Thursday, May 02, 2024
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जादवपुर यूनिवर्सिटी और जामिया हमदर्द को नहीं मिले IOE का दर्जा, शिक्षा मंत्रालय से यूजीसी और ईईसी ने की सिफारिश

यूजीसी और विशेषज्ञों की एक समिति ने प्रतिष्ठित संस्थान (इंस्टिट्यूट ऑफ एमिनेंस यानी IOE) के दर्जे के लिए केंद्र द्वारा चयनित जादवपुर यूनिवर्सिटी और जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी को आईओई के रूप में मान्यता नहीं देने की सिफारिश की है।

Reported By : PTI Edited By : IndiaTV Hindi Desk Updated on: August 13, 2023 14:45 IST
यूजीसी ने की जामिया हमदर्द और जादवपुर विव को IOE दर्जा न मिलने की सिफारिश- India TV Hindi
Image Source : FILE यूजीसी ने की जामिया हमदर्द और जादवपुर विव को IOE दर्जा न मिलने की सिफारिश

यूजीसी और विशेषज्ञों की एक समिति ने प्रतिष्ठित संस्थान (इंस्टिट्यूट ऑफ एमिनेंस यानी IOE) के दर्जे के लिए केंद्र द्वारा चयनित जादवपुर यूनिवर्सिटी और जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी को आईओई के रूप में मान्यता नहीं देने की सिफारिश की है। अधिकारियों ने बताया कि इसके अलावा तमिलनाडु सरकार ने अन्ना विश्वविद्यालय को IOE का दर्जा देने के अपने पहले के प्रस्ताव को वापस ले लिया है। शिक्षा मंत्रालय ने सशक्त विशेषज्ञ समिति (ईईसी) और यूजीसी की सिफारिशों पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है। 

पहले इतने करोड़ के बजट का प्रस्ताव पेश किया था

इस मामले की जानकारी रखने वाले एक उच्च दर्जे के अधिकारी ने कहा, ‘‘जादवपुर विश्वविद्यालय ने शुरू में योजना के तहत 3,299 करोड़ रुपये के बजट प्रावधान का एक प्रस्ताव पेश किया था। इसके बाद, मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल सरकार से उसके द्वारा मुहैया कराई जाने वाली राशि के लिए वित्तीय प्रतिबद्धता मांगी थी क्योंकि इस योजना में प्रस्तावित बजट प्रावधान के लिए केवल 1,000 करोड़ रुपये तक की निधि मुहैया कराए जाने और धनराशि कम पड़ने की स्थिति में योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए निधि की निरंतरता सुनिश्चित करने का प्रावधान है।’’ 

अधिकारी ने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल सरकार इस पर सहमत नहीं हुई और उसने प्रस्ताव में बदलाव किया। पहले इसे 1,015 करोड़ रुपये तथा फिर इसे और भी कम करके 606 करोड़ रुपये किया गया, जिसकी 25 प्रतिशत राशि यूनिवर्सिटी द्वारा अपने लेवल पर उपलब्ध कराने का प्रस्ताव था। बजट प्रावधान में उल्लेखनीय कमी के मद्देनजर यह प्रस्ताव फिर से समीक्षा के लिए यूजीसी और ईईसी के पास भेजा गया था और दोनों ने शिक्षा मंत्रालय से विश्वविद्यालय को आईओई का दर्जा नहीं दिए जाने की सिफारिश की।’’ 

2018 में शुरू हुई थी आईओई योजना 
इस मामले में तीनों विश्वविद्यालयों ने अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। शिक्षा मंत्रालय ने 2018 में आईओई योजना शुरू की थी, जिसके तहत 10 सरकारी और 10 प्राइवेट यानी ऐसे कुल 20 संस्थानों का चयन किया जाना था, जिन्हें पूर्ण अकादमिक एवं प्रशासनिक स्वायत्तता मिलेगी। पहले फेज में, सरकारी कैटेगरी में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) दिल्ली, आईआईटी बंबई और बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) को तथा प्राइवेट कैटेगरी में मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन और बिट्स पिलानी को आईओई का दर्जा किया गया था, जबकि रिलायंस फाउंडेशन के जियो संस्थान को ग्रीनफील्ड श्रेणी में यह दर्जा दिया गया था। 

