साढ़े 11 हजार से ज्यादा वोट हासिल करने में सफल रहे। इस हिसाब से देखें तो कांग्रेस और एआईएमआईएम ने मिलकर यहां से करीब 50 हजार वोट हासिल किए। जिसका फायदा बीजेपी को मिला।
मुस्तफ़ाबाद में 39.5% मुस्लिम आबादी
मुस्तफ़ाबाद में 39.5% मुस्लिम आबादी है। उत्तर पूर्वी दिल्ली का मुस्तफ़ाबाद 2020 के दंगों के दौरान सबसे बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों में से एक था, जिसमें कम से कम 53 लोगों की जान चली गई थी। यह सीट आम आदमी पार्टी के खाते में थी।
कौन हैं मोहन सिंह बिष्ट
शांत स्वभाव के मोहन सिंह बिष्ट को मुस्लिम बहुल इलाके से उतारने का फैसला बीजेपी के लिए कारगर साबित हुआ। मोहन को विकास करने वाला नेता के तौर पर जाना जाता है। इसलिए उन्हें हिंदू आबादी का एकतरफा वोट मिला। बिष्ट को दिल्ली की राजनीति में एक अनुभवी व्यक्ति माना जाता है और वह पहली बार 1998 में करावल नगर से विधायक चुने गए थे, जिस सीट पर उन्होंने 2015 तक कब्जा बनाए रखा।
हालांकि, वह 2015 में AAP के टिकट पर चुनाव लड़ रहे कपिल मिश्रा से सीट हार गए। पांच साल बाद बिष्ट ने AAP के दुर्गेश पाठक को हराकर करावल नगर पर फिर से जीत दर्ज की थी। इस बार बीजेपी ने जब उनका टिकट काटा तो वह नाराज हो गए थे। काफी मनाने के बाद वह माने थे। पार्टी ने इसके बाद उन्हें मुस्तफाबाद से टिकट दिया।