2019 में इन संस्सथानों को मिला था यह दर्जा
इसके बाद 2019 में दिल्ली विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, हैदराबाद विश्वविद्यालय, आईआईटी मद्रास और आईआईटी खड़गपुर को सरकारी श्रेणी में यह दर्जा प्रदान किया गया था। आईओई दर्जा देने के आशय पत्र तमिलनाडु स्थित अमृता विश्व विद्यापीठम एवं वेल्लोर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, ओडिशा स्थित कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी, दिल्ली स्थित जामिया हमदर्द, मोहाली स्थित सत्य भारती फाउंडेशन के सत्य भारती को भी जारी किए गए थे। इसी प्रकार पश्चिम बंगाल सरकार और तमिलनाडु सरकार को जादवपुर विश्वविद्यालय एवं अन्ना विश्वविद्यालय में वित्तीय योगदान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता इंगित करने के लिए कहा गया था, ताकि उन्हें आईओई का दर्जा दिया जा सके। 

अधिकारी ने कहा, ‘‘मंत्रालय ने ईईसी और यूजीसी की सिफारिश पर तमिलनाडु सरकार से योजना के तहत उसके द्वारा मुहैया कराई जाने वाली राशि को लेकर वित्तीय प्रतिबद्धता मांगी थी, ताकि आईओई योजना के तहत योजनाओं का उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए धन की कमी होने की स्थिति में निधि उपलब्ध कराई जा सके।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बहरहाल, राज्य सरकार ने अपनी वित्तीय स्थिति के कारण कोई भी वित्तीय प्रतिबद्धता देने से इनकार कर दिया और सूचित किया कि तमिलनाडु विधानसभा ने एक विधेयक पारित किया है, जिसमें विश्वविद्यालय को अन्ना प्रौद्योगिकी एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय और अन्ना विश्वविद्यालय में विभाजित किया गया है।’’ 

अधिकारी के मुताबिक, ‘‘इसके अलावा, तमिलनाडु सरकार द्वारा गठित एक समिति ने सिफारिश की कि अन्ना विश्वविद्यालय को आईओई दर्जे की आवश्यकता नहीं है, इसलिए राज्य सरकार ने विश्वविद्यालय को यह दर्जा दिए जाने के अपने पहले के प्रस्ताव को वापस ले लिया है।’’ सरकार आईओई दर्जे वाले सरकारी संस्थानों को 1,000 करोड़ रुपये तक की निधि मुहैया कराएगी, लेकिन प्रतिष्ठित संस्थानों के तौर पर प्रस्तावित निजी संस्थानों को कोई वित्तीय सहायता मुहैया नहीं कराई जाएगी। ये निजी संस्थान विशेष श्रेणी के डीम्ड विश्वविद्यालय के रूप में अधिक स्वायत्तता के हकदार होंगे। 

'आईओई का दर्जा अविभाजित विश्वविद्यालय को देने की मंजूरी दी गई थी'
अधिकारी ने कहा, ‘‘सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पारिवारिक निपटान विलेख के आधार पर हमदर्द नेशनल फाउंडेशन (HNF) को हमदर्द शिक्षा एवं सांस्कृतिक सहायता समिति (HECA) और चिकित्सा राहत एवं शिक्षा समिति (MREC) में बांटने का प्रस्ताव है। आईओई का दर्जा अविभाजित विश्वविद्यालय को देने की मंजूरी दी गई थी, इसलिए ईईसी ने उचित विचार-विमर्श के बाद संस्थान को यह दर्जा देने पर विचार नहीं करने की सिफारिश की है।’’ 

'चार प्राइवेट संस्थानों के समझौता ज्ञापन यूजीसी को भेज गए'
संसदीय समिति के अनुसार, शिक्षा मंत्रालय ने सूचित किया है कि आईओई के लिए अनुशंसित चार प्राइवेट संस्थानों - जियो संस्थान, वेल्लोर स्थित वेल्लोर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, भुवनेश्वर स्थित कलिंगा इंस्टिट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी और कोयंबटूर स्थित अमृता विश्व विद्यापीठम से मिले मसौदा समझौता ज्ञापन यूजीसी को भेज दिए गए हैं, ताकि वह उसे ईईसी के समक्ष रखे और अपनी सलाह दे।

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